स्थानीय निकाय चुनाव: एमवीए ने मतदाता सूची में सुधार की मांग की, महायुति ने कहा-विपक्ष हार की ओर
पारुल माधव
- 04 Nov 2025, 10:04 PM
- Updated: 10:04 PM
मुंबई, चार नवंबर (भाषा) महाराष्ट्र में विपक्षी गठबंधन महा विकास आघाडी (एमवीए) ने मंगलवार को निर्वाचन आयोग की ओर से स्थानीय निकाय चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा किए जाने के बाद “विंसगतियों” मतदाता सूचियों में सुधार की अपनी मांग दोहराई। हालांकि, सत्तारूढ़ महायुति ने एमवीए की इस मांग को आसन्न हार के एहसास के बीच चुनाव टालने का बहाना करार दिया।
एमवीए में शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे (शिवसेना उबाठा), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार (राकांपा एसपी) और कांग्रेस शामिल हैं। विपक्षी गठबंधन ने कहा कि निर्वाचन आयोग मतदाता सूची में दोहरी प्रविष्टियों को हटाने सहित कोई भी सुधार किए बिना ही चुनावों को लेकर आगे बढ़ रहा है।
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग सरकार के हाथों की कठपुतली है।
वहीं, सत्तारूढ़ महायुति ने कहा कि मतदाता सूची में सुधार एक सतत प्रक्रिया है। उसने स्थानीय निकाय चुनावों में अपनी जीत का भरोसा भी जताया। महायुति में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और शिवसेना शामिल हैं।
महाराष्ट्र में 246 नगर परिषदों और 42 नगर पंचायतों के चुनाव के लिए मतदान दो दिसंबर को होगा, जबकि वोटों की गिनती तीन दिसंबर को की जाएगी।
महाराष्ट्र के मंत्री और वरिष्ठ शिवसेना नेता उदय सामंत ने चुनाव कार्यक्रम की घोषणा का स्वागत किया और भरोसा जताया कि सत्तारूढ़ गठबंधन इसमें भारी जीत हासिल करेगा।
वहीं, भाजपा नेता सुभाष देशमुख ने कहा कि स्थानीय निकाय चुनाव जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं के होते हैं और अब उनकी कड़ी मेहनत एवं दृढ़ता की परीक्षा होगी।
देशमुख ने कहा, “मतदाता सूची में दोहरी प्रविष्टियां कोई नयी बात नहीं हैं और चुनाव अधिकारी सूची को अद्यतन करते रहते हैं, क्योंकि यह एक सतत प्रक्रिया है। मतदाता सूची को अद्यतन करना आवश्यक है, क्योंकि कई मतदाता पलायन कर जाते हैं या उनकी मौत हो जाती है। राजनीतिक दल (सूची में किसी भी गलती के लिए) दोषी नहीं हैं।”
दूसरी ओर, शिवसेना (उबाठा) नेता अंबादास दानवे ने कहा कि उनका गुट चुनावों के लिए तैयार है। हालांकि, उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि दोहरी प्रविष्टियों के संबंध में “स्पष्टता का अभाव” है।
दानवे ने कहा कि संभावित दोहरी प्रविष्टि वाले मतदाताओं के नाम के आगे दोहरा तारांक लगाने के बजाय, ऐसे नाम हटा दिए जाने चाहिए।
उन्होंने कहा कि शिवसेना (उबाठा) अध्यक्ष उद्धव ठाकरे का मराठवाड़ा क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित इलाकों का निर्धारित दौरा (पांच नवंबर से) मंगलवार से लागू आदर्श आचार संहिता के बावजूद तय कार्यक्रम के अनुसार होगा।
दानवे के सहयोगी और राज्य के पूर्व मंत्री अनिल परब ने कहा कि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि दोहरी प्रविष्टि वाले मतदाताओं को अलग-अलग मतदान केंद्रों पर वोट डालने से कैसे रोका जाएगा।
कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने निर्वाचन आयोग पर सरकारी दबाव में काम करने और मतदाता सूचियों में विसंगतियों को दूर करने की अपनी जिम्मेदारी से भागने का आरोप लगाया।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “मतदाता सूची में भारी विंसगतियों को दूर किए बिना स्थानीय निकाय चुनावों की घोषणा अनुचित है। निर्वाचन आयोग का दावा है कि वह दोहरी प्रविष्टि वाले मतदाताओं के नाम के आगे दोहरे तारांक का निशान लगाएगा, लेकिन वह उन्हें हटाकर सूची को त्रुटि-मुक्त क्यों नहीं बनाता? आयोग का आचरण ‘दस नंबरी’ है और वह स्पष्ट रूप से सरकारी दबाव में है।”
सपकाल ने बताया कि स्थानीय निकाय चुनावों के लिए उम्मीदवारों के नामों को अंतिम रूप देने के लिए प्रदेश कांग्रेस चुनाव समिति की बैठक 12 और 13 नवंबर को होगी।
उन्होंने आरोप लगाया, “सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल निर्वाचन आयोग से मिलकर मतदाता सूचियों में सुधार की मांग कर चुके हैं, लेकिन आयोग ने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया है। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना उसका संवैधानिक कर्तव्य है, लेकिन वह अपनी जिम्मेदारी से भाग रहा है। अब जनता खुद उन्हें सबक सिखाएगी।”
कांग्रेस नेता नाना पटोले ने कहा कि पार्टी महायुति सरकार के खिलाफ लोगों में व्याप्त “जबरदस्त गुस्से” को उजागर करने के लिए चुनाव लड़ेगी।
महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और राकांपा (एसपी) नेता अनिल देशमुख ने कहा कि सभी विपक्षी दल मतदाता सूची में सुधार की मांग कर रहे हैं, लेकिन निर्वाचन आयोग ने उनकी मांग पर कोई कार्रवाई नहीं की है।
उन्होंने आरोप लगाया, “निर्वाचन आयोग सत्तारूढ़ गठबंधन के दबाव में काम कर रहा है। सूची को सही करने के बजाय, वह चुनावों के साथ आगे बढ़ रहा है।”
मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग से एक स्वायत्त संस्था होने की उम्मीद की जाती है, लेकिन वह सत्तारूढ़ गठबंधन के हाथों की एक कठपुतली मात्र है।
उन्होंने पूछा, “अगर निर्वाचन आयोग दोहरी प्रविष्टियों और मतदाता सूचियों में विभिन्न अनियमितताओं के बारे में बुनियादी सवालों का भी जवाब नहीं दे सकता, तो उसके होने का मतलब क्या है?”
राज ने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग चुनाव प्रणाली को प्रभावित करने वाले विभिन्न मुद्दों का जवाब देने या उनकी जवाबदेही लेने में विफल होकर अपनी जिम्मेदारी से भाग रहा है।
उन्होंने कहा कि विभिन्न हितधारकों की ओर से उठाई गई चिंताओं का समाधान करने में आयोग की अनिच्छा “मतदाताओं का सीधा अपमान है।”
भाषा पारुल