न्यायालय ने 16 राज्यों में बार काउंसिल चुनावों के पर्यवेक्षण के वास्ते समिति गठित की
धीरज नरेश
- 18 Nov 2025, 07:02 PM
- Updated: 07:02 PM
नयी दिल्ली, 18 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने 16 राज्य में बार काउंसिल के चुनाव का पर्यवेक्षण करने के लिए शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय पर्यवेक्षी समिति गठित की और कहा कि चुनाव प्रक्रिया ‘‘न्यायसंगत, निष्पक्ष और पारदर्शी’’ होनी चाहिए।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने राज्य बार काउंसिल में कई चरणों में चुनाव कराने का निर्देश देते हुए कहा कि ऐसे प्रत्येक बार निकाय में 31 मार्च, 2026 तक एक नया निर्वाचित निकाय होना चाहिए।
पीठ ने कहा कि उच्चाधिकार प्राप्त समिति की अध्यक्षता शीर्ष अदालत के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे और इसमें उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश और एक प्रतिष्ठित वरिष्ठ अधिवक्ता शामिल होंगे। अधिवक्ता ऐसा होना चाहिए जिसने बार निकाय चुनाव लड़ा हो।
शीर्ष अदालत ने हालांकि खुली अदालत में दिए गए आदेश में समिति के तीन सदस्यों के नाम नहीं बताए।
पीठ ने उत्तर प्रदेश और तेलंगाना जैसे कुछ राज्य बार काउंसिल के नाम लिए गए हैं जहां 31 जनवरी को मतदान होगा। इसी तरह, आंध्र प्रदेश, दिल्ली और त्रिपुरा जैसे अन्य बार काउंसिल में दूसरे चरण में फरवरी में मतदान कराने की बात कही।
तीसरे और चौथे चरण के मतदान के लिए अन्य राज्यों के बार काउंसिल के नाम घोषित किए गए।
शीर्ष अदालत ने कहा कि सभी राज्य बार काउंसिल चुनाव राज्य स्तरीय उच्चाधिकार प्राप्त चुनाव निगरानी समितियों की प्रत्यक्ष निगरानी में होंगे, जिनके सदस्य विभिन्न उच्च न्यायालयों के सेवानिवृत्त न्यायाधीश होंगे।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा सहित कई वकीलों ने न्यायालय का ध्यान आकर्षित कराया कि कानून की डिग्रियों के सत्यापन के लिए चल रहे अभियान के कारण बार निकायों के चुनावों में देरी हो सकती है।
पीठ ने इस पर कहा कि राज्य बार काउंसिल के सदस्य वकील अनंतिम रूप से मतदान कर सकते हैं और यदि उनके डिग्री प्रमाण पत्र फर्जी पाए जाते हैं, तो परिणाम भुगतने होंगे।
न्यायालय ने सभी विश्वविद्यालयों और डीम्ड विधि विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया कि वे अपने अधिकारियों की एक विशेष टीम नियुक्त करें, जिसमें राज्य बार काउंसिल से प्राप्त डिग्रियों के सत्यापन के लिए उनके विधि विभाग का एक वरिष्ठ संकाय सदस्य शामिल हो।
पीठ ने कहा, ‘‘यह सत्यापन डिग्री प्राप्त होने की तिथि से एक सप्ताह के भीतर किया जाएगा।’’ पीठ ने कहा कि विश्वविद्यालय नियमों के अनुसार ऐसी सत्यापन प्रक्रिया के लिए शुल्क लेने के हकदार होंगे और सत्यापन के लिए कोई अतिरिक्त मांग केवल इसलिए नहीं उठाई जाएगी क्योंकि अदालत ने समयबद्ध तरीके से सत्यापन का निर्देश दिया है।
शीर्ष अदालत ने नामांकन की तिथि, नामांकन वापस लेने, नामांकन पत्रों की जांच, मतदान जैसी तिथियां भी निर्धारित कीं और निर्देश दिया कि पहले चरण के लिए 31 जनवरी तक चुनाव की घोषणा कर दी जाए।
पीठ ने कहा कि किसी भी शिकायत या समय विस्तार पर उच्चाधिकार प्राप्त समिति द्वारा विचार किया जाएगा।
भाषा धीरज