मुंब्रा रेल दुर्घटना: रेलवे कर्मचारियों ने बदले गए ट्रैक की वेल्डिंग ठीक से नहीं की थी- पुलिस
राखी सुरेश
- 05 Nov 2025, 07:41 PM
- Updated: 07:41 PM
मुंबई, पांच नवंबर (भाषा) मुंबई के उपनगर मुंब्रा में नौ जून को हुई ट्रेन दुर्घटना की जांच में यह सामने आया है कि हादसे से चार दिन पहले रेलवे कर्मचारियों ने पटरियों के एक हिस्से को बदला था, लेकिन उसकी वेल्डिंग नहीं की गयी थी, जिसके कारण यह हादसा हुआ। पुलिस ने यह जानकारी दी।
राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) द्वारा दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, असमतल पटरियों की वजह से उस लाइन पर चल रही ट्रेन समानांतर लाइन की ओर झुक गई और कई यात्री गिर पड़े। इस हादसे में पांच लोगों की मौत हुई थी।
इसमें कहा गया है कि संबंधित रेलवे अधिकारियों और कर्मचारियों को इस बात का अंदाजा था कि प्रतिस्थापित ट्रैक को जोड़ा (वेल्ड) नहीं गया था।
यह घटना पड़ोसी ठाणे जिले के दिवा और मुंब्रा रेलवे स्टेशनों के बीच उस समय घटी जब दो ट्रेन एक तीव्र मोड़ पर (मुंब्रा स्टेशन के पास) एक-दूसरे को पार कर रही थीं। इनमें से एक ट्रेन कसारा और दूसरी मुंबई में छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) की ओर जा रही थी।
पुलिस के अनुसार, कोच के फुटबोर्ड पर खड़े कुछ यात्री उस समय पटरी पर गिर गए जब उनके बैग आपस में टकरा गए। एक नवंबर को इस मामले में सहायक मंडल अभियंता विशाल डोलस, वरिष्ठ अनुभाग अभियंता समर यादव और रेलवे ट्रैक के रखरखाव के लिए जिम्मेदार अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
आरोपी कर्मचारियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 105 (गैर इरादतन हत्या) और धारा 125(क) एवं (ख) (दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कार्य) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
ठाणे जीआरपी ने इससे पहले इस घटना में आकस्मिक मृत्यु का मामला दर्ज किया था।
जीआरपी द्वारा दर्ज प्राथमिकी में कहा गया है, ‘‘भारी वर्षा के कारण मुंब्रा रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर-चार के पास की नाली जाम हो गई थी। इसके परिणामस्वरूप मुंब्रा स्टेशन के पास प्लेटफॉर्म नंबर तीन और चार की पटरियों पर पानी भर गया तथा रेलवे ट्रैक के नीचे की बजरी बह गई।’’
प्राथमिकी में कहा गया है, ‘‘रेलवे पटरियों के नीचे लगाए गए लैशिंग पैड (रेल पैड) निकल गए और प्लेटफॉर्म तथा ट्रैक के नीचे की जमीन धंस गई। स्टेशन के पास ट्रैक नंबर-चार पर पांच जून की आधी रात के बाद रेल की एक पटरी का हिस्सा बदला गया, लेकिन उसकी वेल्डिंग नहीं की गई।’’
प्राथमिकी में कहा गया है, ‘‘स्टेशन के पास अप थ्रू रेलवे ट्रैक के सेक्शन 28 पर रेल पटरियां ऊंची-नीची थीं, क्योंकि इनकी वेल्डिंग नहीं की गई थी। डोलस, यादव और रेलवे ट्रैक के रखरखाव के लिए जिम्मेदार अन्य अधिकारियों एवं कर्मचारियों को इस बात की जानकारी थी कि वेल्डिंग का कार्य नहीं हुआ है।’’
एक अधिकारी ने बताया कि छह जून को डोलस और यादव ने रेलवे ट्रैक पर ध्यान देने के लिए एक ‘कॉशन ऑर्डर’ प्राप्त किया था और उसके अनुसार उन्होंने अप थ्रू और डाउन थ्रू खंभों के बीच रखरखाव कार्य करने की योजना बनाई थी, लेकिन हादसे के समय तक कोई भी रखरखाव कार्य नहीं किया गया।
अधिकारी ने बताया कि ठाणे नगर निगम (टीएमसी) के कार्यकारी अभियंता ने डोलस को रेलवे ट्रैक के नीचे स्थित नाली के रखरखाव कार्य के बारे में अवगत कराया था। यह कार्य तत्काल किए जाने की आवश्यकता थी, लेकिन रेलवे अधिकारियों ने इसे अंजाम नहीं दिया।
अधिकारी ने बताया कि ट्रैक नंबर चार का एक हिस्सा ऊंचा था, जबकि दूसरा हिस्सा नीचा था। इसी कारण उस ट्रैक से गुजर रही उपनगरीय लोकल ट्रेन झुककर बगल के ट्रैक नंबर-तीन की ओर चली गई, जिससे दोनों पटरियों के बीच का फासला काफी कम हो गया। इन ट्रैक पर चल रही रेलगाड़ियां एक-दूसरे के बेहद करीब आ गईं और इसी से यह दुर्घटना हुई।
अधिकारी के अनुसार, वीरमाता जीजाबाई प्रौद्योगिक संस्थान (वीजेआईटीआई) की तकनीकी जांच टीम ने भी अपनी रिपोर्ट में पुष्टि की है कि यह दुर्घटना रेलवे ट्रैक पर रखरखाव कार्य न किए जाने के कारण हुई थी।
भाषा
राखी