प्रख्यात कन्नड़ कवि एच एस वेंकटेश मूर्ति का निधन
सिम्मी नरेश
- 30 May 2025, 04:11 PM
- Updated: 04:11 PM
बेंगलुरु, 30 मई (भाषा) प्रख्यात कन्नड़ कवि और नाटककार एच. एस. वेंकटेश मूर्ति का शुक्रवार को यहां एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह 80 वर्ष के थे।
सूत्रों ने बताया कि एचएसवी के नाम से लोकप्रिय कवि का बढ़ती उम्र संबंधी समस्याओं के कारण शुक्रवार को निधन हो गया।
उन्होंने बताया कि वेंकटेश मूर्ति के परिवार में उनके चार बेटे हैं।
मूर्ति एक बेहतरीन लेखक थे। उन्होंने निबंधकार, नाटककार, उपन्यासकार, बाल साहित्य लेखक, अनुवादक, आलोचक, कवि और फिल्मी गीत-कहानी-संवाद लेखक के रूप में कन्नड़ साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
मूर्ति ने बेंगलुरु स्थित सेंट जोसेफ कॉलेज में तीन दशकों से अधिक समय तक अध्यापन किया।
मूर्ति की कविताएं कर्नाटक में खासी प्रसिद्ध हैं और उन्हें लोकप्रिय सुगम संगीत या भावगीत (ऐसी संगीत शैली जिसमें कन्नड़ भाषा में कविता को संगीतबद्ध किया जाता है) मंचों पर अक्सर गाया जाता है।
उन्होंने ‘चिन्नारी मुथा’, ‘अमेरिका अमेरिका’ और ‘किरिक पार्टी’ जैसी फिल्मों के लिए भी गीत लिखे। उनके प्रमुख नाटकों में ‘उरिया उय्याले’, ‘अग्निवर्ण’ और ‘मंथरे’ शामिल हैं।
मूर्ति को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है और वह कलबुर्गी में आयोजित 85वें अखिल भारतीय कन्नड़ साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष थे।
उन्होंने ‘कन्नड़डल्ली कथा कवानगलु’ पर अपने शोध के लिए साहित्य में डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की।
मूर्ति के निधन पर शोक जताते हुए कर्नाटक सरकार ने एक अधिसूचना जारी की जिसमें उनका अंतिम संस्कार पूरे पुलिस सम्मान के साथ किए जाने का निर्देश दिया गया।
मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने मूर्ति के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि वह एक ऐसे प्रतिष्ठित लेखक थे जिनके बड़ी संख्या में पाठक थे और उनके जाने से साहित्य जगत को अपूरणीय क्षति हुई है।
मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक ‘पोस्ट’ साझा कर कविता, नाटक, बाल साहित्य, अनुवाद, निबंध और उपन्यासों में मूर्ति के विविध साहित्यिक योगदान पर प्रकाश डाला।
राज्य के उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार ने कवि के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि मूर्ति ने अपने भावगीत के माध्यम से कन्नड़ साहित्य को समृद्ध किया।
उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘भावों के कवि को हार्दिक विदाई।’’
भाषा
सिम्मी