आमिर ने डॉ.उमर को विस्फोट को अंजाम देने के लिए पनाहगाह और अन्य सहायता दी : एनआईए
धीरज दिलीप
- 17 Nov 2025, 08:41 PM
- Updated: 08:41 PM
(तस्वीरों के साथ)
नयी दिल्ली, 17 नवंबर (भाषा) राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए)ने सोमवार को दिल्ली की एक अदालत को बताया कि शहर में लाल किला के नजदीक 10 नवंबर को हुए विस्फोट के मुख्य आरोपी आमिर राशिद अली ने हमले को अंजाम देने वाले ‘आत्मघाती हमलावर’ डॉ.उमर उन नबी को पनाहगाह और अन्य सहायता मुहैया कराई थी।
इस विस्फोट में 13 लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे।
दक्षिण कश्मीर के पंपोर निवासी अली को कड़ी सुरक्षा के बीच पटियाला हाउस अदालत परिसर में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अंजू बजाज चांदना की अदालत में पेश किया गया।
मीडियाकर्मियों को अदालत परिसर में प्रवेश करने से रोक दिया गया, जिससे कार्यवाही एक प्रकार से ‘बंद कमरे में’ हुई।
एनआईए ने आमिर की हिरासत के लिए दाखिल अर्जी में कहा कि पूरी साजिश का पर्दाफाश करने के लिए आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत है।
आतंकवाद रोधी एजेंसी ने अर्जी में कहा कि हमले में इस्तेमाल की गई कार के पंजीकृत मालिक आमिर ने कथित तौर पर उमर को साजो-सामान संबंधी सहायता प्रदान की थी। उसने दावा किया कि आमिर ने विस्फोट से पहले के दिनों में उमर के लिए एक पनाहगाह की भी व्यवस्था की थी।
संघीय एजेंसी ने अर्जी में कहा कि विस्फोट की सटीकता और तीव्रता का निर्धारण जानबूझकर जनता के मन में भय पैदा करने के साथ-साथ चिंता और घबराहट पैदा करने के इरादे से किया गया था।
एनआईए ने कथित साजिश की गंभीरता को रेखांकित करते हुए कहा कि इस कृत्य का उद्देश्य देश की संप्रभुता और एकता को खतरे में डालना तथा अस्थिर करना था।
एजेंसी ने अदालत को यह भी बताया कि अली को आगे की जांच के लिए कश्मीर ले जाया जाएगा।
न्यायाधीश ने दलीलों को सुनने के बाद एनआईए की उस याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसमें आरोपी को पूछताछ के लिए 10 दिनों के लिए उसकी हिरासत में देने का अनुरोध किया गया था।
अदालत परिसर के बाहर दिल्ली पुलिस और त्वरित कार्रवाई बल (आरएएफ) की भारी तैनाती देखी गई, साथ ही व्यवस्था बनाए रखने के लिए दंगा-रोधी उपकरणों से लैस कर्मियों को भी तैनात किया गया था।
अली संभवतः डॉ. उमर नबी के संपर्क में रहने वाला अंतिम व्यक्ति था।
एनआईए ने एक दिन पहले ही अली की गिरफ्तारी की घोषणा की थी और दावा किया कि उसने आतंकवादी हमले को अंजाम देने के लिए ‘आत्मघाती हमलावर’ उमर के साथ साजिश रची।
एनआईए की जांच में खुलासा हुआ है कि विस्फोट में इस्तेमाल किया गया वाहन अली के नाम पर पंजीकृत था, जो कार खरीदने के लिए विशेष रूप से दिल्ली आया था।
बाद में, हमले को अंजाम देने के लिए इस वाहन का इस्तेमाल ‘‘वाहन-जनित संवर्धित विस्फोटक उपकरण (वीबीआईईडी)’’के तौर पर किया गया।
उमर एक ‘सफेदपोश’ आतंकवादी मॉड्यूल से जुड़ा हुआ था। इसका 10 नवंबर को हरियाणा के फरीदाबाद से विस्फोटकों की बरामदगी के बाद भंडाफोड़ किया गया था।
‘ पीटीआई-भाषा’ ने पहले ही खबर दी थी कि पुलवामा निवासी 28 वर्षीय डॉक्टर नबी कश्मीर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में फैले इस नेटवर्क का सबसे कट्टरपंथी और प्रमुख सदस्य बनकर उभरा है। अधिकारियों का मानना है कि वह छह दिसंबर को बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी के आसपास एक शक्तिशाली वीबीआईईडी विस्फोट की योजना बना रहा था।
हालांकि, यह साजिश तब नाकाम हो गई, जब श्रीनगर पुलिस की गहन जांच के आधार पर हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल फलाह विश्वविद्यालय से डॉ. मुजम्मिल गनई की गिरफ्तारी हुई और भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद हुए। माना जाता है कि इस सफलता से उमर घबरा गया और अंततः लाल किले के नजदीक हुए विस्फोट में 13 लोग मारे गए।
इस अंतरराज्यीय नेटवर्क का भंड़ाफोड़ 19 अक्टूबर को श्रीनगर के बाहरी इलाके नौगाम के बनपोरा में दीवारों पर जैश-ए-मोहम्मद के पोस्टर चस्पा होने की एक छोटी, लेकिन महत्वपूर्ण घटना के जांच के दौरान हुआ।
श्रीनगर पुलिस ने मामला दर्ज किया और सीसीटीवी कैमरे की फुटेज की जांच की, जिसके बाद तीन स्थानीय लोगों - आरिफ निसार डार उर्फ साहिल, यासिर-उल-अशरफ और मकसूद अहमद डार उर्फ शाहिद को गिरफ्तार किया गया। इन सभी के खिलाफ पहले भी पत्थरबाजी के मामले दर्ज हैं।
उनसे पूछताछ के बाद शोपियां के एक पूर्व पैरामेडिक से इमाम बने मौलवी इरफान अहमद को गिरफ्तार किया गया, जिसने कथित तौर पर पोस्टर मुहैया कराए थे और चिकित्सकों को चरमपंथी बनाने के लिए अपनी पहुंच का इस्तेमाल किया था।
इस मामले में अब तक जम्मू-कश्मीर पुलिस ने आठ लोगों को गिरफ्तार किया है।
एनआईए अब अली से पूछताछ करेगी, ताकि पूरी साजिश का खुलासा किया जा सके और उसकी भूमिका का पता लगाया जा सके।
भाषा धीरज