मुंढवा भूमि सौदा: पुलिस ने आरोपी तेजवानी का बयान दर्ज किया
जितेंद्र अविनाश
- 19 Nov 2025, 08:44 PM
- Updated: 08:44 PM
पुणे, 19 नवंबर (भाषा) महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार की कंपनी को मुंढवा में सरकारी जमीन की कथित अवैध बिक्री के मामले में पुणे पुलिस ने आरोपी शीतल तेजवानी का बयान दर्ज किया।
एक अधिकारी ने बुधवार को बताया कि खड़क थाने में दर्ज मामले में तेजवानी से पूछताछ की गई।
पुलिस के मुताबिक, तेजवानी के अलावा पार्थ पवार के व्यापारिक साझेदार दिग्विजय पाटिल और निलंबित तहसीलदार सूर्यकांत येओल इस मामले में आरोपी हैं।
येओल ने भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (बीएसआई) को बेदखली नोटिस जारी कर अपने पद का कथित तौर पर दुरुपयोग किया था।
पुलिस ने पहले बताया था कि पार्थ पवार को आरोपी नहीं बनाया गया क्योंकि उनका नाम बिक्री पत्र में नहीं था।
तेजवानी ने 40 एकड़ जमीन पार्थ पवार और दिग्विजय पाटिल की कंपनी ‘अमाडिया एंटरप्राइजेज एलएलपी’ को बेचने का कथित तौर पर सौदा किया था और जमीन के 272 पूर्व मालिकों के लिए ‘पावर ऑफ अटॉर्नी’ का काम किया।
दरअसल, यह जमीन सरकार के स्वामित्व में है, जिसने इसे भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण को पट्टे पर दिया है।
पुणे के पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने बताया कि शीतल तेजवानी को बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस जारी किया गया था।
उन्होंने बताया, “अब बयान की जांच की जाएगी। हमने दस्तावेजों का सत्यापन कर लिया है और जांच सभी संभावित पहलुओं को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ेगी। जांच दल उल्लंघनों का पता लगाने और अब तक एकत्र साक्ष्यों की पुष्टि करने के लिए अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचने की दिशा में काम कर रहा है।”
कुमार ने बताया कि कई अन्य व्यक्तियों के बयान अभी दर्ज किए जाने बाकी हैं।
पुलिस आयुक्त ने बताया, “सभी बयान एकत्र हो जाने के बाद, हम इस बारे में अंतिम निष्कर्ष निकालने की स्थिति में होंगे।”
कुमार ने बताया कि दिग्विजय पाटिल को भी बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस भेजा गया है।
उन्होंने बताया कि 272 मूल ‘वतनदारों’ (जिन्हें महार वतन प्रणाली के तहत भूमि पर मालिकाना हक दिया गया था) को भी नोटिस जारी किए गए हैं और उनमें से कुछ ने पहले ही अपने बयान दर्ज करा दिए हैं।
संयुक्त महानिरीक्षक पंजीकरण (आईजीआर) राजेंद्र मुथे ने मंगलवार को अपनी अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट सरकार को सौंपी, जिसमें उप-पंजीयक आरबी तारू, पाटिल और तेजवानी को इस अवैध लेनदेन के लिए आरोपी बनाया गया है।
सरकारी जमीन होने के कारण बिक्री अवैध होने के अलावा यह भी पता चला कि ‘अमाडिया एंटरप्राइजेज’ को 21 करोड़ रुपये के स्टांप शुल्क के भुगतान से छूट दी गई थी।
भाषा जितेंद्र