वैश्विक अधिकार समूहों और थिंकटैंक ने हसीना के मुकदमे की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए
राखी वैभव
- 18 Nov 2025, 04:16 PM
- Updated: 04:16 PM
नयी दिल्ली, 18 नवंबर (भाषा) अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों और कई वैश्विक थिंकटैंक ने उस मुकदमे की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं, जिसके कारण बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई गई।
हसीना को सोमवार को बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी-बीडी) द्वारा उनकी अनुपस्थिति में "मानवता के विरुद्ध अपराध" के लिए मौत की सजा सुनाई गई। यह सजा पिछले वर्ष छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों पर उनकी सरकार की क्रूरतापूर्ण कार्रवाई के लिए दी गई।
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सोमवार को एक बयान में कहा कि हसीना की अनुपस्थिति में उन पर मुकदमा चलाना और उन्हें मौत की सजा सुनाना "न तो निष्पक्षतापूर्ण था और न ही न्यायसंगत", जबकि न्यूयॉर्क स्थित 'ह्यूमन राइट्स वॉच' (एचआरडब्ल्यू) ने कहा कि अभियोजन पक्ष "अंतरराष्ट्रीय निष्पक्ष सुनवाई के मानकों के तहत कार्यवाही करने में विफल रहा"।
एमनेस्टी ने कहा, “यह एक निष्पक्ष मुकदमा नहीं था… अनुपस्थिति में इस मुकदमे को जिस अभूतपूर्व तेजी से चलाया गया और जिस तरह फैसला सुनाया गया, उसने इस मामले में निष्पक्ष सुनवाई को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं।”
संस्था ने कहा कि अदालत द्वारा नियुक्त वकील के पक्ष रखने के बावजूद, हसीना को अपना बचाव तैयार करने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया और बचाव पक्ष को विरोधाभासी साक्ष्यों पर जिरह करने की अनुमति नहीं दी गई।
इसमें कहा गया है कि यह मुकदमा उस अदालत के समक्ष चलाया गया जिसकी “एमनेस्टी इंटरनेशनल ने निष्पक्षता की कमी और अनुचित कार्यवाही के इतिहास के लिए लंबे समय से आलोचना की है।”
एमनेस्टी ने कहा कि जुलाई 2024 में फैली अशांति के पीड़ित “बेहतर के हकदार हैं” और “बांग्लादेश को एक ऐसी न्याय प्रक्रिया की आवश्यकता है जो पूरी तरह से निष्पक्ष हो, जिसमें पक्षपात का कोई संदेह न हो और जो मृत्युदंड के माध्यम से मानवाधिकारों के उल्लंघन को बढ़ावा न दे।”
एचआरडब्ल्यू ने एक बयान में कहा कि हसीना के खिलाफ सबूतों में ऑडियो रिकॉर्डिंग भी शामिल हैं जिनमें उन्होंने कथित तौर पर घातक हथियारों के इस्तेमाल का आदेश दिया था। बयान में यह भी कहा गया कि अदालत द्वारा नियुक्त वकील गवाहों से जिरह कर सकता था, लेकिन उसने बचाव पक्ष का कोई गवाह पेश नहीं किया।
इसमें कहा गया है, "न्याय सुनिश्चित करने का अर्थ अभियुक्तों के अधिकारों की रक्षा करना भी है, जिसमें मृत्युदंड को समाप्त करना भी शामिल है।"
इसमें कहा गया है, "इस तरह की प्रथाएं (मृत्युदंड) मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के तहत जारी रही हैं।"
इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप (आईसीजी) ने एक बयान में कहा कि अनुपस्थिति में मुकदमे अक्सर विवादास्पद होते हैं और इस मामले में, जिस गति से सुनवाई की गई और "बचाव पक्ष के लिए संसाधनों की स्पष्ट कमी" ने "निष्पक्षता पर सवाल" खड़े किए।
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