पिता की मृत्यु के 15 साल बाद बेटे की अनुकंपा के आधार पर नौकरी की अर्जी अदालत ने खारिज की
सुरेश माधव
- 18 Nov 2025, 05:09 PM
- Updated: 05:09 PM
कोलकाता, 18 नवंबर (भाषा) कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मंगलवार को एक ऐसे अभ्यर्थी को अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने से इनकार कर दिया, जो सहायक प्रधानाध्यापक पद पर तैनात पिता की मृत्यु के समय नाबालिग था।
अदालत ने कहा कि वयस्क होने के बाद मृतक के उत्तराधिकारी द्वारा रिक्तियों के भरे जाने के लिए आरक्षण की कोई गुंजाइश नहीं है।
याचिकाकर्ता सैयद शाहीनूर जमां के वकील ने अदालत के समक्ष कहा कि उनके पिता की मृत्यु 2010 में हुई थी, जब वह केवल आठ वर्ष के थे और उन्होंने जून 2025 में अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिए आवेदन किया था।
न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा ने याचिका खारिज करते हुए कहा, ‘‘वयस्क होने पर मृतक के उत्तराधिकारी द्वारा रिक्तियों को भरे जाने के लिए आरक्षण की कोई गुंजाइश नहीं है।’’
याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत को अवगत कराया कि पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में एक सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल में सहायक प्रधानाध्यापक के पद पर पदोन्नत होने एवं 16 साल तक सेवा में रहने के बाद, एक शिक्षक की सितंबर 2010 में सेवाकाल के दौरान मृत्यु हो गई।
उन्होंने दावा किया कि याचिकाकर्ता की मां ने अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिए स्कूल अधिकारियों से अनुरोध किया था, लेकिन मुर्शिदाबाद के ज़िला विद्यालय निरीक्षक ने उस पर विचार नहीं किया।
अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए आवेदन करने का कोई भी दस्तावेज़ प्रस्तुत नहीं कर सका।
याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत के समक्ष कहा कि उन्होंने वयस्क होने पर अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिए स्कूल अधिकारियों से अनुरोध किया था, लेकिन इसे मुर्शिदाबाद के जिला विद्यालय निरीक्षक के कार्यालय में लंबित रखा गया है।
अदालत से यह अनुरोध किया गया कि मुर्शिदाबाद के जिला विद्यालय निरीक्षक को याचिकाकर्ता जमां के अनुरोध पर विचार करने का निर्देश दिया जाए।
अदालत ने कहा कि अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति से संबंधित कानून में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जिस आवेदक को कर्मचारी की मृत्यु की तिथि पर आवेदन करने का कोई अधिकार नहीं है, उसे वयस्क होने पर भी ऐसा करने का अधिकार नहीं है।
न्यायमूर्ति सिन्हा ने कहा, ‘‘वयस्क होने पर मृतक के उत्तराधिकारी द्वारा भरी जाने वाली रिक्तियों को आरक्षित करने की कोई गुंजाइश नहीं है।’’
अदालत ने कहा कि अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति कोई नियमित प्रक्रिया नहीं है और यह परिवार के कमाऊ सदस्य की मृत्यु पर उसके सामने आने वाले तत्काल वित्तीय संकट से निपटने के लिए प्रदान की जाती है।
इसने कहा कि आवेदन पर विचार करने का निर्देश नहीं दिया जा सकता, क्योंकि मृत्यु 2010 में हुई थी और आवेदन 2025 में किया गया था।
अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा, ‘‘इतनी देरी से मृतक के उत्तराधिकारी के प्रति अनुकंपा दिखाने की कोई गुंजाइश नहीं है।’’
भाषा सुरेश