एसएससी परीक्षा के अभ्यर्थियों ने दूसरे दिन भी निकाली रैली; विरोध जताया
संतोष नरेश
- 18 Nov 2025, 05:57 PM
- Updated: 05:57 PM
कोलकाता, 18 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद अपनी नौकरी गंवाने वाले लोगों में शामिल और शिक्षक बनने के इच्छुक करीब 100 अभ्यर्थी मंगलवार को दूसरे दिन भी राज्य शिक्षा विभाग के मुख्यालय के पास सड़कों पर उतरे और साक्षात्कार के लिए चयनित अभ्यर्थियों की सूची में अपना नाम नहीं होने को लेकर विरोध जताया।
उच्चतम न्यायालय ने अप्रैल में पश्चिम बंगाल के स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) की ओर से वर्ष 2016 में चयनित अभ्यर्थियों की सूची को अमान्य करार दिया था जिसके बाद एसएससी ने 14 सितंबर को एक भर्ती परीक्षा आयोजित की थी।
न्यायालय ने चयन प्रक्रिया में गड़बड़ी पाए जाने के बाद सरकारी और सहायता प्राप्त संस्थानों के लगभग 26,000 शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नौकरियों को रद्द कर दिया था।
एसएससी ने 15 नवंबर को 20,500 उम्मीदवारों की एक सूची प्रकाशित की, जिनका राज्य द्वारा संचालित और सहायता प्राप्त स्कूलों में कक्षा 11 और 12 के रिक्त पदों को भरने के लिए साक्षात्कार लिया जाएगा।
प्रदर्शनकारियों में से एक और ‘योग्य शिक्षक अधिकार मंच’ के प्रवक्ता चिन्मय मंडल ने करुणामयी बस अड्डे से साल्ट लेक स्थित शिक्षा विभाग के मुख्यालय विकास भवन तक रैली का नेतृत्व किया, जहां पुलिस ने उन्हें रोक लिया और वाहनों में बिठाकर दूसरी जगह ले गए।
मंडल वर्ष 2016 में चयनित ‘बेदाग’ शिक्षकों में शामिल थे और जिन्हें भर्ती परीक्षा में बैठने की अनुमति दी गई थी, लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण हुए थे, लेकिन साक्षात्कार के लिए बुलाए गए 20,500 अभ्यर्थियों की सूची में उनका नाम नहीं था।
‘बेदाग’ उम्मीदवार वे हैं जिनकी 2016 की भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं में संलिप्तता साबित नहीं हुई।
मंडल ने कहा, ‘‘अब हम क्या करेंगे? मुख्यमंत्री ने बेदाग शिक्षकों को हिम्मत न हारने का आश्वासन दिया था। उन्होंने वर्ष 2016 की एसएससी परीक्षा में मेरिट के आधार पर नौकरी पाने वाले शिक्षकों के लिए प्लान ए, बी या सी के बारे में बात की थी। उन्होंने कहा कि सरकार जरूरी कदम उठाएगी। हम शिक्षा मंत्री या विभाग के किसी वरिष्ठ अधिकारी से मिलने आए थे। लेकिन पुलिस हमें ले जा रही है।’’
वर्ष 2025 में पहली बार परीक्षा देने वाले और लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले लोगों के एक अन्य समूह ने, जिन्हें ‘उच्च अंक प्राप्त करने के बावजूद’ साक्षात्कार के लिए नहीं बुलाया गया था, विकास भवन से लगभग एक किलोमीटर दूर एसएससी मुख्यालय के सामने धरना देने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने उन्हें खदेड़ दिया।
पहली बार परीक्षा दे रही एक अभ्यर्थी देबजानी बारिक ने कहा, ‘‘हम मुख्यमंत्री या शिक्षा मंत्री से मिलकर यह जानना चाहते हैं कि हमें साक्षात्कार के लिए क्यों नहीं चयनित किया गया। हम जानना चाहते हैं कि कुछ दागी शिक्षकों को साक्षात्कार के लिए क्यों बुलाया गया और उन्हें 10 अंक अतिरिक्त क्यों दिए गए। हमने लिखित परीक्षा में 100 प्रतिशत अंक प्राप्त किए और फिर भी हमारे साथ भेदभाव किया जा रहा है।’’
एक एसएससी अधिकारी ने कहा कि सत्यापन के लिए बुलाए गए उम्मीदवारों की सूची उस दिशानिर्देश के तहत तैयार की गई थी जिसके अनुसार शिक्षण अनुभव के लिए 10 अंक और साक्षात्कार के लिए 20 अंक दिए जाने हैं।
पहली बार एसएससी में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों का सोमवार को इसी मांग को लेकर लगभग छह घंटे तक विरोध प्रदर्शन जारी रहा।
शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने कहा कि एसएससी उच्चतम न्यायालय की निगरानी में भर्ती परीक्षाएं आयोजित कर रहा है और नियमों में बदलाव नहीं किया जा सकता।
भाषा संतोष