विधायक विकास और जनकल्याण के कार्यों को पूरी निष्ठा से करें: मुर्मू
दीप्ति मनीषा संतोष
- 03 Nov 2025, 03:08 PM
- Updated: 03:08 PM
(तस्वीरों सहित)
देहरादून, तीन नवंबर (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सोमवार को विधायकों को जनता और शासन के बीच की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी बताया और उनसे आग्रह किया कि वे विकास एवं जनकल्याण के कार्यों को पूरी निष्ठा और दलगत राजनीति से ऊपर उठकर करें।
मुर्मू ने विधायकों से समाज के वंचित वर्गों के लिए संवेदनशीलता से कार्य करने का आग्रह किया।
उत्तराखंड राज्य की स्थापना की रजत जयंती के उपलक्ष्य में यहां आयोजित विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि विधानसभाएं हमारी संसदीय प्रणाली का प्रमुख स्तम्भ हैं जिसमें संविधान निर्माताओं ने निरंतर उत्तरदायित्व को अधिक महत्व दिया था।
उन्होंने कहा कि विधायक जनता और शासन के बीच की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी हैं और जमीनी स्तर पर क्षेत्र की जनता से जुड़कर लोगों की सेवा करने का मौका मिलना एक सौभाग्य की बात है।
इस संबंध में एक विधायक के तौर पर अपने अनुभव का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘यदि विधायक सेवा-भाव से निरंतर जनता की समस्याओं के समाधान तथा उनके कल्याण में सक्रिय रहेंगे तो जनता और जनप्रतिनिधि के बीच विश्वास का बंधन अटूट बना रहेगा।’’
उन्होंने विधायकों से आग्रह किया, ‘‘विकास तथा जन-कल्याण के कार्यों को आप सब पूरी निष्ठा के साथ आगे बढ़ाएं। ऐसे कार्य दलगत राजनीति से ऊपर होते हैं। समाज के वंचित वर्गों के कल्याण एवं विकास पर आप सब विशेष संवेदनशीलता के साथ कार्य करें।’’
राष्ट्रपति ने विधायकों से कहा कि युवा पीढ़ी को विकास के अवसर प्रदान करना आपकी प्राथमिकता होनी चाहिए।
प्रदेश की स्थापना की रजत जयंती के लिए बधाई देते हुए मुर्मू ने दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जिक्र किया जिनके कार्यकाल के दौरान नवंबर 2000 में उत्तराखंड राज्य की स्थापना हुई थी।
उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि अपनी 25 वर्षों की यात्रा में उत्तराखंड ने पर्यावरण, ऊर्जा, पर्यटन, स्वास्थ्य, शिक्षा, अवस्थापना, डिजिटल और भौतिक संपर्क सहित अनेक क्षेत्रों में विकास के प्रभावशाली लक्ष्य हासिल किए हैं जिससे राज्य में मानव विकास सूचकांक के कई मानकों में सुधार हुआ है ।
राष्ट्रपति ने कहा कि प्रदेश की 25 वर्ष की विकास-यात्रा विधायकों के योगदान से ही संभव हो पाई है।
उन्होंने विधायकों से अपेक्षा की कि वे जनाकांक्षाओं को सक्रिय रूप से अभिव्यक्त करते रहेंगे और ‘राष्ट्र सर्वोपरि’ की भावना के साथ राज्य तथा देश को विकास-पथ पर तेजी से आगे ले जाएंगे।
प्रदेश में महिला सशक्तीकरण के प्रयासों की सराहना करते हुए राष्ट्रपति ने उम्मीद जाहिर की कि राज्य की आंदोलनकारी सुशीला बलूनी, पर्वतारोही बछेन्द्री पाल, चिपको आंदोलन से जुड़ीं नेत्री गौरा देवी, पर्यावरणविद राधा भट्ट और हॉकी खिलाड़ी वंदना कटारिया जैसी असाधारण महिलाओं की गौरवशाली परंपरा आगे बढ़ेगी।
मुर्मू ने कहा कि ऋतु खंडूरी भूषण को पहली महिला विधानसभा अध्यक्ष नियुक्त करके उत्तराखंड विधान सभा ने अपना गौरव बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि वह चाहती हैं कि सभी हितधारकों के सक्रिय प्रयास से उत्तराखंड विधानसभा में महिलाओं की संख्या में बढ़ोतरी हो ।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की इस देवभूमि से अध्यात्म और शौर्य की परंपराएं प्रवाहित होती रही हैं जहां के युवाओं में भारतीय सेना में जाकर मातृ-भूमि की रक्षा करने के प्रति उत्साह दिखाई देता है। उन्होंने इसे सभी देशवासियों के लिए गर्व की बात बताया ।
राष्ट्रपति ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने के लिए भी उत्तराखंड विधानसभा के सदस्यों की सराहना की। उन्होंने अब तक राज्य विधानसभा में पारित हुए 550 से अधिक विधेयकों में से विशेष रूप से उत्तराखंड लोकायुक्त विधेयक, उत्तराखंड जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था विधेयक तथा नकल विरोधी विधेयक का उल्लेख किया।
उन्होंने उत्तराखंड में अनुपम प्राकृतिक संपदा और सौन्दर्य का जिक्र करते हुए कहा कि प्रकृति के इन उपहारों का संरक्षण करते हुए ही विकास के मार्ग पर राज्य को आगे ले जाना है।
इस मौके पर उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य तथा विधायक मौजूद रहे ।
भाषा दीप्ति मनीषा