लाल किला विस्फोट मामला: ईडी ने छापेमारी के बाद अल फलाह समूह के अध्यक्ष को गिरफ्तार किया
यासिर अविनाश
- 18 Nov 2025, 11:30 PM
- Updated: 11:30 PM
(तस्वीरों के साथ)
नयी दिल्ली, 18 नवंबर (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने लाल किला कार विस्फोट मामले से जुड़े अल फलाह विश्वविद्यालय, फरीदाबाद के न्यासियों और प्रवर्तकों के खिलाफ दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में मंगलवार को छापेमारी करने के बाद समूह के अध्यक्ष जवाद अहमद सिद्दीकी को गिरफ्तार कर लिया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि सिद्दीकी को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के आपराधिक प्रावधानों के तहत हिरासत में लिया गया है और रिमांड के लिए सक्षम अदालत में पेश किया जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, एजेंसी ने सुबह करीब सवा पांच बजे शुरू की तलाशी के दौरान 48 लाख रुपये नकद भी जब्त किए हैं।
अधिकारियों ने बताया कि संघीय जांच एजेंसी की कई टीम ने अल फलाह ट्रस्ट और विश्वविद्यालय प्रतिष्ठान के कई परिसरों की तलाशी ली।
एजेंसी के दलों ने दिल्ली के ओखला क्षेत्र में एक कार्यालय पर पुलिस और अर्धसैनिक बलों की सुरक्षा में छापा मारा।
दिल्ली में लाल किले के निकट 10 नवंबर को हुए विस्फोट में 15 लोग मारे गए। विस्फोट में विश्वविद्यालय तथा कश्मीर से जुड़े कई चिकित्सकों की भूमिका आतंकवाद निरोधी जांच एजेंसियों की जांच के दायरे में है।
ईडी के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘यह कार्रवाई वित्तीय अनियमितताओं, फर्जी कंपनियों, आवास संस्थाओं के इस्तेमाल और धन शोधन की चल रही जांच का हिस्सा है। अल फलाह ट्रस्ट और संबंधित संस्थाओं की भूमिका की जांच की जा रही है।’’
ईडी ने इस मामले में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) और दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी का संज्ञान लिया है। अब तक एनआईए ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है, जिन्हें ‘‘आत्मघाती हमलावर’’ डॉ. उमर नबी का कथित करीबी सहयोगी बताया जा रहा है।
अल फलाह विश्वविद्यालय हरियाणा में फरीदाबाद जिले के धौज क्षेत्र में स्थित है और यह एक मेडिकल कॉलेज-सह-अस्पताल है।
अधिकारियों के अनुसार, ईडी को ऐसे शैक्षणिक संस्थान (विश्वविद्यालय और कॉलेज) मिले, जिनका स्वामित्व अंततः अल फलाह न्यास के अंतर्गत था तथा उन पर ‘प्रभावी रूप से’ सिद्दीकी का नियंत्रण था।
उन्होंने बताया कि अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट का गठन आठ सितंबर 1995 को एक सार्वजनिक धर्मार्थ न्यास के तौर पर किया गया था, जिसमें सिद्दीकी को पहले न्यासियों में से एक नामित किया गया था और उन्हें प्रबंध न्यासी के रूप में नामित किया गया था।
एजेंसी ने आरोप लगाया कि न्यास द्वारा करोड़ों रुपये परिवार के स्वामित्व वाली संस्थाओं में अंतरित कर दिए गए।
उन्होंने बताया कि समूह की कई फर्जी कंपनियों की पहचान की गई है। कई अन्य अधिनियमों के तहत भी उल्लंघनों का पता चला है।
भाषा यासिर