आपातकाल की यादें आज भी रूह कंपा देती हैं: कोश्यारी
दीप्ति अमित
- 24 Jun 2025, 07:54 PM
- Updated: 07:54 PM
देहरादून, 24 जून (भाषा) उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता भगत सिंह कोश्यारी ने मंगलवार को कहा कि आपातकाल के समय जेल में रहने के दौरान उन्हें अनेक यातनाएं झेलनी पड़ीं और उस दौर की यादें आज भी उनकी रूह को कंपा देती हैं।
कोश्यारी ने आपातकाल की 50वीं बरसी की पूर्व संध्या पर अपने संघर्षों और अनुभवों को साझा करते हुए 'पीटीआई-वीडियो' से कहा कि उस दौरान वह पिथौरागढ़ जिले के दूरस्थ सीमांत क्षेत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के लिए कार्य कर रहे थे और कुछ महीने पहले शुरू किए अपने अखबार के माध्यम से पहाड़ों में सरकार के ख़िलाफ आवाज़ उठा रहे थे।
महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल कोश्यारी ने कहा कि जब संघ पर प्रतिबंध लगा तो उन्हें भी अपनी गिरफ़्तारी की आशंका हो गई थी। उन्होंने बताया, “रात के लगभग 11 बजे तेज बारिश हो रही थी। मेरे मकान मालिक ने दरवाज़ा खटखटाकर बताया कि पुलिस मुझे पकड़ने आई है। मैं समझ चुका था कि अब मेरी गिरफ़्तारी तय है।”
उन्होंने बताया कि इसके बाद उन्हें अल्मोड़ा जेल में बंद कर दिया गया जहां उन्हें और उनके साथियों को कई तरह की यातनाएं झेलनी पड़ीं। कोश्यारी ने बताया, “खाने में चावल में कीड़े पड़े होते थे। मेरे भाई को मुझसे मिलने की अनुमति तक नहीं दी गई।”
उन्होंने कहा, ‘‘आपातकाल में हमारे मौलिक अधिकार छीन लिए गए थे और एकाध अखबारों को छोड़कर सभी अखबार सरकार के पक्ष में लिखते थे।’’
भाजपा नेता कोश्यारी ने कहा कि उस समय लोगों में असंतोष व्याप्त था और आरएसएस तथा जनसंघ ने जनता को एकजुट करने में बड़ी भूमिका निभाई। उन्होंने कहा, “जेल में सभी पार्टियों के नेता एकसाथ बंद थे। संघ के वरिष्ठ अधिकारी चोरी-छिपे आकर बंदियों से मिलते और उन्हें हौसला देते थे।”
यह पूछे जाने पर कि क्या आज की राजनीति में फिर से आपातकाल जैसी स्थिति संभव है, कोश्यारी ने कहा कि अब संघ और भाजपा के रहते ऐसी स्थिति की कल्पना भी नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा, “जिन्होंने आपातकाल झेला है, वे आज सत्ता में हैं। हम लोगों ने संघर्ष करके उस दौर का अंत किया है। अब संघ और भाजपा के रहते आपातकाल जैसी स्थिति की कल्पना भी नहीं की जा सकती।”
हांलांकि, उन्होंने कहा कि कठोर निर्णय सत्ता का हिस्सा होते हैं और अगर कठोर फैसले न लिए जाते, तो जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 का हटना संभव नहीं होता। इस संबंध में उन्होंने कहा, ‘‘यही फैसले कुछ लोगों को आपातकाल जैसे लगते हैं क्योंकि वे सत्ता में नहीं हैं।’’
विपक्ष पर तीखा प्रहार करते हुए कोश्यारी ने कहा कि कुछ लोग जो केवल आलोचना करते हैं, उन्हें जनता गंभीरता से नहीं लेती।
उन्होंने कहा, ‘‘ऑपरेशन सिंदूर के बाद असदुद्दीन ओवैसी और शशि थरूर जैसे नेता भी सरकार के पक्ष में खड़े दिखाई दिए। प्रधानमंत्री ने सभी दलों के नेताओं को विदेशों में भेजकर सौहार्द का परिचय दिया है। ऐसे में जो लोग केवल आलोचना करते हैं, उन्हें अब जनता गंभीरता से नहीं लेती।’’
भाषा दीप्ति