महिलाओं के लिए राजग की नकद सहायता योजना ने रुझान बदला: सहनी
संतोष हक
- 14 Nov 2025, 06:48 PM
- Updated: 06:48 PM
पटना, 14 नवंबर (भाषा) बिहार विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीतने वाली विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के संस्थापक मुकेश सहनी ने शुक्रवार को इसके लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(राजग) की महिलाओं को लक्षित नकद सहायता योजनाओं को ज़िम्मेदार ठहराया।
महागठबंधन की घटक वीआईपी अपने कोटे की 12 में से एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर सकी।
सहनी ने ‘पीटीआई-वीडियो’ से बातचीत में कहा कि यह परिणाम ‘‘जनता का जनादेश’’ है और इसे संगठनात्मक कमी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, “मतदाता हमारे संदेश से नहीं जुड़ पाए। उन्होंने नीतीश जी और मोदी जी पर विश्वास किया, और मैं दोनों को बधाई देता हूं।”
उनका कहना था, “हमने अपना संदेश दिया, गठबंधन के हर नेता ने अपनी बात पहंचाई। लेकिन अंततः जनता का फैसला ही सर्वोपरि है।’’
सहनी का तर्क था कि महिलाओं को प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता देने के राजग के वादे ने महागठबंधन की स्थिति को निर्णायक रूप से कमजोर किया।
उन्होंने विशेष रूप से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा 29 अगस्त को घोषित ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ (एमएमआरवाई) का उल्लेख किया, जिसके तहत महिलाओं को छोटी स्वरोजगार इकाइयों—जैसे दुकानें, डेयरी, सिलाई-कढ़ाई, ब्यूटी पार्लर या कला-शिल्प कारोबार शुरू करने के लिए किस्तों में 2.10 लाख रुपए देने का वादा किया गया है।
पहली किस्त के रूप में 10,000 रुपए पहले ही जीविका स्वयं सहायता समूह नेटवर्क से जुड़ी 1.21 करोड़ से अधिक महिलाओं के खातों में भेजे जा चुके हैं।
सहनी ने कहा, “गरीबी में जीने वाली हमारी माताओं-बहनों को लगा कि यह पैसा उनकी ज़िंदगी बदल देगा। स्वाभाविक रूप से उन्होंने उस वादे के अनुसार वोट किया।”
उन्होंने इस प्रवृत्ति को ‘‘सरकारी पैसे का चुनाव प्रचार में इस्तेमाल’’ करार दिया।
उन्होंने तर्क दिया कि राजनीति में बदलाव ‘आधी रात को ताकतवर लोगों द्वारा बांटे जाने वाले काले धन’ से ‘दिनदहाड़े वितरित हो रहे सरकारी धन’ तक पहुंच गया है।
सहनी का कहना था, “पहले प्रभावशाली जातियों के लोग चोरी-छिपे वोट खरीदते थे, अब सरकार खुद यह काम कानूनी रूप से कर रही है।’’
सहनी ने यह भी कहा कि वीआईपी यह सुनिश्चित करने के लिए संघर्ष जारी रखेगी कि महिलाओं को एमएमआरवाई की शेष किस्तें मिलें।
उन्होंने कहा, “हम मैदान में रहेंगे और सरकार को उसके वादे की याद दिलाते रहेंगे।”
भाषा कैलाश
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