नौगाम पुलिस थाना विस्फोट में मारे गए दर्जी अपने पीछे पत्नी और तीन बच्चों को छोड़ गए
शफीक संतोष
- 15 Nov 2025, 05:11 PM
- Updated: 05:11 PM
श्रीनगर, 15 नवंबर (भाषा) मोहम्मद शफी पर्रे शुक्रवार सुबह अपने परिवार के लिए रोजी-रोटी कमाने की उम्मीद में घर से निकले और हाल ही में पकड़े गए एक ‘‘सफेदपोश’’ आतंकी मॉड्यूल से जब्त विस्फोटकों के नमूने इकट्ठा करने में पुलिस जांचकर्ताओं की मदद की, लेकिन 47 वर्षीय पर्रे को जरा भी अंदाजा नहीं रहा होगा कि यह उनका आखिरी दिन है।
नौगाम पुलिस थाने में नमूने एकत्र करने के दौरान हुए विस्फोट में पर्रे समेत नौ लोगों की मौत हो गई।
पेशे से दर्जी पर्रे अपने पीछे पत्नी और तीन बच्चों को छोड़ गए हैं। वह अपने परिवार में अकेले कमाने वाले थे।
एक कर्तव्यनिष्ठ पारिवारिक व्यक्ति पर्रे धार्मिक गतिविधियों में भी सक्रिय रूप से भाग लेते थे। वह शुक्रवार सुबह जांचकर्ताओं के साथ शामिल हुए और दिन के अधिकतर समय नौगाम पुलिस स्टेशन में ही रहे। वह जुमे की नमाज और रात के खाने के लिए घर लौटे।
शाम को, पर्रे ने सर्दी से बचने के लिए गर्म कपड़े पहने और हरियाणा के फरीदाबाद से जब्त विस्फोटक सामग्री के बचे हुए नमूने इकट्ठा करने में जांचकर्ताओं की मदद करने के लिए घर से निकल पड़े। जब वह घर से निकले, तो उनकी पत्नी, बेटी और दो बेटों ने कभी नहीं सोचा था कि वे पर्रे को आखिरी बार देख रहे हैं।
पर्रे के पड़ोसियों ने बताया कि जब परिवार ने विस्फोट के तुरंत बाद उनके बारे में पूछताछ की, तो पुलिस ने उन्हें बताया कि दर्जी को विस्फोट में चोटें आई हैं।
हालांकि, शनिवार तड़के, पुलिस ने परिवार को बताया कि पर्रे की चोटों के कारण मृत्यु हो गई है, और उनसे शव की पहचान करने को कहा।
जैसे ही पर्रे की मौत की खबर फैली, रिश्तेदार और स्थानीय लोग उनके घर पर जमा हो गए, जहां से दूर-दूर तक रोने की आवाजें सुनाई दे रही थीं।
महिलाओं ने पर्रे के परिवार, जिनमें उनकी बहनें भी शामिल थीं, को सांत्वना देने की कोशिश की। परिवार के साथ ही मौजूद लोगों की आंखों से आंसू थम नहीं रहे थे।
पर्रे की मौत से न सिर्फ परिवार, बल्कि पूरा मोहल्ला गहरे सदमे में है।
पड़ोसियों और रिश्तेदारों ने पर्रे को एक चरित्रवान व्यक्ति के रूप में याद किया।
एक बुजुर्ग रिश्तेदार ने कहा, ‘‘वह मेरी बहन के देवर थे। वह एक चरित्रवान व्यक्ति थे, स्थानीय मस्जिद के अध्यक्ष भी थे।’’
स्थानीय लोगों ने बताया कि पर्रे अपने परिवार में अकेले कमाने वाले था। वह नजदीकी वानाबल चौक स्थित अपनी दुकान से जो भी कमाते थे, उसी से परिवार गुजारा करता था।
इस घटना को याद करते हुए, पास में रहने वाले जौहर अहमद वानी ने बताया कि शुक्रवार रात धमाके की आवाज सुनकर आस-पड़ोस के लोग जाग गए थे।
वानी ने कहा, ‘‘हमारे घर की कुछ खिड़कियों के शीशे भी टूट गए, जबकि हम विस्फोट स्थल से लगभग 1,000-1,200 मीटर दूर रहते हैं। हम बाहर जाकर पता करने लगे और हमें पुलिस थाने में हुए विस्फोट के बारे में पता चला।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम सरकार, खासकर उपराज्यपाल से अनुरोध करते हैं कि वे परिवार के लिए कुछ करें ताकि वह अपना गुजारा कर सके। सरकार को उनके बेटे को नौकरी देनी चाहिए।’’
भाषा
शफीक