अगले साल खरीफ सत्र से जंगली जानवरों के हमले से फसल नुकसान को बीमा कवर मिलेगा
राजेश राजेश अजय
- 18 Nov 2025, 07:57 PM
- Updated: 07:57 PM
नयी दिल्ली, 18 नवंबर (भाषा) सरकार ने मंगलवार को कहा कि जंगली जानवरों के हमलों से होने वाले फसल नुकसान को वर्ष 2026 के खरीफ (ग्रीष्मकालीन) बुवाई सत्र से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत बीमा कवर के दायरे में लिया जाएगा, जिससे किसानों को बड़ी राहत मिलेगी।
इसके अलावा, भारी बारिश और बाढ़ के कारण धान की फसलों के जलमग्न होने से हुए नुकसान को भी पीएमएफबीवाई के तहत कवर किया जाएगा।
एक बयान में, कृषि मंत्रालय ने बताया कि भारत भर के किसान हाथियों, जंगली सूअरों, नीलगाय, हिरणों और बंदरों जैसे जंगली जानवरों के हमलों के कारण फसल नुकसान का सामना कर रहे हैं।
मंत्रालय ने आगे कहा कि ये घटनाएं विशेष रूप से जंगलों, वन्यजीव गलियारों और पहाड़ी इलाकों के पास स्थित क्षेत्रों में आम हैं।
इसमें कहा गया, "संशोधित ढांचे के तहत, जंगली जानवरों के हमले से होने वाले फसल नुकसान को अब स्थानीयकृत जोखिम श्रेणी के अंतर्गत पांचवें अतिरिक्त कवर के रूप में मान्यता दी जाएगी।’’
राज्य फसल क्षति के लिए जिम्मेदार जंगली जानवरों की सूची अधिसूचित करेंगे और ऐतिहासिक आंकड़ों के आधार पर संवेदनशील जिलों या बीमा इकाइयों की पहचान करेंगे।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘किसानों को 72 घंटों के भीतर फ़सल बीमा ऐप का उपयोग करके जियोटैग की गई तस्वीरें अपलोड करके नुकसान की सूचना देनी होगी।’’
कई राज्य इस संबंध में अपनी मांग रख रहे हैं।
बयान में कहा गया, ‘‘पीएमएफबीवाई परिचालन दिशानिर्देशों के अनुसार रूपरेखा तैयार की गई है, जो देश भर में कार्यान्वयन के लिए एक वैज्ञानिक, पारदर्शी और परिचालन रूप से व्यवहार्य ढांचा सुनिश्चित करती है, और इसे खरीफ 2026 से लागू किया जाएगा।’’
मंत्रालय ने कहा कि जंगली जानवरों के हमलों से होने वाले फसल नुकसान की अक्सर भरपाई नहीं हो पाती क्योंकि वे फसल बीमा के अंतर्गत कवर नहीं होते।
बयान में कहा गया, ‘‘बाढ़-प्रवण और तटीय राज्यों में धान की खेती करने वाले किसान भारी बारिश के दौरान जलभराव और जलमार्गों के उफान से बार-बार प्रभावित हुए हैं।’’
नैतिक जोखिम और जलमग्न फसलों के आकलन में कठिनाई की चिंताओं के कारण वर्ष 2018 में धान की बाढ़ को स्थानीय आपदा की श्रेणी से हटा दिया गया था।
इन उभरते जोखिमों और चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, कृषि विभाग ने एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया।
समिति की सिफारिशों को अब केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंजूरी दे दी है।
मंत्रालय ने कहा कि उसने अब पीपीएमएफबीवाई के तहत 'जंगली जानवरों के हमलों और धान की बाढ़ से होने वाली फसल हानि' को कवर करने के तौर-तरीकों को मान्यता दे दी है।
बयान में कहा गया, ‘‘इस महत्वपूर्ण निर्णय के साथ, स्थानीय स्तर पर फसल क्षति से पीड़ित किसानों को अब पीएमएफबीवाई के तहत समय पर और तकनीक-आधारित दावा निपटान प्राप्त होगा।’’
इस कवरेज से ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और उत्तराखंड सहित उच्च मानव-वन्यजीव संघर्ष वाले राज्यों के किसानों को काफी लाभ होने की उम्मीद है। असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, सिक्किम और हिमाचल प्रदेश जैसे हिमालयी और पूर्वोत्तर राज्यों के किसान भी लाभान्वित होंगे।
तटीय और बाढ़-प्रवण राज्यों के धान उत्पादक किसान भी इस योजना के अंतर्गत शामिल होंगे।
भाषा राजेश राजेश