शीर्ष नक्सली कमांडर हिडमा का मारे जाना वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ ‘निर्णायक उपलब्धि: मुख्यमंत्री साय
संजीव जितेंद्र
- 18 Nov 2025, 08:41 PM
- Updated: 08:41 PM
रायपुर, 18 नवंबर (भाषा) छत्तीसगढ़ में पिछले दो दशकों में हुए बड़े नक्सली हमलों का मास्टरमाइंड, प्रतिबंधित माओवादी संगठन का कुख्यात कमांडर माडवी हिडमा मंगलवार को पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश में एक मुठभेड़ में मारा गया। पुलिस अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि हिडमा के मारे जाने को माओवादी आतंक के ‘ताबूत में आखिरी कील’ के रूप में देखा जा रहा है।
बस्तर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीतारामराजू जिले के मरेदुमिल्ली के जंगल में हिडमा (51), उसकी पत्नी मडकम राजे और चार अन्य नक्सलियों के मारे जाने की पुष्टि की।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि छत्तीसगढ़-आंध्र प्रदेश सीमा पर सुरक्षाबलों के संयुक्त अभियान में हिडमा और पांच अन्य नक्सलियों का मारा जाना वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई में एक ‘निर्णायक उपलब्धि’ है।
बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने कहा, “नक्सल विरोधी मोर्चे पर सुरक्षाबलों के लिए यह एक ऐतिहासिक और निर्णायक दिन है। हिडमा की मौत न केवल छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना, बल्कि पूरे देश के लिए नक्सल विरोधी अभियानों के इतिहास में सबसे निर्णायक सफलताओं में से एक है।”
सुंदरराज ने बताया कि दशकों से हिडमा कई क्रूर हमलों, लक्षित हत्याओं और बड़े पैमाने पर सुरक्षाबलों पर घात लगाकर हमलों की योजना बनाई, जिससे दंडकारण्य क्षेत्र में शांति और स्थिरता को लगातार खतरा बना रहा।
दंडकारण्य, छत्तीसगढ़ के बस्तर के अलावा आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, तेलंगाना और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में फैला हुआ है।
अधिकारी ने बताया कि हिडमा ने सरकार, पुलिस और यहां तक कि अपने परिवार के सदस्यों द्वारा हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने की बार-बार की गई अपीलों को भी नजरअंदाज किया।
उन्होंने कहा कि यह कुछ बचे हुए माओवादी कार्यकर्ताओं और उनके कमजोर नेतृत्व के लिए एक सबक होगा कि वे वास्तविकता को स्वीकार करें और शांतिपूर्ण और सार्थक जीवन जीने के लिए मुख्यधारा में शामिल हों।
सुंदरराज ने कहा कि बस्तर क्षेत्र में लगातार सुरक्षाबलों के दबाव के कारण हिडमा, राजे और उनके करीबी सहयोगी अपने पारंपरिक सुरक्षित ठिकानों को छोड़ने पर मजबूर हो गए।
उन्होंने बताया, “वे पिछले कुछ महीनों से करेगुट्टा की पहाड़ियों और उससे सटी छत्तीसगढ़-तेलंगाना अंतरराज्यीय सीमा पर शरण लिए हुए थे और दंडकारण्य में भारी नुकसान झेलने के बाद लगातार एक जगह से दूसरी जगह भाग रहे थे। आज आखिरकार उनका पलायन समाप्त हो गया।”
पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस मुठभेड़ के बाद बरामद विस्फोटकों की प्रकृति और मात्रा स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि हिडमा और उसकी टीम अंतरराज्यीय सीमाओं पर बड़े हमले की योजना बना रही थी।
उन्होंने कहा कि उनके खात्मे ने आने वाले हमलों को रोक दिया है और लंबे समय से चले आ रहे आतंक के एक प्रतीक को समाप्त कर दिया है।
सुंदरराज ने बताया कि हिडमा पर छत्तीसगढ़ में 40 लाख रुपये का इनाम था और कई राज्यों में उस पर कुल मिलाकर एक करोड़ रुपये से अधिक का इनाम था।
मुख्यमंत्री साय ने ‘एक्स’ पर कहा, “ हिडमा के आतंक का हुआ अंत, बस्तर में लौट रहा है शांति का वसंत। छत्तीसगढ़-आंध्र प्रदेश सीमा पर सुरक्षाबलों के सफल ऑपरेशन में शीर्ष नक्सली और सीसी मेंबर माडवी हिडमा सहित छह नक्सलियों का खात्मा नक्सलवाद के विरुद्ध हमारी लड़ाई में एक निर्णायक उपलब्धि है।”
उन्होंने कहा, “इसके लिए हमारे सुरक्षाबल के जवानों के अदम्य साहस को नमन। हिडमा वर्षों से बस्तर में रक्तपात, हिंसा और दहशत का चेहरा था। आज उसका अंत न सिर्फ एक अभियान की उपलब्धि है, बल्कि लाल आतंक पर गहरी चोट है, साथ ही यह क्षेत्र में स्थायी शांति स्थापित करने की हमारी प्रतिबद्धता को और सशक्त करता है।”
साय ने कहा, “बीते महीनों में सैकड़ों नक्सलियों का आत्मसमर्पण, कुख्यात नक्सलियों की गिरफ्तारियां और लगातार सफल अभियान बताते हैं कि नक्सलवाद अब अंतिम सांसें ले रहा है।”
मुख्यमंत्री ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में हमारी सुशासन सरकार बस्तर में शांति, विश्वास और विकास की नई धारा बहा रही है। नियद नेल्ला नार, नक्सलियों के लिए पुनर्वास नीति, नवीन सुरक्षा कैंप की स्थापना, इन कदमों ने जनविश्वास को मजबूत किया है और बस्तर के हर गांव में नया आत्मविश्वास भरा है।”
उन्होंने कहा, “हमें पूरा विश्वास है कि केंद्र-राज्य की संयुक्त रणनीति के साथ मार्च 2026 तक भारत पूर्णतः नक्सल मुक्त होगा। जय हिंद! जय छत्तीसगढ़!”
सुकमा जिले के जगरगुंडा थाना क्षेत्र के पूवर्ती गांव के मूल निवासी हिडमा की उम्र और रूप-रंग सुरक्षा एजेंसियों के बीच लंबे समय तक अटकलों का विषय रहे हैं। यह सिलसिला इस वर्ष की शुरुआत में उसकी तस्वीर सामने आने तक जारी रहा।
वह माओवादियों की पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) बटालियन नंबर एक का प्रमुख था, जो भाकपा (माओवादी) का सबसे मज़बूत सैन्य दस्ता माना जाता है।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि यह बटालियन कई वर्षों तक दंडकारण्य में सक्रिय सबसे हिंसक माओवादी दस्ता था।
पिछले वर्ष उसे माओवादियों की केंद्रीय समिति में पदोन्नत किया गया था। वह छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में सक्रिय सबसे खूंखार माओवादी कमांडरों में से एक था।
हिडमा, जिसे हिडमन्ना, हिडमालू और देवा जैसे उपनामों से भी जाना जाता है, 1991 में बाल संघम के सदस्य के रूप में प्रतिबंधित संगठन में शामिल हुआ था। 2010 में ताड़मेटला हमले के बाद वह सुरक्षा एजेंसियों के निशाने पर आया, जिसमें 76 सुरक्षाकर्मी मारे गए थे।
उसने तब एक अन्य शीर्ष माओवादी कमांडर, पापा राव को हमले को अंजाम देने में मदद की थी। तब से बस्तर में सुरक्षाबलों पर हर बड़े हमले के बाद उसका नाम बार-बार सामने आया।
पुलिस के मुताबिक वह दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेएसजेडसी) का सदस्य था, जिसने दक्षिण बस्तर में कई घातक हमलों की योजना बनाई थी।
गुरिल्ला युद्ध में प्रशिक्षित, हिडमा एके-47 राइफल रखने के लिए जाना जाता था। उसकी टुकड़ी में कई सौ जवान आधुनिक हथियारों से लैस थे। जंगलों के अंदर उसके चार-स्तरीय सुरक्षा घेरे के कारण कथित तौर पर वह वर्षों तक सुरक्षाबलों की पहुंच से दूर रहा।
पुलिस के मुताबिक, पिछले दो वर्षों में तेज़ हुए नक्सल-विरोधी अभियानों ने उसके सुरक्षा घेरे को कमजोर कर दिया, जिससे उसे छत्तीसगढ़-तेलंगाना और छत्तीसगढ़-आंध्र प्रदेश सीमा पर स्थित जंगलों में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।
माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षाबलों द्वारा निरंतर चलाए जा रहे अभियानों ने हिड़मा सहित वरिष्ठ नेताओं पर काफ़ी दबाव डाला है।
हिडमा, जिन बड़े नक्सली हमलों में शामिल था, उनमें 2013 में बस्तर के दरभा क्षेत्र का झीरम घाटी हमला भी शामिल है। इस हमले में महेंद्र कर्मा, नंद कुमार पटेल और विद्याचरण शुक्ल जैसे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मारे गए थे। वह 2017 में बुरकापाल में हुए हमले का भी आरोपी है, जिसमें सीआरपीएफ के 24 जवान शहीद हो गए थे।
पुलिस के मुताबिक, उसकी पत्नी राजे ने वर्षों तक प्रतिबंधित संगठन में प्रमुख पदों पर कार्य किया। उसकी भर्ती पहले बाल संगठन में सदस्य (1994-95) के रूप में हुई, फिर विभिन्न क्षेत्रीय समितियों की सदस्य और अंततः बटालियन पार्टी समिति की सदस्य के रूप में वह पदोन्नत होती गई।
छत्तीसगढ़ पुलिस के एक अन्य अधिकारी ने बताया, “हिडमा ने अपने कार्यकर्ताओं के बीच एक वीर योद्धा की छवि बना ली थी। उसका खात्मा बस्तर क्षेत्र से माओवाद के अंत की दिशा में एक बड़ा कदम है। छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में बुरी तरह कमजोर पड़ चुके माओवाद की सैन्य ताकत के लिहाज से उसका खात्मा ‘ताबूत में आखिरी कील’ है।”
आंध्र प्रदेश में हुई इस मुठभेड़ के साथ ही छत्तीसगढ़, झारखंड और आंध्र प्रदेश में अलग-अलग मुठभेड़ों में माओवादियों की केंद्रीय समिति के नौ सदस्य मारे गए हैं।
प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के महासचिव और शीर्ष कार्यकर्ता नंबला केशव राव उर्फ बसवराजू (70) और केंद्रीय समिति के पांच सदस्य छत्तीसगढ़ में अलग-अलग मुठभेड़ों में मारे गए।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि झारखंड में दो केंद्रीय समिति सदस्य मारे गए, जबकि इस साल आंध्र प्रदेश में भी कई अन्य नक्सली मारे गए।
भाषा संजीव