इसरो ने रचा इतिहास, 'बाहुबली' रॉकेट ने सबसे भारी उपग्रह को कक्षा में स्थापित किया
नेत्रपाल दिलीप
- 02 Nov 2025, 07:59 PM
- Updated: 07:59 PM
(तस्वीरों के साथ)
श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) दो नवंबर (भाषा) भारतीय धरती से नयी पीढ़ी के स्वदेशी 'बाहुबली' रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया जाने वाला सबसे भारी संचार उपग्रह रविवार को सफलतापूर्वक इच्छित कक्षा में स्थापित कर दिया गया।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बताया कि 4,410 किलोग्राम वज़नी संचार उपग्रह सीएमएस-03 को एलवीएम 3-एम5 रॉकेट के ज़रिए प्रक्षेपित किया गया, जिससे भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी को यह दुर्लभ उपलब्धि हासिल करने में मदद मिली। इसने कहा कि सीएमएस-03 एक बहु-बैंड संचार उपग्रह है और यह भारतीय भूभाग सहित एक विस्तृत समुद्री क्षेत्र में सेवाएँ प्रदान करेगा।
इसने कहा कि उपग्रह को वांछित भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया गया।
यह 2013 में प्रक्षेपित की गई जीसैट 7 श्रृंखला का प्रतिस्थापन भी है।
इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने कहा कि प्रक्षेपण यान ने संचार उपग्रह को इच्छित कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘4,410 किलोग्राम का उपग्रह सटीकता के साथ स्थापित कर दिया गया है।’’ प्रक्षेपण के बाद मिशन नियंत्रण केंद्र से अपने संबोधन में उन्होंने एलवीएम 3 उपग्रह को ‘बाहुबली’ रॉकेट बताया, जो स्पष्ट रूप से इसकी भारी भार उठाने की क्षमता का संदर्भ था।
नारायणन ने याद दिलाया कि रॉकेट का पिछला प्रक्षेपण ‘‘सबसे प्रतिष्ठित चंद्रयान 3 था, जिसने राष्ट्र को गौरव दिलाया।’’
उन्होंने कहा कि रविवार को ‘‘भारी उपग्रह’’ के साथ सफलता प्राप्त करने के बाद इसने ‘‘एक और गौरव’’ प्राप्त किया।
प्रायोगिक मिशन सहित एलवीएम 3 के सभी आठ प्रक्षेपण सफल रहे हैं, जो 100 प्रतिशत सफलता दर दर्शाते हैं।
अंतरिक्ष विभाग के सचिव नारायणन ने कहा, ‘‘इस उपग्रह को कम से कम 15 वर्षों तक संचार सेवाएं प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है तथा यह आत्मनिर्भर भारत का एक और शानदार उदाहरण है।’’
उन्होंने कहा कि इसरो वैज्ञानिकों को मिशन में कठिनाई का सामना करना पड़ा, क्योंकि मौसम अनुकूल नहीं था, लेकिन उन्होंने कड़ी मेहनत की और सफलता सुनिश्चित की।
रविवार के प्रक्षेपण से पहले, भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी भारी उपग्रहों को प्रक्षेपित करने के लिए फ्रांस स्थित एरियनस्पेस द्वारा प्रदान किए गए एरियन रॉकेटों की मदद से फ्रेंच गुयाना स्थित कौरू प्रक्षेपण केंद्र की सेवाओं का उपयोग कर रही थी।
पांच दिसंबर, 2018 को इसरो ने फ्रेंच गुयाना से एरियन-5 वीए-246 रॉकेट के जरिए 5,854 किलोग्राम वजनी अपने सबसे भारी संचार उपग्रह जीसैट-11 को प्रक्षेपित किया था।
दो ठोस मोटर ‘स्ट्रैप-ऑन’ (एस200), एक द्रव प्रणोदक कोर चरण (एल110) और एक क्रायोजेनिक चरण (सी25) वाला तीन चरण वाला एलवीएम 3-एम5 रॉकेट इसरो को जीटीओ में 4,000 किलोग्राम तक वजन वाले भारी संचार उपग्रहों को प्रक्षेपित करने में पूर्ण आत्मनिर्भरता प्रदान करता है।
एलवीएम3- को इसरो के वैज्ञानिक भू-समकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) एमके3 भी कहते हैं।
इसरो के वैज्ञानिकों ने मिशन के उद्देश्यों, लक्षित कक्षा, ऊंचाई आदि के आधार पर प्रक्षेपण यानों को वर्गीकृत किया है।
इसरो द्वारा उपयोग किए जाने वाले प्रक्षेपण यानों में ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी), जीएसएलवी) और एलवीएम3 (प्रक्षेपण यान मार्क-3) शामिल हैं। अंतरिक्ष एजेंसी 1999 से ग्राहकों के उपग्रहों के लिए श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपण सेवाएँ प्रदान करती रही है।
मिशन की सफलता में अपनी विश्वसनीयता के कारण, पीएसएलवी इसरो के वैज्ञानिकों के लिए एक विश्वसनीय रॉकेट रहा है। पीएसएलवी एक बहु-उपयोगी प्रक्षेपण यान रहा है और लगभग 1,750 किलोग्राम का पेलोड ले जा सकता है।
रविवार के मिशन के संदर्भ में, एलवीएम3 रॉकेट का महत्व इसलिए भी है, क्योंकि इसने भारतीय धरती से भारी संचार उपग्रह का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया है। इसरो ने बताया कि एलवीएम3-एम5 पाँचवीं अभियानगत उड़ान है।
एलवीएम3 यान को सी25 क्रायोजेनिक चरण सहित पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से विकसित किया गया है। इसरो ने बताया कि दिसंबर 2014 में प्रक्षेपित पहली विकास उड़ान ‘एलवीएम-3 क्रू मॉड्यूल एटमॉस्फेरिक री-एंट्री एक्सपेरिमेंट’(केयर) से लेकर सभी सफल प्रक्षेपणों का इसका रिकॉर्ड रहा है।
इसरो ने कहा कि महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन के लिए अंतरिक्ष एजेंसी ने ‘मानव रेटेड एलवीएम 3’ रॉकेट की प्रक्षेपण यान के रूप में योजना बनाई थी, जिसे एचआरएलवी नाम दिया गया है।
एलवीएम3 यान अपने शक्तिशाली क्रायोजेनिक चरण के साथ 4,000 किलोग्राम वजन का पेलोड जीटीओ तक तथा 8,000 किलोग्राम वजन का पेलोड पृथ्वी की निचली कक्षा तक ले जाने में सक्षम है।
एलवीएम-3 रॉकेट ने इससे पहले चंद्रयान-3 का सफल प्रक्षेपण किया था, जिसके जरिये भारत 2023 में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक उतरने वाला पहला देश बन गया। उस उपग्रह का वजन 3841.4 किलोग्राम था।
भाषा
नेत्रपाल