अदालत ने जंगली हाथी ओंकार को गुजरात के वंतारा में स्थानांतरित करने की अनुमति दी
नोमान नरेश
- 17 Nov 2025, 05:16 PM
- Updated: 05:16 PM
मुंबई, 17 नवंबर (भाषा) मुंबई उच्च न्यायालय की कोल्हापुर पीठ ने अपने झुंड से बिछड़े जंगली हाथी 'ओंकार' को पकड़ने और उसे अस्थायी रूप से गुजरात के वंतारा में स्थानांतरित करने की अनुमति दे दी है।
न्यायमूर्ति एम एस कार्णिक और न्यायमूर्ति अजित कडेथांकर की पीठ ने पिछले सप्ताह पारित आदेश में कहा कि ओंकार को पकड़ने का कार्य आवश्यक सावधानियों के साथ किया जाए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अभियान के दौरान ओंकार को कोई नुकसान या आघात न पहुंचे।
उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया है, "वंतारा न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप के साथ ओंकार के कल्याण और प्रशिक्षण की देखरेख करेगा।"
यह आदेश रोहित कांबले द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर पारित किया गया जिसमें ओंकार की सुरक्षा और कल्याण पर चिंता जताई गई थी। हाथी अपने झुंड से बिछड़ने के बाद इंसानी आबादी वाले इलाकों में घुस गया था।
कांबले ने राज्य वन विभाग द्वारा ओंकार को वंतारा में स्थानांतरित/पुनर्वासित करने के आदेश को चुनौती देते हुए दलील दी थी कि यह स्थान जंगली हाथी के लिए उपयुक्त नहीं होगा।
याचिका के अनुसार, हाथी ने प्राकृतिक प्रवास के तहत कर्नाटक से महाराष्ट्र में प्रवेश किया था, जिसके बाद वह अपने झुंड से बिछड़ गया।
वन विभाग के अनुसार, सिंधुदुर्ग और कोल्हापुर जिलों में घूम रहे ओंकार को पकड़ना आवश्यक था, क्योंकि हाथी न केवल अपने लिए बल्कि मानव जीवन और संपत्ति के लिए भी खतरा पैदा कर रहा था।
विभाग ने कहा कि गुजरात में केवल राधा कृष्ण मंदिर हाथी कल्याण ट्रस्ट (वंतारा) ने ओंकार को रखने और उसे आश्रय, प्रशिक्षण और पुनर्वास प्रदान करने की इच्छा व्यक्त की है।
विभाग के अनुसार, यह स्थानांतरण अस्थायी होगा और उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति ओंकार के लिए दीर्घकालिक योजना पर अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करेगी।
हालांकि, याचिकाकर्ता कांबले ने इसका विरोध किया और कहा कि हाथी को महाराष्ट्र से गुजरात ले जाने से उसकी प्राकृतिक सहज ज्ञान क्षमता प्रभावित होगी।
कांबले ने कहा कि देश में कोई भी कानून वन्यजीवों को किसी निजी संस्था को सौंपने/स्थानांतरित करने की अनुमति नहीं देता है, जैसा ओंकार के मामले में वन विभाग द्वारा प्रस्तावित किया गया है।
कांबले ने दलील दी कि वंतारा मुख्य रूप से बंदी और बंधुआ हाथियों को आश्रय दे रहा है, न कि जंगली हाथियों को।
याचिका में हाथी को कोल्हापुर के राधानगरी वन्यजीव अभयारण्य या कोल्हापुर के निकट किसी अन्य प्राकृतिक आवास में पुनर्वासित करने की मांग की गई है।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि ओंकार द्वारा नुकसान पहुंचाए जाने के कई मामले सामने आए हैं। इसमें कहा गया है कि अप्रैल में सिंधुदुर्ग जिले के डोडामार्ग में उसने आक्रामक होकर एक व्यक्ति की जान ले ली थी।
पीठ ने राज्य वन विभाग को निर्देश दिया कि वह ओंकार के अस्थायी स्थानांतरण के संबंध में एक प्रस्ताव तथा दीर्घकालिक योजना तीन दिन के भीतर समिति के समक्ष प्रस्तुत करे।
समिति इस मुद्दे की जांच करेगी और दो सप्ताह के भीतर आवश्यक सिफारिशें करेगी
भाषा नोमान