कुपवाड़ा हिरासत में यातना: सीबीआई का कहना है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस कांस्टेबल को लगी चोटें असली हैं
सुरेश मनीषा
- 18 Nov 2025, 05:35 PM
- Updated: 05:35 PM
(अभिषेक शुक्ला)
श्रीनगर, 18 नवंबर (भाषा) जम्मू-कश्मीर पुलिस कांस्टेबल खुर्शीद अहमद चौहान को हिरासत में यातना देने के मामले की सीबीआई जांच में इस बात की पुष्टि हुई है कि कुपवाड़ा स्थित संयुक्त पूछताछ केंद्र (जेआईसी) में पीड़ित कांस्टेबल को उनके साथियों ने कई चोटें पहुंचाई थीं।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की रिपोर्ट से पता चलता है कि फ्रैक्चर और अन्य चोटें किसी कठोर वस्तु से मारने के कारण आई थीं, जो यातना के दौरान लगने वाली चोटों से मेल खाती हैं और यह सब जबरन कबूलनामे के इरादे से किया गया था।
श्रीनगर की विशेष अदालत में प्रस्तुत अपने निष्कर्षों में, सीबीआई ने पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) एजाज अहमद, उपनिरीक्षक रियाज अहमद मीर, विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) जहांगीर अहमद बेग और पांच अन्य साथी पुलिस अधिकारियों, तनवीर अहमद मल्ला, मोहम्मद यूनिस खान, शाकिर अहमद, अल्ताफ हुसैन भट और शाहनवाज अहमद दीदाद के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किये हैं, जिसमें जबरन कबूलनामे और जानकारी हासिल करने के लिए यातना देने का आरोप है।
सभी आरोपी अधिकारियों को 20 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था और वे न्यायिक हिरासत में हैं।
इस मामले में सीबीआई द्वारा दाखिल आरोप-पत्र में, द्रुगकमुल्ला पुलिस चौकी में तैनात सब-इंस्पेक्टर मंज़ूर अहमद शेख की वह गवाही एक मजबूत सबूत बन गई, जिसमें शेख ने चौहान के साथ हुई यातना का खौफनाक विवरण दिया था।
‘पीटीआई-भाषा’ के पास उपलब्ध सीबीआई के आरोप-पत्र से पता चलता है कि शेख 23 और 25 फरवरी, 2023 को संयुक्त पूछताछ केंद्र (जेआईसी) गए थे, ताकि चौहान का हालचाल जान सकें। चौहान को 20 फरवरी को कुपवाड़ा के तत्कालीन एसएसपी के हस्ताक्षरित आदेश पर इस केंद्र में लाया गया था।
जेआईसी, जम्मू-कश्मीर पुलिस की एक कड़ी सुरक्षा वाली परिचालन इकाई है, जो आतंकवाद एवं मादक पदार्थों की तस्करी के मामलों में संदिग्धों और आरोपियों से पूछताछ सहित विभिन्न अभियानों में जिला पुलिस की सहायता करती है।
सीबीआई ने कई अस्पतालों, यथा- उप जिला अस्पताल, कुपवाड़ा; सरकारी मेडिकल कॉलेज, बारामूला; एसकेआईएमएस, सौरा; और बारजुल्ला स्थित अस्थि एवं जोड़ शल्य चिकित्सा अस्पताल की चिकित्सा रिपोर्ट का हवाला दिया है, जिसमें पीड़ित के बाएं पैर में फ्रैक्चर सहित कई घावों की पुष्टि हुई है।
दिल्ली के आरएमएल अस्पताल और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ चिकित्सकों की मौजूदगी वाले एक बहु-संस्थागत चिकित्सा बोर्ड (एमआईएमबी) ने विस्तृत फोरेंसिक राय देते हुए निष्कर्ष निकाला कि नितंबों, ऊपरी जांघों, तलवों और हथेलियों पर लगी चोटें ‘‘खुद से नहीं लगी थीं’’ और ‘‘किसी कुंद बल के प्रहार’’ का परिणाम थीं।
बोर्ड ने चिकित्सा रिपोर्ट से यह भी पाया कि चोटें दो से तीन दिन पुरानी थीं, जो कुपवाड़ा के जेएसी में चौहान के कारावास की अवधि से मेल खाती हैं।
भाषा सुरेश