तीनों सेनाओं की सर्वोत्तम प्रथाओं को शामिल किया जाएगा: सीडीएस ने सैन्यबलों के एकीकरण पर कहा
सिम्मी प्रशांत
- 16 Nov 2025, 03:28 PM
- Updated: 03:28 PM
नयी दिल्ली, 16 नवंबर (भाषा) प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने सशस्त्र बलों के एकीकरण की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा है कि इस प्रक्रिया के दौरान प्रत्येक सेवा ‘‘अपनी व्यक्तिगत पहचान’’ बनाए रखेगी और उनकी सर्वोत्तम प्रथाओं को शामिल किया जाएगा।
सीडीएस जनरल चौहान ने यहां शनिवार को आयोजित एक संवाद सत्र में हाल में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के उदाहरणों का भी हवाला दिया। इस ऑपरेशन ने तीनों सेनाओं - थलसेना, नौसेना और वायुसेना - के बीच एकजुटता को प्रदर्शित किया।
वह रक्षा थिंक-टैंक यूएसआई द्वारा 14 नवंबर एवं 15 नवंबर को आयोजित दो दिवसीय भारतीय सैन्य विरासत उत्सव में शामिल हुए।
सीडीएस जनरल चौहान ने अपनी नयी किताब ‘रेडी, रेलेवेंट एंड रिसर्जेंट 2: शेपिंग ए फ्यूचर रेडी फोर्स’ पर केंद्रित संवाद के दौरान संकेत दिया कि जल्द ही इसका तीसरा खंड भी आएगा जिसमें ऑपरेशन सिंदूर संबंधी विवरण भी होंगे।
सशस्त्र बलों की तीनों सेवाओं में एकजुटता और एकीकरण हासिल करने के सरकार के दृष्टिकोण के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद की गई भारत की सैन्य कार्रवाई और इन सटीक हमलों से पहले के दिनों के कुछ उदाहरण दिए।
भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में कई आतंकवादी ढांचों पर सात मई को हमला किया था।
सीडीएस जनरल चौहान ने कहा कि एकीकरण के दृष्टिकोण के अनुरूप प्रयास जारी हैं लेकिन प्रत्येक सेवा ‘‘अपनी व्यक्तिगत पहचान बनाए रखेगी’’ क्योंकि यह हर सेवा की एक विशिष्ट भूमिका होने के कारण महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम प्रत्येक सेवा से सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने की कोशिश कर रहे हैं... हम लघुत्तम समापवर्तक (एलसीएम) नहीं, बल्कि महत्तम समापवर्त्य (एचसीएफ) अपनाने की कोशिश कर रहे हैं।’’
सीडीएस ने कहा कि 22 अप्रैल से सात मई की अवधि के दौरान इस बात का पुनर्मूल्यांकन करने की आवश्यकता थी कि ‘‘हमारी किन संपत्तियों की आवश्यकता है’’ जिन्हें पश्चिमी सीमा पर ले जाना था और इसके लिए हवाई मार्ग से काफी आवाजाही की आवश्यकता थी।
उन्होंने कहा कि यह ‘‘निर्बाध रूप से’’ किया गया।
सीडीएस ने यह भी रेखांकित किया कि एकीकरण के लिए तीनों सेनाओं के पास सतह से हवा में मार करने वाली मध्यम दूरी की मिसाइल (एमआरएसएएम) और ब्रह्मोस जैसे साझा उपकरण हैं।
अधिकारी ने बताया कि नौसेना ने भी ‘‘सीमा पार कुछ हमलों’’ में भाग लिया था।
सीडीएस ने नियोजित एकीकरण (थियेटराइजेशन) के अनुरूप सेना में ‘‘संयुक्त संस्कृति’’ को बढ़ावा देने की भी बात कही।
जनरल चौहान ने कहा कि युद्ध को समझने में, विशेष रूप से उग्रवाद और आतंकवाद विरोधी अभियानों में भौतिक भूगोल के साथ-साथ ‘‘मानव भूगोल’’ (मानव समाज और पर्यावरण के बीच के जटिल संबंधों का अध्ययन करने वाली भूगोल की शाखा) भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
उन्होंने साथ ही कहा, ‘‘किसी भी तरह के युद्ध में हम कैसे जीतते हैं? हम विरोधी के खिलाफ विषमताएं पैदा करके जीतते हैं। ये विषमताएं नए क्षेत्रों में पैदा करना आसान है, पुराने क्षेत्रों में नहीं।’’
भाषा सिम्मी