जुबिन की मौत का मामला: हिमंत बोले, शाह ने आरोपियों के खिलाफ आगे की कार्रवाई करने की अनुमति दी
पारुल प्रशांत
- 18 Nov 2025, 08:15 PM
- Updated: 08:15 PM
गुवाहाटी, 18 नवंबर (भाषा) असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने मंगलवार को कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सिंगापुर में गायक जुबिन गर्ग की मौत से जुड़े मामले में आरोपियों के खिलाफ भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 208 के तहत आगे की कार्रवाई करने की मंजूरी दे दी है, जिससे राज्य पुलिस के लिए आरोपपत्र दाखिल करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
शर्मा का यह बयान मंगलवार को जुबिन की जयंती के मौके पर आया।
उन्होंने बताया कि बीएनएसएस की धारा 208 कहती है कि अगर कोई अपराध भारत के बाहर किया जाता है, तो अदालत संबंधित मामले पर तभी विचार कर सकती है, जब केंद्र सरकार इसके लिए पूर्व मंजूरी दे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज “हमारे प्रिय जुबिन गर्ग की 53वीं जयंती है। यह एक ऐसा दिन है, जो हमें उनके संगीत, उनकी आवाज और असम के दिल में उनकी खास जगह की याद दिलाता है।”
उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “आज इस खास दिन पर माननीय केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी ने सिंगापुर में जुबिन की मौत के मामले से जुड़े आरोपियों के खिलाफ आगे की कार्रवाई के लिए बीएनएसएस की धारा 208 के तहत आवश्यक मंजूरी दे दी है।”
शर्मा ने कहा कि यह मंजूरी एक महत्वपूर्ण कानूनी कदम है, जिससे हमें आरोपपत्र दाखिल करने और मामले की सुनवाई के लिए कानूनी रूप से मजबूती से आगे बढ़ने की अनुमति मिलेगी।
उन्होंने कहा कि वे इस साल 10 दिसंबर तक आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।
जुबिन की 19 सितंबर को सिंगापुर में समुद्र में तैरते समय रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत हो गई थी। वह ‘नॉर्थ ईस्ट इंडिया फेस्टिवल (एनईआईएफ)’ में हिस्सा लेने के लिए सिंगापुर गए थे। गुवाहाटी में उनके दाह संस्कार के बाद कई प्राथमिकी दर्ज की गई थीं और राज्य सरकार ने मामलों की जांच के लिए अपराध जांच विभाग (सीआईडी) के तहत एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था।
इसके बाद, जुबिन की मौत के सिलसिले में महोत्सव के आयोजक श्यामकानु महंत, जुबिन के प्रबंधक सिद्धार्थ शर्मा, उनके चचेरे भाई संदीपन गर्ग, संगीतकार शेखर ज्योति गोस्वामी, गायिका अमृतप्रभा महंत और दो निजी सुरक्षा अधिकारियों (पीएसओ) सहित सात लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
शर्मा ने अक्टूबर में कहा था कि एसआईटी तीन महीने की निर्धारित अवधि के भीतर आरोपपत्र दाखिल करेगी और जांच अपेक्षित दिशा में आगे बढ़ रही है।
उन्होंने कहा था कि असम सरकार जुबिन गर्ग की मौत के मामले को लेकर बहुत गंभीर है और “हम निश्चित तौर पर उन्हें न्याय दिलाएंगे तथा इस मामले में किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।”
मुख्यमंत्री ने कहा था कि आमतौर पर आरोपपत्र दाखिल करने के लिए तीन महीने का समय दिया जाता है और पुलिस इससे अधिक समय नहीं लेगी।
शर्मा ने कहा कि एसआईटी ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि जांच नवंबर के अंत तक पूरी हो जाएगी और आरोपपत्र संभवतः दिसंबर के पहले हफ्ते में दाखिल कर दिया जाएगा।
असम कैबिनेट ने हाल ही में फैसला लिया था कि राज्य सरकार गुवाहाटी उच्च न्यायालय से अनुरोध करेगी कि जुबिन की मौत से जुड़े मामले की सुनवाई फास्ट-ट्रैक अदालत में की जाए।
शर्मा ने कहा, “आमतौर पर यह शिकायत होती है कि अदालतें न्याय देने में लंबा समय लेती हैं और इसलिए राज्य मंत्रिमंडल ने एसआईटी की ओर से आरोपपत्र दाखिल किए जाने के बाद मामले की त्वरित सुनवाई के लिए गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से संपर्क करने का फैसला किया है।”
असम कैबिनेट ने राज्य के महाधिवक्ता की सिफारिश पर एक विशेष लोक अभियोजक नियुक्त करने का भी निर्णय लिया है, जो आरोपपत्र दाखिल करने से लेकर न्याय प्रदान किए जाने तक पूरी तरह से मामले की सुनवाई पर ही ध्यान केंद्रित करेंगे।
भाषा पारुल