‘एसआईआर’ का समर्थन करने के लिए अन्नाद्रमुक का उच्चतम न्यायालय जाना 'शर्मनाक': मुख्यमंत्री स्टालिन
तान्या दिलीप
- 14 Nov 2025, 10:45 PM
- Updated: 10:45 PM
चेन्नई, 14 नवंबर (भाषा) मुख्यमंत्री और द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन ने शुक्रवार को मुख्य विपक्षी दल अन्नाद्रमुक की मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के समर्थन में उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करने के लिये आलोचना की।
कोलाथुर में पार्टी पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए द्रमुक प्रमुख ने कहा कि आज शहर में 'एसआईआर’ चर्चा का विषय है।
उन्होंने आरोप लगाया कि लोगों को यह साबित करने के लिए बाध्य किया जा रहा है कि "हम केवल भारतीय नागरिक हैं" और निर्वाचन आयोग ने लोगों पर यह भारी बोझ डाल दिया है।
स्टालिन तमिलनाडु विधानसभा में चेन्नई के कोलाथुर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।
इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि ऐसी स्थिति पैदा हो गई है कि लोगों को अपना वोट देने का अधिकार भी खोना पड़ सकता है। उन्होंने कहा, "आप अच्छी तरह जानते हैं कि इसे किसने पैदा किया है। केंद्र सरकार चलाने वाले शासकों ने यह स्थिति पैदा की है।"
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि जांच एजेंसियों का इस्तेमाल कर विपक्षी दलों द्वारा शासित कई राज्य सरकारों को परेशान करने की तरह, वे अब निर्वाचन आयोग का इस्तेमाल कर रहे हैं।
उन्होंने कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी के "वोट चोरी" के आरोपों का उल्लेख किया और कहा कि उनकी पार्टी ने ‘एसआईआर’ पर उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि एक भी वास्तविक मतदाता सूची से बाहर न रह जाए।
उन्होंने दो नवंबर को आयोजित बहुदलीय बैठक और 11 नवंबर को द्रमुक के नेतृत्व वाले गठबंधन द्वारा ‘एसआईआर’ के खिलाफ राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन को भी याद किया।
उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों से कहा, "आमतौर पर, आपको पार्टी को चुनाव जिताने की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। लेकिन इस बार, हमने आपको लोगों के मताधिकार को सुरक्षित रखने की बड़ी जिम्मेदारी भी सौंपी है।"
तमिलनाडु में मतदाता सूचियों की ‘एसआईआर’ प्रक्रिया पूरी करने के लिए निर्वाचन आयोग द्वारा चार नवंबर से चार दिसंबर तक निर्धारित एक महीने के समय का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, "हमारे पास ज्यादा समय नहीं है और आपको पहले इसे समझना होगा।"
उन्होंने ‘एसआईआर’ प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि मतदाता सूचियों में नामांकन के लिए, निर्वाचन आयोग द्वारा बीएलओ के माध्यम से मतदाताओं को एक गणना प्रपत्र वितरित किया जाता है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही ‘एसआईआर’ के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन कर चुकी हैं। इसी तरह, केरल में भी सत्ताधारी और विपक्षी दल मिलकर ‘एसआईआर’ का विरोध कर रहे हैं और विधानसभा ने इस संबंध में एक प्रस्ताव पारित किया है।
स्टालिन ने कहा, "हालांकि, तमिलनाडु में एक विपक्षी दल (मुख्य विपक्षी दल, अन्नाद्रमुक) है। वह विपक्षी दल के रूप में काम नहीं कर रहा है। अगर वह इसी तरह काम करता रहा, तो वह (मुख्य) विपक्षी दल होना तो दूर, हाशिये पर रहने वाली पार्टी भी नहीं रह पाएगा।"
मुख्यमंत्री ने विपक्ष के नेता अन्नाद्रमुक महासचिव एडप्पादी के पलानीस्वामी का नाम लिए बिना आरोप लगाया कि मुख्य विपक्षी दल दिल्ली में गिरवी है। उनका परोक्ष रूप से भाजपा की ओर इशारा था।
मुख्यमंत्री ने कहा, "ऐसी परिस्थितियों में, अन्नाद्रमुक ने दिल्ली द्वारा निर्धारित शर्तों को स्वीकार करते हुए ‘एसआईआर’ को समर्थन दिया है। वहीं, अन्य सभी दलों ने ‘एसआईआर’ का विरोध करते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।"
उन्होंने कहा, "यह शर्मनाक है कि अन्नाद्रमुक ‘एसआईआर’ का समर्थन करते हुए उच्चतम न्यायालय गई है और यह शर्मनाक है। उनके पास लोगों से मिलने की ताकत नहीं है और इसीलिए वे यह शॉर्टकट अपना रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि इसलिए, ऐसी परिस्थितियों में, पार्टी पदाधिकारियों को अपने निर्वाचन क्षेत्र में काम करना चाहिए और लोगों और निर्वाचन आयोग द्वारा नियुक्त बीएलओ के बीच सेतु का काम करना चाहिए।
स्टालिन ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं को गणना फॉर्म भरने में जनता की मदद करनी चाहिए और आवश्यक सहायता प्रदान करनी चाहिए।
भाषा तान्या