मशहूर अभिनेत्री कामिनी कौशल का 98 साल की उम्र में निधन
जितेंद्र नरेश
- 14 Nov 2025, 05:02 PM
- Updated: 05:02 PM
मुंबई, 14 नवंबर (भाषा) फिल्म ‘नीचा नगर’ से 1946 में अपने फिल्मी करियर की शुरुआत करने वाली हिंदी सिनेमा की शुरुआती अभिनेत्रियों में से एक मशहूर अदाकारा कामिनी कौशल का उनके मुंबई स्थित घर में निधन हो गया। एक करीबी पारिवारिक मित्र ने यह जानकारी दी।
वह 98 वर्ष की थीं।
कामिनी कौशल ने 2022 तक कई फिल्मों में अभिनय किया।
1940 के दशक के अंत और 1950 की शुरुआत में इंडस्ट्री में सबसे अधिक फीस लेने वाली अभिनेत्रियों में से एक कामिनी कौशल ने दिलीप कुमार, देव आनंद और राज कपूर की तिकड़ी के साथ अभिनय किया। 1960 में उन्होंने फिल्मों में मुख्य किरदार निभाने शुरू किये थे।
कामिनी ने 95 वर्ष की आयु में आमिर खान की 2022 में आई फिल्म ‘लाल सिंह चड्ढा’ में काम किया था, जिसके साथ ही उन्होंने फिल्मों में 76 साल पूरे किये।
परिवार के एक करीबी मित्र साजन नारायण ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “बृहस्पतिवार देर रात मुंबई स्थित घर में कामिनी का निधन हो गया। फरवरी में वह 99 वर्ष की होने वाली थीं।”
कामिनी कौशल का जन्म 24 फरवरी, 1927 को लाहौर में हुआ था और उनका उस समय नाम उमा कश्यप था।
कामिनी के पिता, शिव राम कश्यप को व्यापक रूप से भारतीय वनस्पति विज्ञान का जनक माना जाता है और वह विभाजन-पूर्व लाहौर में पंजाब विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में पढ़ाते थे।
दो भाइयों और तीन बहनों में सबसे छोटी कामिनी ने लाहौर के सरकारी कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
कामिनी के फिल्मी करियर की शुरुआत 1946 में आई फिल्म ‘नीचा नगर’ से हुई। कामिनी को उनके पारिवारिक मित्र और फिल्म निर्माता चेतन आनंद ने फिल्म में काम के लिए संपर्क किया था।
फिल्म ने 1946 में कान फिल्म फेस्टिवल में ‘ग्रां प्री डू फेस्टिवल इंटरनेशनल डू फिल्म’ पुरस्कार जीता था।
फिल्म में कामिनी ने अभिनेता रफीक अनवर और आनंद की पत्नी उमा के साथ अभिनय किया था।
चेतन आनंद ही थे, जिन्होंने फिल्म में काम कर रही दो उमा के बीच भ्रम से बचने के लिए उनका नाम कामिनी कौशल रखा था।
‘नीचा नगर’ की सफलता के बाद कामिनी कौशल ने हिंदी सिनेमा की तिकड़ी दिलीप कुमार, देव आनंद और राज कपूर के साथ ‘जेल यात्रा’, ‘दो भाई’, ‘आग’, ‘शहीद’, ‘नदिया के पार’, ‘जिद्दी’, ‘शबनम’ और ‘आरजू’ जैसी फिल्मों में बड़ी भूमिकाएं निभाईं।
उन्होंने फिल्म निर्माता बिमल रॉय की प्रशंसित 1954 की फिल्म ‘बिराज बहू’ में मुख्य भूमिका निभाई, जिसने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता और उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला।
कामिनी कौशल ने प्रेमचंद के प्रसिद्ध उपन्यास ‘गोदान’ के फिल्म रूपांतरण में भी मुख्य भूमिका निभाई।
मनोज कुमार की 1967 में आई हिट फिल्म ‘उपकार’ के साथ कामिनी स्क्रीन पर मां की भूमिकाओं में आने लगीं।
उस वक्त वह सिर्फ 40 साल की थीं।
कामिनी कौशल ने कुमार की अन्य हिट फिल्मों जैसे ‘पूरब और पश्चिम’, ‘संन्यासी’, ‘शोर’, ‘रोटी कपड़ा और मकान’, ‘दस नंबरी’ और ‘संतोष’ में अभिनय किया, जिनमें से प्रत्येक में उन्होंने मां की भूमिका निभाई।
कामिनी कौशल ने 1974 में आई फिल्म ‘प्रेम नगर’ और 1976 में ‘महा चोर’ में राजेश खन्ना की मां की भूमिका भी निभाई।
वह 1984 में एक लोकप्रिय ब्रिटिश टेलीविजन धारावाहिक ‘द ज्वेल इन द क्राउन’ में आंटी शालिनी के रूप में दिखाई दीं।
अपने करियर के दौरान फिल्म के चयन में कोताही बरतने के बावजूद कामिनी कौशल ने अंत तक फिल्मों में काम किया।
कामिनी, अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में शाहरुख खान अभिनीत ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ और शाहिद कपूर की फिल्म ‘कबीर सिंह’ में भी दिखाई दीं।
वह 95 वर्ष की थीं, जब उन्होंने ‘लाल सिंह चड्ढा’ में ट्रेन में यात्रा कर रही एक बुजुर्ग महिला की भूमिका निभाई थी।
फिल्मों के अलावा कामिनी कौशल ने कई टेलीविजन शो में भी काम किया, जिनमें दूरदर्शन पर ‘चांद सितारे’, स्टारप्लस पर ‘शन्नो की शादी’ और डीडी नेशनल पर ‘वक्त की रफ्तार’ शामिल हैं।
कामिनी कौशल ने 1948 में एक कार दुर्घटना में अपनी बहन की मृत्यु के बाद जीजा बीएस सूद से शादी की और दो बेटियों की सौतेली मां बन गईं।
दंपति के तीन बेटे थे - राहुल, विदुर और श्रवण।
जैसे ही कामिनी के निधन की खबर आई, कई लोगों ने सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि दी।
प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने ‘एक्स’ पर कहा, “हम बहुमुखी कामिनी कौशल जी को श्रद्धांजलि देते हैं, जिनकी मनमोहक प्रस्तुतियों ने सात दशकों से अधिक के करियर में लाखों लोगों को मंत्रमुग्ध किया। परिवार के प्रति संवेदना।”
भाषा जितेंद्र