एनबीएफसी का आगामी बजट में समर्पित पुनर्वित्त सुविधा, ऋण वसूली कानूनों में बदलाव का आह्वान
निहारिका अजय
- 19 Nov 2025, 04:10 PM
- Updated: 04:10 PM
नयी दिल्ली, 19 नवंबर (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं एवं बीमा (बीएफएसआई) क्षेत्र के प्रतिनिधियों के साथ बुधवार को यहां बजट पूर्व बैठक की।
इसमें प्रतिनिधियों ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए एनएचबी की तर्ज पर समर्पित पुनर्वित्त सुविधा एवं जमा जुटाने को प्रोत्साहित करने के लिए सावधि जमा के साथ दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर को जोड़ने जैसे कुछ सुझाव दिए।
वित्त उद्योग विकास परिषद के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) रमण अग्रवाल ने बैठक के बाद कहा कि एनबीएफसी के लिए एक समर्पित पुनर्वित्त मंच बनाने की आवश्यकता है ताकि धन का सुचारू एवं स्थायी प्रवाह सुनिश्चित किया जा सके। साथ ही इस प्रणाली के माध्यम से जुटाए गए संसाधनों का उपयोग विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) और प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के वित्तपोषण के लिए किया जा सके।
उन्होंने कहा कि वसूली के संबंध में वित्तीय आस्तियों के प्रतिभूतिकरण एवं पुनर्निर्माण तथा प्रतिभूति हित प्रवर्तन (एसएएफएईएसआई) अधिनियम में बदलाव का सुझाव दिया गया है, ताकि एनबीएफसी को इसका लाभ मिल सके।
अग्रवाल ने कहा कि वर्तमान में एसएएफएईएसआई अधिनियम के तहत सीमा 20 लाख रुपये है जिसे कम किया जा सकता है ताकि छोटी एनबीएफसी कंपनियों को इस ऋण वसूली कानून के तहत शामिल किया जा सके।
सूत्रों ने बताया कि वित्त उद्योग विकास परिषद (एफआईडीसी) ने सीमा को वर्तमान 20 लाख रुपये से घटाकर एक लाख रुपये करने का मामला उठाया है, ताकि छोटी एनबीएफसी को इसका लाभ मिल सके।
अग्रवाल ने यह भी कहा कि सरकार गैर-व्यक्तिगत उधारकर्ताओं पर टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) हटाने पर विचार कर सकती है क्योंकि इस प्रावधान से कोई अतिरिक्त राजस्व प्राप्त नहीं होता है। शिक्षा ऋण के ब्याज पर धारा 80ई के तहत कर योग्य आय में कटौती के लिए एनबीएफसी के लिए अधिसूचना जारी करने की भी सिफारिश की गई।
सूत्रों के अनुसार, बैंकों के प्रतिनिधियों ने दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर को सावधि जमा के साथ जोड़ने का सुझाव दिया ताकि जमा राशि जुटाने को बढ़ावा मिल सके। सावधि जमा से प्राप्त रिटर्न पर आयकर लगाया जाता है जिससे लोग अपनी बचत सावधि जमा में लगाने से हतोत्साहित होते हैं।
यह बजट पूर्व परामर्श की श्रृंखला में सातवां परामर्श है, जिसे वित्त मंत्रालय बजट 2026-27 को अंतिम रूप देने से पहले प्रतिवर्ष आयोजित करता है।
बैठक में केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी, आर्थिक मामलों के विभाग की सचिव अनुराधा ठाकुर, मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन और वित्त मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे।
वित्त मंत्री ने अर्थशास्त्रियों, कृषि क्षेत्र के प्रमुख प्रतिनिधियों और एमएसएमई क्षेत्र के दिग्गजों के साथ पिछले सप्ताह क्रमशः पहले, दूसरे और तीसरे दौर की चर्चा की थी। मंगलवार को, पूंजी बाजार और स्टार्टअप के प्रतिनिधियों सहित तीन बजट-पूर्व परामर्श बैठकें आयोजित की गईं।
सीतारमण आगामी बजट के दौरान भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं तथा भारत से आयातित वस्तुओं पर अमेरिका के 50 प्रतिशत के शुल्क की पृष्ठभूमि में वार्षिक लेखा-जोखा पेश करेंगी।
वह संभवतः एक फरवरी को अपना लगातार नौवां बजट पेश करेंगी।
वित्त वर्ष 2026-27 के बजट में मांग बढ़ाने, रोजगार सृजन और अर्थव्यवस्था को आठ प्रतिशत से अधिक की निरंतर वृद्धि दर पर लाने के मुद्दों पर ध्यान दिए जाने की संभावना है। सरकार का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था 6.3-6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी।
भाषा निहारिका