2025-26 में मनरेगा के तहत सृजित मानव दिवसों में कमी दर्ज की गई : रिपोर्ट
आशीष अविनाश
- 19 Nov 2025, 08:18 PM
- Updated: 08:18 PM
नयी दिल्ली, 19 नवंबर (भाषा) मनरेगा के तहत 2025-26 में मानव दिवसों की संख्या में पिछले दो वित्तीय वर्षों की तुलना में 25.6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष और इस वर्ष सितंबर तक बड़ी संख्या में नाम हटाने की प्रवृत्ति उलट गई। बुधवार को जारी एक रिपोर्ट से यह जानकारी मिली।
कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों के संघ ‘लिबटेक इंडिया’ द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट ‘भारत में मनरेगा कार्यान्वयन: अंतर्दृष्टि और रुझान, अप्रैल-सितंबर 2025’ में कहा गया है कि 2022-23 और 2023-24 में बड़ी संख्या में श्रमिकों के नाम हटाए जाने की प्रवृत्ति देखी गई थी, जो 2024-25 में उलट गई, और यह रुझान इस वर्ष भी जारी रहा।
हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि इस वर्ष अप्रैल से सितंबर के बीच देश भर में इस योजना के तहत 132.5 करोड़ मानव दिवस सृजित किए गए, जो 2024-25 की इसी अवधि के 150.1 करोड़ से 11.7 प्रतिशत कम है और 2023-24 के 178.1 करोड़ से 25.6 प्रतिशत कम है।
रिपोर्ट में कहा गया है, "यह मनरेगा के तहत हर साल रोज़गार सृजन में क्रमिक गिरावट की चिंताजनक प्रवृत्ति को उजागर करता है।"
रिपोर्ट के अनुसार 2024-25 की तुलना में 2025-26 में केवल आठ राज्यों में रोज़गार सृजन में वृद्धि दर्ज की गई और 11 राज्यों में गिरावट देखी गई, जबकि पश्चिम बंगाल में दोनों ही वर्षों में कोई भी रोज़गार सृजन दर्ज नहीं किया गया।
राज्यों में, उत्तराखंड (54.3 प्रतिशत) और तेलंगाना (47.6 प्रतिशत) में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई, जबकि झारखंड (56.4 प्रतिशत) और मध्यप्रदेश (30.5 प्रतिशत) में 2025-26 में सृजित मानव दिवसों में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2023-24 के दौरान रोजगार सृजन अपेक्षाकृत बेहतर रहा, जबकि उसी वर्ष 2.37 करोड़ श्रमिकों के नाम हटाए गए।
श्रमिकों के नाम हटाए जाने पर, ‘लिबटेक इंडिया’ के वरिष्ठ शोधकर्ता मुक्केरा राहुल ने कहा, "पिछले दो वित्तीय वर्षों के दौरान, ज़्यादा श्रमिक हटाए गए और कम जोड़े गए। पिछले वित्तीय वर्ष में स्थिति उलट गई और ज़्यादा श्रमिक जुड़ने लगे। यह प्रवृत्ति 2025-26 में भी जारी है। यह एक सकारात्मक विकास है।"
रिपोर्ट के अनुसार, 2024-25 में 91 लाख श्रमिकों के नाम हटाए गए और 2.22 करोड़ नए श्रमिक जुड़े। इसे एक सकारात्मक प्रगति बताते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है कि यह रुझान इस साल भी जारी रहा और अप्रैल से सितंबर के बीच 90 लाख श्रमिक जुड़े जबकि केवल 11.2 लाख श्रमिक हटाए गए।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कुल श्रमिकों में से लगभग 68 प्रतिशत तथा मनरेगा के अंतर्गत सक्रिय श्रमिकों में से 46 प्रतिशत ने अभी तक अपना ई-केवाईसी पूरा नहीं किया है।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) का उद्देश्य देश के ग्रामीण क्षेत्रों में परिवारों की आजीविका सुरक्षा को बढ़ाना है।
भाषा आशीष