सरकार राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करेगी: सीतारमण
रमण अजय
- 04 Nov 2025, 07:35 PM
- Updated: 07:35 PM
नयी दिल्ली, चार नवंबर (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को भरोसा जताया कि सरकार मार्च, 2026 को समाप्त वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.4 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल कर लेगी।
वित्त मंत्री ने फरवरी में संसद में पेश किए गए केंद्रीय बजट में 2025-26 में राजकोषीय घाटा 15.69 लाख करोड़ रुपये यानी सकल घरेलू उत्पाद का 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था, जबकि 2024-25 में यह 4.8 प्रतिशत था।
सीतारमण ने यहां दिल्ली स्कूल ऑफ इकॉनमिक्स (डीएसई) में हीरक जयंती समापन समारोह को संबोधित करने के बाद छात्रों से बातचीत में यह बात कही।
उन्होंने कहा, ‘‘ईश्वर की इच्छा और प्रधानमंत्री से मिले हर समर्थन के साथ, हम राजकोषीय घाटे के उस लक्ष्य को प्राप्त करने में सक्षम होंगे...। यह संसद में जतायी गयी प्रतिबद्धता है और इसका पालन करना मेरा कर्तव्य है।’’
महालेखा नियंत्रक (सीजीए) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 की पहली छमाही के अंत में केंद्र का राजकोषीय घाटा पूरे वर्ष के लक्ष्य का 36.5 प्रतिशत रहा।
वित्त मंत्री वित्त वर्ष 2026-27 का केंद्रीय बजट फरवरी में पेश करेंगी।
सीतारमण ने कहा कि अब से सरकार का ध्यान ऋण-जीडीपी अनुपात पर रहेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘... यह हमारे लिए और विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है। हमें सतर्कता के साथ सुधारों और सूझबूझ वाले राजकोषीय प्रबंधन के मार्ग पर चलने की आवश्यकता है। यह प्रत्येक वित्त मंत्री की जिम्मेदारी है।’’
वित्त वर्ष 2025-26 के बजट अनुमान में केंद्र सरकार का ऋण सकल घरेलू उत्पाद का 56.1 प्रतिशत होने का अनुमान है, जो 2024-25 के संशोधित अनुमान में सकल घरेलू उत्पाद के 57.1 प्रतिशत से कम है।
संशोधित राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) अधिनियम के अनुसार, सरकार को वित्त वर्ष 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को 4.5 प्रतिशत से कम करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है।
सीतारमण ने अपने संबोधन में कहा कि नागरिकों को खुद पर और देश की अर्थव्यवस्था पर विश्वास करना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें उन लोगों के बहकावे में नहीं आना चाहिए जो कहते हैं कि हमारी अर्थव्यवस्था ठीक नहीं है। 140 करोड़ लोगों के देश को कौन बता सकता है कि हमारी अर्थव्यवस्था मृतप्राय है? बाहर के लोगों का हम पर ताना मारना ठीक है, लेकिन देश के लोगों को अपने लोगों के प्रयासों और उपलब्धियों की कभी निंदा नहीं करनी चाहिए।’’
भाषा रमण