इमारत गिराने के मामले की फाइल रोकने पर उच्च न्यायालय ने रजिस्ट्री अधिकारियों को लगाई फटकार
सं जफर खारी
- 04 Nov 2025, 09:16 PM
- Updated: 09:16 PM
लखनऊ, चार नवंबर (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने शहर के खुर्रम नगर इलाके में एक कथित अवैध इमारत गिराने से संबंधित महत्वपूर्ण फाइल प्रस्तुत न करने पर रजिस्ट्री के वरिष्ठ अधिकारियों को मंगलवार को कड़ी फटकार लगाई।
न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति राजीव भारती की खंडपीठ ने संयुक्त रजिस्ट्रार, उप रजिस्ट्रार और सहायक रजिस्ट्रार को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा कि ‘‘सुनवाई में सहयोग न करने, आवश्यक सुविधा न देने और फाइल रोककर कार्यवाही में बाधा डालने’’ के लिए क्यों न उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जाए।
पीठ ने वरिष्ठ रजिस्ट्रार को जांच कर 10 नवंबर तक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।
पीठ ने फाइल प्रस्तुत न किए जाने पर नाखुशी प्रकट करते हुए कहा, ‘‘यह एक महत्वपूर्ण मामला है, जिसमें 2016 से ध्वस्तीकरण के आदेश लागू नहीं हुए हैं। प्रथम दृष्टया इसमें एलडीए (लखनऊ विकास प्राधिकरण) अधिकारियों की मिलीभगत के संकेत हैं। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए, इसे आज के लिए प्रथम वरीयता के रूप में सूचीबद्ध किया गया था।’’
पिछले आदेशों के अनुपालन में, एलडीए के उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार ऑनलाइन माध्यम से सुनवाई में शामिल हुए, लेकिन फाइल प्रस्तुत न होने के कारण अदालत ने सुनवाई स्थगित कर दी और उन्हें अगली तारीख पर फिर से उपस्थित होने का निर्देश दिया।
जनहित याचिका 2016 में हेमंत कुमार मिश्रा द्वारा दायर की गई थी, जिसमें खुर्रम नगर स्थित एक अवैध इमारत को तोड़ने के आदेश को लागू करने का अनुरोध किया गया था। आदेश के बावजूद वर्षों तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। हाल में खंडपीठ द्वारा मामला पुनः शुरू करने के बाद, अदालत ने एलडीए से देरी पर बार-बार स्पष्टीकरण मांगा।
इस बीच, बिल्डर फारूक सिद्दीकी ने एलडीए अध्यक्ष के समक्ष विलंबित अपील दायर की और बाद में एकल न्यायाधीश के समक्ष एक रिट याचिका लगाई। एकल न्यायाधीश ने 11 सितंबर 2025 को अपील के निपटारे तक तोड़फोड़ की कार्रवाई पर रोक लगा दी।
जब खंडपीठ को इस आदेश की जानकारी हुई तो उसने 22 सितंबर 2025 को नाखुशी प्रकट करते हुए रजिस्ट्री से फाइल तलब की। साथ ही पूछा कि जब ऐसे मामलों की सुनवाई सामान्यतः खंडपीठ द्वारा की जाती है, तो यह मामला एकल न्यायाधीश के समक्ष कैसे सूचीबद्ध किया गया।
मंगलवार को यह जनहित याचिका अदालत में पहले मामले के रूप में सूचीबद्ध थी, लेकिन फाइल अब तक प्रस्तुत नहीं की गई थी।
पीठ ने यह भी टिप्पणी की कि मामले के कागजात न्यायाधीशों के आवास पर पूर्व तैयारी के लिए नहीं भेजे गए थे। पीठ के सचिव ने बताया कि संबंधित रजिस्ट्री अधिकारियों को फोन पर कई बार संपर्क करने के बावजूद कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
जब अदालत ने संयुक्त, उप, और सहायक रजिस्ट्रार की उपस्थिति के बारे में पूछा तो वरिष्ठ रजिस्ट्रार ने बताया, ‘‘अधिकारी अभी तक उच्च न्यायालय नहीं पहुंचे हैं और रास्ते में हैं।’’
भाषा सं जफर