भारत आर्थिक रूप से सुदृढ़, जलवायु अनुकूल नजरिए से विकास पथ को आकार दे रहा: यूएनडीपी अधिकारी
सिम्मी अमित
- 16 Nov 2025, 02:18 PM
- Updated: 02:18 PM
(मानस प्रतिम भुइयां)
(तस्वीरों के साथ जारी)
नयी दिल्ली, 16 नवंबर (भाषा) संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि भारत ने दिखाया है कि आर्थिक वृद्धि और सामाजिक समावेशन एक साथ संभव हैं तथा वह अपनी सफलता की कहानियों से ऐसे उदाहरण पेश कर रहा है जो अधिक न्यायसंगत दुनिया के निर्माण में सहायक हैं।
यूएनडीपी के कार्यवाहक प्रशासक हाओलियांग शू ने कहा कि भारत की विकास की गाथा केवल आर्थिक प्रगति के बारे में नहीं है बल्कि यह प्रौद्योगिकी एवं सहभागी शासन के इस्तेमाल से यह सुनिश्चित करने की भी कहानी है कि विकास के उद्देश्य प्राप्त हों और कोई भी पीछे न छूटे।
शू ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ साक्षात्कार में कहा कि जलवायु अनुकूलन, नवीकरणीय ऊर्जा और समावेशी डिजिटल वित्त के प्रति भारत की प्रतिबद्धता विकास और निरंतरता के बीच संतुलन बनाने का एक खाका प्रस्तुत करती है।
उन्होंने कहा कि भारत ऐसे ‘‘विकास पथ’’ तैयार कर रहा है जो आर्थिक रूप से सुदृढ़ और जलवायु के अनुकूल हैं।
संयुक्त राष्ट्र के अवर महासचिव और यूएनडीपी के कार्यकारी प्रशासक शू डिजिटल परिवर्तन और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कार्रवाई सहित सहयोग के नए क्षेत्रों को मजबूत करने और उनकी पहचान करने के लिए तीन दिवसीय यात्रा पर भारत आए हैं।
शू ने वैश्विक चुनौतियों के बारे में कहा कि यूएनडीपी के हालिया मानव विकास सूचकांक से पता चलता है कि मानव विकास में वैश्विक प्रगति 35 वर्षों के निम्नतम स्तर पर आ गई है तथा पिछले दो वर्ष से यह लगभग स्थिर बनी हुई है।
उन्होंने जलवायु परिवर्तन और गरीबी सहित विभिन्न चुनौतियों से निपटने के लिए भी भारत के विकास मॉडल की सराहना की।
उन्होंने कहा, ‘‘न्यायसंगत बदलाव, जलवायु अनुकूलन, नवीकरणीय ऊर्जा और समावेशी डिजिटल वित्त के प्रति देश की प्रतिबद्धता विकास और निरंतरता के बीच संतुलन बनाने का एक खाका प्रस्तुत करती है।’’
शू ने ‘ईमेल’ के जरिए दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘हम विकास के उद्देश्यों, विकास के लिए सभी स्रोतों से वित्तपोषण और प्रभावी, जवाबदेह एवं समावेशी संस्थागत क्षमता को और भी बेहतर ढंग से संरेखित करने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं।’’
यूएनडीपी प्रमुख ने कहा कि भारत ने दिखाया है कि लोगों में, विशेषकर ऐतिहासिक रूप से पिछड़े लोगों में किए गए सोझे-समझे निवेश के साथ तीव्र विकास करना संभव है।
उन्होंने कहा, ‘‘ ‘ग्लोबल साउथ’ की अग्रणी आवाज के रूप में भारत दक्षिण-दक्षिण सहयोग के माध्यम से स्थानीय सफलता की कहानियों को वैश्विक सबक में बदलने में मदद कर रहा है। वह न केवल अपने उपकरणों और प्रौद्योगिकी को साझा कर रहा है, बल्कि उन तरीकों को भी साझा कर रहा है जो उन्हें कारगर बनाते हैं।’’
‘ग्लोबल साउथ’ से तात्पर्य उन देशों से है जिन्हें अक्सर विकासशील, कम विकसित अथवा अविकसित राष्ट्र के रूप में जाना जाता है और ये मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लातिन अमेरिका में हैं।
शू ने विशेष रूप से मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) और आयुष्मान भारत जैसे प्रमुख कार्यक्रमों का उल्लेख करते हुए कहा कि इनमें आजीविका सुरक्षा को सामाजिक सुरक्षा के साथ जोड़ा गया है।
उन्होंने कहा कि ‘जन धन, आधार, मोबाइल (जेएएम) ट्रिनिटी’ और यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) जैसे भारत के डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और वित्तीय समावेशन मंचों ने करोड़ों लोगों के लिए पारदर्शी एवं प्रत्यक्ष लाभ वितरण सक्षम बनाया है तथा इससे ऐसे उदाहरण स्थापित हुए हैं जिनका अध्ययन अब कई देश कर रहे हैं।
जेएएम एक ऐसी पहल है जो सरकार से प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) को सक्षम करने के लिए लाभार्थी के बैंक खाते (जन धन), बायोमेट्रिक पहचान (आधार) और मोबाइल नंबर को जोड़ती है।
शू ने कहा कि आकांक्षी जिला कार्यक्रम जैसी पहल यह दर्शाती है कि किस प्रकार डेटा, साक्ष्य एवं सामुदायिक भागीदारी क्षेत्रीय अंतर को कम कर सकती है और विकास को अधिक न्यायसंगत बना सकती है।
यूएनडीपी के कार्यकारी प्रशासक ने कहा कि भारत का ‘‘हरित रोजगार और जलवायु के अनुकूल आजीविका’’ पर बढ़ता ध्यान नवीकरणीय ऊर्जा से लेकर समुदाय-आधारित संरक्षण तक आर्थिक अवसर को पर्यावरणीय प्रबंधन और सतत विकास लक्ष्यों के साथ संरेखित करता है।
उन्होंने कहा, ‘‘विकास का अगला चरण गुणवत्तापूर्ण नौकरियों, लैंगिक समानता और जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलेपन का और विस्तार कर सकता है ताकि विकास समावेशी और सतत बना रहे।’’
शू ने कहा, ‘‘भारत की कहानी केवल विकास के बारे में नहीं है बल्कि यह प्रौद्योगिकी, साक्ष्य एवं सहभागी शासन के उपयोग के बारे में भी है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विकास के उद्देश्य प्राप्त हों और कोई भी पीछे न छूटे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ये सबक एक अधिक समतापूर्ण और सतत दुनिया को आकार दे रहे हैं। दक्षिण-दक्षिण सहयोग के माध्यम से यूएनडीपी को भारत का साझेदार बनकर खुशी हो रही है और वह इन सीख को दुनिया के अन्य विकासशील देशों के साथ साझा करेगा।’’
शू ने भारत के यूपीआई और कोविन (कोविड वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क) की भी सराहना की।
यूएनडीपी के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि भारत के डिजिटल मंच अद्वितीय हैं क्योंकि वे मुक्त एवं सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढांचे पर काम करते हैं।
शू ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ठोस वैश्विक प्रयास किए जाने का भी आह्वान किया।
भाषा सिम्मी