जौनसार में केवल तीन गहने पहनकर विवाह समारोह में शामिल होने के पंचायत के फैसले का पालन शुरू
दीप्ति सुरभि
- 08 Nov 2025, 03:41 PM
- Updated: 03:41 PM
देहरादून, आठ नंवबर (भाषा) उत्तराखंड के जौनसार अनुसूचित जनजाति क्षेत्र में दो गांवों की पंचायत द्वारा महिलाओं के केवल तीन आभूषण पहनकर ही विवाह समारोहों में शामिल होने के निर्णय का लोगों ने उत्साह से पालन शुरू कर दिया है।
देहरादून जिले में यमुना और टोंस नदियों के बीच स्थित इस क्षेत्र के दो गांवों - कंधाड़ और इंदरौली गांवों की संयुक्त पंचायत ने करीब डेढ़ माह पहले यह फैसला सुनाया था कि अब महिलाएं विवाह समारोहों में केवल नाक में लौंग, कानों में बुंदे तथा गले में मंगलसूत्र पहनकर ही शामिल होंगी और यह फैसला नहीं मानने वालों पर पचास हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
कंधाड़ गांव के सरपंच प्रताप सिंह चौहान ने ‘पीटीआई भाषा’ को बताया कि पंचायत ने ज्यादा आभूषण पहनकर खुद को औरों से अधिक संपन्न दिखाने की होड़ से बढ़ रही सामाजिक असमानता तथा आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों में इसके कारण होने वाले घरेलू कलह पर अंकुश लगाने के मद्देनजर यह निर्णय लिया था।
उन्होंने बताया कि सामाजिक समरूपता के उद्देश्य से लिए गए इस निर्णय का दोनों गांवों के कुल 42 परिवारों की महिलाओं ने बहुत प्रसन्नता और उत्साह से तत्काल पालन शुरू कर दिया है।
प्रताप सिंह ने बताया, ‘‘यह फैसला किए जाने के बाद हमारे गांव में दो लड़कों की शादियां हुई हैं जिसमें महिलाएं तीन गहने पहनकर ही शामिल हुईं। यही नहीं, मंगार और तुंगड़ा गांव से आयी उनकी दुल्हनें भी इसका पालन करते हुए केवल तीन गहनें पहनकर ही अपनी ससुराल आयीं।’’
महिलाएं, पंचायत के इस फैसले में पूरी तरह से उनके साथ हैं लेकिन उनका कहना है कि केवल गहनों की संख्या सीमित करने से सामाजिक समानता नहीं आएगी और इसके लिए विवाह समारोहों में महंगी शराब परोसे जाने के चलन पर भी रोक लगनी चाहिए।
क्षेत्र की निवासी अमला चौहान ने कहा, ‘‘अगर समानता लानी है तो सिर्फ महिलाओं के आभूषणों पर ही रोक क्यों? पुरुषों के शराब पीने पर भी रोक लगनी चाहिए। सोना निवेश है, मुश्किल समय में काम आता है। शराब और अन्य फिजूलखर्ची का क्या उपयोग है?’’
इन सवालों पर प्रताप सिंह ने कहा कि महिलाओं की मांग भी सही है और हम जल्द विवाह समारोहों में शराब पर रोक लगाएंगे। उन्होंने कहा, ‘‘पंचायत की अगली बैठक में हम इस पर भी फैसला करेंगे।’’
प्रताप सिंह ने उम्मीद जाहिर की कि समाज में समानता लाने के लिए उनकी पंचायत द्वारा की गयी इस पहल से क्षेत्र की अन्य पंचायतें भी प्रेरित होंगी।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और चकराता से विधायक प्रीतम सिंह ने भी इस फैसले को एक अच्छा कदम बताया। उन्होंने कहा, ‘‘समाज में रहने वाले हर व्यक्ति की आर्थिक हैसियत अलग होती है। पंचायत के इस निर्णय से समाज में समरूपता के साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति पर दवाब भी खत्म होगा।’’
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता जोत सिंह बिष्ट ने कहा कि ऐसे निर्णयों से समाज में बढ़ रही प्रतिस्पर्धा और दिखावे की प्रवृत्ति पर अंकुश लगता है और यह प्रशंसनीय है।
विकासनगर से भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि हमारी पंचायतें पहले से ही सामाजिक सुधारों की दिशा में काम करती रही हैं और इस पंचायत की यह पहल भी अन्यों के लिए प्रेरणादायक साबित होगी।
अनुसूचित जनजाति क्षेत्र का दर्जा प्राप्त जौनसार में पंचायतों की खास भूमिका है। कई मामलों में पंचायत का फैसला आज भी अंतिम माना जाता है और स्थानीय लोग इसका पूरी गंभीरता से पालन करते हैं।
भाषा दीप्ति