पुणे की अदालत ने महिला उत्पीड़न मामले में पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया
प्रचेता रंजन
- 15 Nov 2025, 10:07 PM
- Updated: 10:07 PM
पुणे, 15 नवंबर (भाषा) पुणे की एक अदालत ने पुलिस को दो महिलाओं द्वारा लगाए गए उत्पीड़न के आरोपों को लेकर प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है। महिलाओं ने दावा किया है कि एक लापता महिला के मामले की जांच के दौरान पुलिसकर्मियों ने उन पर हमला किया और जातिगत टिप्पणी की।
यह कथित घटना अगस्त में हुई थी। इस संबंध में कोथरूड पुलिस ने कहा कि महिला के उत्पीड़न के दावों की पुष्टि नहीं हुई हैं और इस पर कोई मामला नहीं बन सकता है जिसके बाद पीड़ितों में से एक महिला ने निजी शिकायत के साथ अदालत का रुख किया।
इस संबंध में सत्र अदालत द्वारा 11 नवंबर को जारी किया गया आदेश शनिवार को उपलब्ध हुआ जिसमें अदालत ने कोथरुड पुलिस को महिला की शिकायत के आधार पर तत्काल प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है साथ ही सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) के अधिकारी के माध्यम से इस मामले की जांच कराने को कहा है।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि पुलिसकर्मियों ने एक लापता महिला के मामले की जांच के दौरान उसे और उसकी फ्लैटमेट (साथ रहने वाली) को परेशान किया और जातिगत टिप्पणियां कीं। यह लापता महिला छत्रपति संभाजीनगर की रहने वाली थी और वह पुणे में उनके साथ कुछ समय के लिए रुकी हुई थी।
उस समय दोनों महिलाएं स्थानीय कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर कोथरुड पुलिस थाने के कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए पुलिस आयुक्तालय के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रही थीं।
बाद में, पुणे पुलिस ने आठ कार्यकर्ताओं के खिलाफ गैरकानूनी ढंग से एकट्ठा होने, सरकारी कर्मचारी के काम में बाधा डालने और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने को लेकर मामला दर्ज किया था।
अदालत में दी गई अपनी शिकायत में महिला ने दावा किया कि पुलिसकर्मी उनके घर में जबरन घुस आए और उसे तथा उसके दोस्त के साथ मारपीट की। महिला के अनुसार, पुलिसकर्मियों ने महिला और उसके दोस्त के साथ मारपीट की, उनकी मर्यादा को ठेस पहुंचाने की कोशिश करने के साथ जातिवादी टिप्पणियां भी की।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एच. के. भालेराव ने कहा, "पुलिस थाने की जनरल डायरी से यह पता चलता है कि प्रतिवादी (पुलिसकर्मी) लापता लड़की की तलाश में गए थे। पुलिसकर्मी लापता लड़की की तलाश की आड़ में प्रतिवादी किसी भी लड़की के घर में घुसकर, अपनी पहचान बताए बिना उसके घर की तलाशी नहीं ले सकते। साथ ही उन्हें अपमानित और परेशान करने के साथ-साथ उसके साथ मारपीट भी नहीं कर सकते है।"
अदालत ने कहा कि पुलिस का आचरण कानून के लिहाज से उचित नहीं ठहराया जा सकता है। आवेदन की विषय-वस्तु तथा इसके समर्थन में प्रस्तुत हलफनामे से पता चलता है कि यह एक संज्ञेय अपराध है।
भाषा प्रचेता