बस्तर में ‘पंडुम कैफे’ की शुरुआत, नक्सल उन्मूलन की दिशा में सकारात्मक परिवर्तन का प्रतीक: साय
खारी
- 17 Nov 2025, 07:51 PM
- Updated: 07:51 PM
रायपुर, 17 नवंबर (भाषा) छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बस्तर जिले के जगदलपुर में सोमवार को ‘पंडुम कैफे’ की शुरुआत की और कहा कि यह कैफे बस्तर में नक्सल उन्मूलन की दिशा में हो रहे सकारात्मक परिवर्तन का प्रेरक प्रतीक है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
‘पंडुम’ का अर्थ गोंडी भाषा में त्योहार या उत्सव होता है।
अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री ने बस्तर में सामाजिक–आर्थिक बदलाव के नए अध्याय की शुरुआत करते हुए ‘पंडुम कैफे’ शुरू किया।
उन्होंने बताया कि यह कैफे नक्सली हिंसा के पीड़ितों और समर्पण कर चुके सदस्यों के पुनर्वास के लिए छत्तीसगढ़ सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसके तहत मुख्यधारा में लौटे लोगों को सम्मानजनक और स्थायी आजीविका उपलब्ध कराई जा रही है।
‘पंडुम कैफे’ जगदलपुर के पुलिस लाइन परिसर में स्थित है।
अधिकारियों के अनुसार, मुख्यमंत्री साय ने कैफे में कार्यरत नारायणपुर की फगनी, सुकमा की पुष्पा ठाकुर, बीरेंद्र ठाकुर, बस्तर की आशमती और प्रेमिला बघेल से बातचीत करते हुए उनके साहस की सराहना की और कैफे के सफल संचालन के लिए शुभकामनाएं दीं।
मुख्यमंत्री साय ने कहा, “पंडुम कैफे बस्तर क्षेत्र में नक्सलवाद के उन्मूलन की दिशा में हो रहे सकारात्मक परिवर्तन का प्रेरक प्रतीक है। यह आशा, प्रगति और शांति का उज्ज्वल प्रतीक है। यहां कार्यरत युवा—जो नक्सली हिंसा के पीड़ित हैं या हिंसा का मार्ग छोड़ चुके हैं अब शांति के पथ पर अग्रसर हैं।’’
साय ने कहा, ‘‘कैफे में कार्यरत लोगों को जिला प्रशासन और पुलिस के सहयोग से आतिथ्य सेवाओं, कैफे प्रबंधन, ग्राहक सेवा, स्वच्छता मानकों, खाद्य सुरक्षा और उद्यमिता कौशल का प्रशिक्षण दिया गया है।”
अधिकारियों ने बताया कि कैफे में कार्यरत एक महिला भावुक हो गई और इस पुनर्वास पहल से मिले सकारात्मक बदलाव को साझा किया।
एक पूर्व माओवादी ने कहा, “हमने अतीत में अंधेरा देखा था। आज हमें समाज की सेवा करने का अवसर मिला है। यह हमारे लिए नया जन्म है। बारूद की जगह कॉफी परोसना और अपनी मेहनत की कमाई से जीना—यह एहसास हमें शांति और सम्मान दे रहा है।”
एक अन्य सहयोगी ने कहा, “पहले हम अपने परिवार को सम्मानजनक जीवन देने का सपना भी नहीं देख सकते थे। अब अपनी मेहनत से कमाए पैसों से परिवार का भविष्य संवार सकते हैं।”
एक अन्य सदस्य ने कहा, “हमें लगा था कि मुख्यधारा में लौटना आसान नहीं होगा, लेकिन पुलिस और जिला प्रशासन ने हमें प्रशिक्षण दिया और हमारा विश्वास जीता। अब हम पीड़ितों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, जिससे अतीत की गलतियों को सुधारने और शांति स्थापित करने का अवसर मिला है।”
अधिकारियों ने बताया कि ‘पंडुम’ बस्तर की सांस्कृतिक जड़ों का प्रतीक है।
बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने कहा,
“पंडुम कैफे सरकार की समर्पण एवं पुनर्वास नीति के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक पहल है।”
उन्होंने कहा, “इस कैफे का उद्देश्य केवल आजीविका उपलब्ध कराना नहीं, बल्कि यह दिखाना भी है कि अवसर मिलने पर परिवर्तन संभव है। जो हाथ कभी संघर्ष में लगे थे, वे अब समाज निर्माण में योगदान दे सकते हैं।”
सुंदरराज पी ने बताया कि प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि पंडुम कैफे एक सफल सामाजिक–आर्थिक मॉडल के रूप में विकसित हो और भविष्य में क्षेत्र में ऐसे और पुनर्वास केंद्र स्थापित किए जा सकें।
भाषा संजीव