ढाका हवाई अड्डे पर 10 घंटे तक फंसे रहे भारतीय तीरंदाज
पंत
- 18 Nov 2025, 12:44 PM
- Updated: 12:44 PM
कोलकाता, 18 नवंबर (भाषा) भारतीय तीरंदाजों को उस समय बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ा जब वे एशियाई चैंपियनशिप के बाद ढाका से देश लौटने के दौरान उड़ान रद्द होने के कारण लगभग 10 घंटे तक हवाई अड्डे पर फंसे रहे।
यही नहीं उन्हें हिंसा प्रभावित बांग्लादेश की राजधानी में बिना सुरक्षा के एक स्थानीय बस में बिठा दिया गया और बाद में उन्हें एक घटिया आश्रय स्थल में रुकना पड़ा।
भारत के 23 सदस्यीय दल के 11 सदस्य उड़ान में बार-बार हो रही देरी के कारण काफी परेशान रहे। इनमें दो नाबालिग सदस्य भी शामिल थे। इस बीच उन्होंने जिस एयरलाइंस से टिकट बुक किया था उसका भी उन्हें कोई खास सहयोग नहीं मिला।
इस दल में सीनियर खिलाड़ी अभिषेक वर्मा, ज्योति सुरेखा और ओलंपियन धीरज बोम्मादेवरा भी शामिल थे। वे शनिवार को दिल्ली के लिए रात 9.30 बजे की उड़ान के लिए ढाका हवाई अड्डे पर पहुंचे थे, लेकिन विमान में सवार होने के बाद उन्हें बताया गया कि विमान में तकनीकी खराबी आ गई है और वह उड़ान नहीं भर पाएगा।
यह वह समय था जब ढाका में सड़कों पर हिंसा देखी गई थी, क्योंकि अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ विशेष न्यायाधिकरण के फैसले का इंतजार हाे रहा था।
भारत के इस दल में सात महिलाएं भी शामिल थी। उड़ान को लेकर कोई स्पष्ट सूचना नहीं मिलने के कारण वे रात दो बजे तक टर्मिनल के अंदर ही रहे। इसके बाद उड़ान रद्द होने की घोषणा की गई और बताया गया कि उस रात कोई वैकल्पिक उड़ान की व्यवस्था नहीं की जाएगी।
जैसे ही टीम हवाई अड्डे से बाहर निकली, उनकी परेशानी बढ़ गई।
देश के सबसे प्रतिष्ठित कम्पाउंड पुरुष तीरंदाज वर्मा ने आरोप लगाया कि उन्हें एक ‘‘बिना खिड़की वाली स्थानीय बस‘‘ में भर दिया गया और लगभग आधे घंटे की दूरी पर एक अस्थायी लॉज में ले जाया गया, जो एक ‘‘धर्मशाला‘‘ जैसा था।
इस 36 वर्षीय खिलाड़ी ने कहा कि जिस स्थान पर टीम को ले जाया गया था, वह ‘‘एक उचित होटल भी नहीं था‘‘, जिसमे महिलाओं के लिए एक कमरे में छह बिस्तरों वाला एक कमरा था और उसमें केवल एक शौचालय था जो बहुत गंदा था।
उन्होंने पीटीआई को बताया, ‘‘गेस्ट हाउस के नाम पर हमें जिस धर्मशाला में ठहराया गया उसकी स्थिति बेहद खराब थी। एक कमरे में छह बिस्तर लगाए गए थे और जो शौचालय था उसकी हालत बहुत खराब थी। मुझे नहीं लगता कि उसमें कोई स्नान कर सकता था।’’
अंतरराष्ट्रीय लेनदेन की सुविधा नहीं होने के कारण वैकल्पिक व्यवस्था करने के उनके प्रयास भी सफल नहीं हो सके।
वर्मा ने कहा, ‘‘अगर हमें पता भी होता कि हमें सुबह 11 बजे तक टिकट मिल जाएगा, तो भी हम हवाई अड्डे पर ही रुक जाते। क्योंकि उन्होंने (एयरलाइन ने) कुछ भी पुष्टि नहीं की थी।‘‘
अगली सुबह सात बजे दल हवाई अड्डे के लिए रवाना हुआ, लेकिन दिल्ली पहुंचने पर उन्हें और अधिक देरी का सामना करना पड़ा।
कई तीरंदाज हैदराबाद और विजयवाड़ा जाने वाली अपनी उड़ान नहीं पकड़ पाए, जिसके कारण उन्हें महंगी बुकिंग करानी पड़ी।
वर्मा ने कठिन परिस्थिति में राष्ट्रीय टीम का समर्थन न करने के लिए एयरलाइन को जिम्मेदार ठहराने में कोई संकोच नहीं किया।
उन्होंने कहा, ‘‘आपका विमान ख़राब हो गया और आपको पता है कि बाहर दंगे हो रहे हैं तो उन्होंने हमें स्थानीय बस में कैसे बिठाया। अगर हमारे साथ कुछ हो जाता तो उसका जिम्मेदार कौन होता। ’’
भाषा