विश्व कप के बाद की जिंदगी पर हरमनप्रीत ने कहा, आखिरी गेंद कम से कम 1000 बार देखी है
पंत आनन्द
- 15 Nov 2025, 03:57 PM
- Updated: 03:57 PM
नयी दिल्ली, 15 नवंबर (भाषा) यह एक ऐसा पल है जिसने उनकी ज़िंदगी और भारतीय महिला क्रिकेट की दिशा को बदल दिया और इसलिए इसमें हैरानी की कोई बात नहीं है कि हरमनप्रीत कौर ने विश्व कप फ़ाइनल में नादिन डी क्लार्क का यादगार कैच अब तक कम से कम 1000 बार देखा है।
कप्तान के इस कैच ने भारत को दक्षिण अफ्रीकी महिला टीम पर 52 रन से जीत दिलाकर ऐतिहासिक पहली विश्व कप ट्रॉफी दिलाई।
इस 36 वर्षीय खिलाड़ी ने यहां पीटीआई मुख्यालय के दौरे के दौरान विशेष साक्षात्कार में कहा, ‘‘मेरी जिंदगी पूरी तरह बदल गई है। मैंने वह आखिरी गेंद कम से कम एक हजार बार देखी है। सिर्फ मैं ही नहीं, हमारी टीम भी कई वर्षों से इस पल का इंतजार कर रही थी। मुझे लगता है कि मैं उस पल को बार-बार जीना चाहती हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे सच में नहीं पता कि आखिरी कैच लेते समय मैं क्या सोच रही थी। इसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है, यह मेरे लिए बहुत मायने रखता है क्योंकि मैं हमेशा से विश्व कप जीतने का सपना देखती थी और आखिरकार हमने वह कर दिखाया। अब दो सप्ताह हो गए हैं और यह बहुत ही खास एहसास है और इसे बयां करना मुश्किल है।’’
भारतीय टीम ने वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद विश्व कप जीता। इसके बाद हरमनप्रीत एक लंबे ब्रेक की हक़दार थीं। लेकिन मैदान के बाहर उनका कार्यक्रम पहले से कहीं ज़्यादा व्यस्त रहा है और फ़ाइनल में विजयी कैच लेने के बाद से उन्हें घर वापस जाने का भी समय नहीं मिला है।
अभियान में उतार-चढ़ाव भरे रहे और शायद सबसे बड़ी चुनौती लीग चरण में टीम को मिली लगातार तीन हार थी, जिसके कारण सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया हुई।
हरमनप्रीत ने आपत्तिजनक ऑनलाइन टिप्पणियों को हल्के में लेते हुए कहा कि कठोर आलोचना से पता चलता है कि उनकी टीम से बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद की जा रही थी।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने सभी आलोचनाओं को सकारात्मक रूप से लिया। लोग हमारी आलोचना इसलिए कर रहे थे क्योंकि हम अच्छा खेल सकते थे। प्रशंसक हमसे बहुत उम्मीदें लगाए हुए थे। हमारी एक बैठक में मुख्य कोच (अमोल मजूमदार) ने हमसे बात की। उन्होंने कहा, 'हम इससे बेहतर हैं'।‘‘
भारतीय कप्तान ने कहा, ‘‘अगर लोग हमें ट्रोल कर रहे थे, तो इसकी वजह ये थी कि हम उस स्तर पर क्रिकेट नहीं खेल रहे थे जो हम खेल सकते थे। हम इससे बेहतर कर सकते थे। मुंबई पहुंचने के बाद हमारी एक और बैठक हुई। हमारे पास तब एक ही रास्ता बचा था प्रत्येक मैच में जीत हासिल करना।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह आलोचकों को गलत साबित करने के लिए नहीं था, बल्कि हमें यह भी लग रहा था कि हम अपना सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट नहीं खेल रहे हैं और हमारा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन अभी बाकी है।’’
भाषा
पंत आनन्द