युद्धविराम से वैश्विक व्यापार होगा स्थिर, पश्चिम एशिया में भारत के निर्यात को लाभ मिलेगा :विशेषज्ञ
निहारिका अजय
- 24 Jun 2025, 05:54 PM
- Updated: 05:54 PM
नयी दिल्ली, 24 जून (भाषा) ईरान और इजराइल के बीच युद्धविराम से भारत को बड़ी राहत मिली है, जिसका पश्चिम एशिया के देशों के साथ 100 अरब डॉलर से अधिक का व्यापार है। इसके अलावा भारत ऊर्जा आयात के लिए खाड़ी क्षेत्र पर काफी हद तक निर्भर है। विशेषज्ञों ने यह बात कही है।
उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक तनाव कम होने से जोखिम कम होता है, माल ढुलाई लागत स्थिर होती है तथा होर्मुज जलडमरूमध्य (जो ईरान व ओमान के बीच एक संकरा लेकिन महत्वपूर्ण मार्ग है) के माध्यम से भारतीय वस्तुओं का पोत परिवहन मार्गों का अनुमान लगा पाने की क्षमता बढ़ेगी।
आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि पश्चिम एशिया में 100 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक के व्यापार तथा खाड़ी से ऊर्जा आयात पर भारी निर्भरता वाले भारत के लिए तनाव में कमी राहत प्रदान करती है।
जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ एक सतत युद्धविराम से ऊर्जा की कीमतें स्थिर होंगी और महत्वपूर्ण शिपिंग मार्ग सुरक्षित रहेंगे। किसी भी तरह की झड़प से भारत के व्यापार प्रवाह, ऊर्जा सुरक्षा तथा प्रवासी हितों को फिर से खतरा उत्पन्न हो जाएगा।’’
उन्होंने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में तीन प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है। जलडमरूमध्य में अस्थिरता, जहां से वैश्विक तेल का पांचवां हिस्सा गुजरता है, कुछ समय के लिए कम हुई है।
हालांकि, श्रीवास्तव ने कहा कि यह युद्धविराम अस्थायी साबित हो सकता है, क्योंकि अमेरिका, इजराइल और ईरान के बीच अंतर्निहित मुद्दे अब भी अनसुलझे हैं।
भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि युद्धविराम वैश्विक व्यापार तथा आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए राहत लेकर आया है। खासकर पश्चिम एशिया में जो ऊर्जा और माल की आवाजाही के लिए एक प्रमुख माध्यम है।
सहाय ने कहा, ‘‘ यह विकास विशेष रूप से पश्चिम एशिया में इंजीनियरिंग सामान, खाद्य उत्पाद, वस्त्र और रसायनों के भारतीय निर्यातकों और कच्चे तेल और पेट्रो रसायन पर निर्भर आयातकों के लिए फायदेमंद है।’’
हालांकि, उन्होंने कहा कि व्यापार व निवेश प्रवाह के दीर्घकालिक लाभ प्राप्त करने के लिए सतत शांति और कूटनीतिक अनुपालन आवश्यक है।
भाषा निहारिका