सरकार एआई मंच के माध्यम से प्रति माह 20 लाख पीडीएस लाभार्थियों से जानकारी लेगी
राजेश राजेश अजय
- 18 Nov 2025, 06:51 PM
- Updated: 06:51 PM
नयी दिल्ली, 18 नवंबर (भाषा) खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रल्हाद जोशी ने मंगलवार को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत लाभार्थियों से उनकी प्रतिक्रिया (फीडबैक) लेने के लिए एआई-आधारित मंच ‘आशा’ का शुभारंभ किया और अधिकारियों को शिकायतों पर शीघ्र कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
मंत्री ने भंडार गृह संचालन के आधुनिकीकरण, आपूर्ति श्रृंखला दक्षता में सुधार और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से डिजिटल पहल का एक समूह पेश किया। उन्होंने पंजाब में एक साइलो का भी वर्चुअल तरीके से उद्घाटन किया।
मंगलवार को शुरू की गई डिजिटल पहल हैं: भंडारण 360 - केंद्रीय भंडारण निगम (सीडब्ल्यूसी) में एक क्लाउड-आधारित ईआरपी मंच; सीडब्ल्यूसी के सीएफसी/आईसीडी संचालन को स्वचालित करने के लिए स्मार्ट एक्जिम वेयरहाउस; एकीकृत अनाज संचालन के लिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) का 'अन्न दर्पण' क्लाउड मंच; आशा एआई प्रणाली।
जोशी ने कहा कि ये डिजिटल पहल सरकार के लॉजिस्टिक्स लागत कम करने और कारोबार के समय को न्यूनतम करने के मिशन का समर्थन करती हैं।
प्रौद्योगिकी की भूमिका पर ज़ोर देते हुए, मंत्री ने कहा कि प्रौद्योगिकी के पीछे के व्यक्ति को भी करुणा जैसी भावनाओं के साथ अपने दिमाग का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि सबसे गरीब लोगों तक प्रभावी और पारदर्शी सेवा पहुंचाई जा सके।
आशा के बारे में विस्तार से बताते हुए, केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि इस एआई मंच की मदद से हर महीने 20 लाख राशन दुकान लाभार्थियों तक पहुंचा जाएगा ताकि पीडीएस प्रणाली के बारे में प्रतिक्रिया प्राप्त की जा सके।
उन्होंने कहा कि इस कार्य पर हर महीने केवल पांच लाख रुपये खर्च होंगे, और कहा कि अगर कॉल सेंटर के माध्यम से किया जाता तो लागत बहुत अधिक होती।
एफसीआई ने अन्न दर्पण नामक एक नया माइक्रोसर्विसेज-आधारित मंच पेश किया है जो मौजूदा डिपो ऑनलाइन प्रणाली की जगह लेगा।
अन्न दर्पण खरीद, भंडारण, संचलन, बिक्री, गुणवत्ता जांच, श्रम प्रबंधन और अनुबंध निगरानी जैसी प्रमुख गतिविधियों को एक एकीकृत प्रणाली के अंतर्गत जोड़ता है। यह एफसीआई और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग, दोनों के लिए सत्य के एक एकीकृत स्रोत के रूप में कार्य करता है।
एक सरकारी बयान में कहा गया है कि आशा ने पांच राज्यों में प्रायोगिक परियोजना के साथ शुरुआत की, 15 और राज्यों तक विस्तार किया और मार्च, 2026 तक सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में प्रति माह 20 लाख नागरिकों तक पहुंचेगी।
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