मांग बढ़ने से मूंगफली तेल-तिलहन में सुधार, बिकवाली प्रभावित रहने से सोयाबीन तिलहन में गिरावट
राजेश राजेश अजय
- 17 Nov 2025, 08:06 PM
- Updated: 08:06 PM
नयी दिल्ली, 17 नवंबर (भाषा) खाने की मांग बढ़ने से स्थानीय बाजार में सोमवार को मूंगफली तेल-तिलहन के दाम सुधार के साथ बंद हुए। जबकि मांग कमजोर रहने से सोयाबीन तिलहन के दाम गिरावट के साथ बंद हुए। सुस्त कारोबार के बीच सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल के दाम स्थिर बने रहे।
शिकॉगो और मलेशिया एक्सचेंज दोनों जबह सुधार चल रहा है।
बाजार सूत्रों ने कहा कि मांग में आई तेजी के कारण मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में अपने पूर्व भाव के मुकाबले सुधार है लेकिन इसके हाजिर दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 15-16 प्रतिशत नीचे बने हुए हैं। दूसरी ओर, सस्ते आयातित तेलों के बीच सोयाबीन का बाजार नहीं होने की वजह से सोयाबीन तिलहन के दाम गिरावट के साथ बंद हुए।
उन्होंने कहा कि ऊंचे भाव होने के कारण सरसों में कामकाज कमजोर रहा। आयातकों द्वारा लागत से सस्ते में बिकवाली के कारण सोयाबीन के साथ-साथ बाकी तेलों के दाम भी दबाव में हैं। जाड़े की कमजोर मांग के बीच सीपीओ और पामोलीन की मांग भी कमजोर बनी हुई है। इसी तरह बिनौला तेल की मांग भी प्रभावित रही। इन परिस्थितियों में उक्त सभी तेल-तिलहनों के भाव स्थिर बने रहे।
सूत्रों ने कहा कि आज हालत यह है कि दो तीन साल पहले सरकार ने कपास नरमा की एमएसपी पर खरीद करने का आश्वासन दे रखा था। लेकिन मौजूदा समय में कपास नरमा के हाजिर दाम एमएसपी से 15-16 प्रतिशत नीचे चल रहे हैं। इसी तरह सूरजमुखी, सोयाबीन, मूंगफली, कपास के दाम भी एमएसपी से नीचे हैं। यह स्थिति तेल-तिलहन उत्पादन बढ़ाने की जगह, आयात पर निर्भरता की ओर ही बढ़ा रही है। सरकार को उन आयातकों के बारे में विचार करना होगा कि वे लागत से नीचे दाम पर क्यों अपने माल की बिक्री करने में लगे हैं। इससे जो बैंकों को नुकसान संभावित है वह अंतत: आम जनता का ही नुकसान होगा।
सूत्रों ने कहा कि तेल-तिलहन कारोबार के अधिकांश समीक्षकों की हालत यह है कि वे कारोबार का तटस्थ आकलन में विफल रहे हैं और अक्सर उन्हें पाम-पामोलीन तेल की मंदा-तेजी पर ही चर्चा करते पाया जाता है। सस्ते आयातित तेलों के कारण स्थानीय तेल-मिलों का कामकाज प्रभावित है और वे नुकसान का सामना करने को विवश हैं। जब तक इन तेल मिलों की वित्तीय स्थिति नहीं सुधरेगी किसानों को भी अच्छे दाम नहीं प्राप्त होंगे।
सूत्रों ने कहा कि सरकार, किसानों को अच्छे खाद, पानी, बीज के अलावा लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करे तो किसान खुद-ब-खुद तेल-तिलहन मामले में आत्मनिर्भरता लाने की ओर कदम बढ़ाने की क्षमता रखते हैं। सरकार को किसानों के अनुकूल माहौल देने की जरूरत है, बाकी काम किसान खुद से करने में सक्षम हैं।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन - 7,125-7,175 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली - 6,275-6,650 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 14,750 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल - 2,400-2,700 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 14,750 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,470-2,570 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,470-2,605 रुपये प्रति टिन।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,300 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,150 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 11,300 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,550 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,075 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 12,075 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना - 4,625-4,675 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,325-4,425 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश