क्या युवाओं में कैंसर के लिए रसायन ज़िम्मेदार हैं? देखें साक्ष्य क्या कहते हैं
(द कन्वरसेशन) शोभना नरेश
- 09 Jul 2025, 12:44 PM
- Updated: 12:44 PM
(सारा डेप्स्ट्रेटेन और जॉन ला मार्का,डब्ल्यूईएचआई)
पार्कविले (ऑस्ट्रेलिया), नौ जुलाई (द कन्वरसेशन) पहले कैंसर को आमतौर पर बुज़ुर्गों की बीमारी माना जाता था लेकिन अब 50 साल से कम उम्र के लोगों में कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं, जो चिंताजनक है।
इस हफ़्ते के ‘एबीसी 4 कॉर्नर्स’ से पता चलता है कि प्लास्टिक समेत कई रसायनों की कैंसर के बढ़ते मामलों में भूमिका हो सकती है।
तो कैंसर बढ़ने के कारण क्या हैं? और हम इस संबंध में क्या कर सकते हैं?
कैंसर बुजुर्गों को क्यों अपनी चपेट में ले रहा है?
आपके शरीर की प्रत्येक कोशिका में आपके डीएनए की एक प्रति होती है - जो उस कोशिका को ठीक से कार्य करने का निर्देश देती है।
हालांकि, डीएनए में ऐसे तरीकों से म्युटेशन हो सकता है जिससे वह कोशिका अपना वह कार्य करना बंद कर देती है जो उसे करना होता है।
कुछ म्युटेशन कोशिका को अनियंत्रित रूप से बढ़ने में सक्षम बनाते हैं। कुछ म्युटेशन इसे मरने से बचाते हैं। और कुछ इसे शरीर के अन्य भागों में फैलने में मदद करते हैं जहां यह नहीं होना चाहिए।
डीएनए में अधिक मात्रा में म्युटेशन कैंसर को जन्म दे सकता है। जब भी शरीर में नई कोशिका बनती है, तो डीएनए की एक नई प्रति भी बनती है। कभी-कभी संयोगवश गलतियां हो जाती हैं, जिससे म्युटेशन हो सकता है।
इसे आप ऐसे समझें जैसे एक फोटोकॉपी की फोटोकॉपी बनाना। इस प्रक्रिया में हर प्रति दूसरे से थोड़ी भिन्न होती है।
ज्यादातर डीएनए म्युटेशन हानिरहित होते हैं।
लेकिन शरीर में हर दिन अरबों कोशिकाएं बनती हैं। इसलिए जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, शरीर में डीएनए की प्रतियों की संख्या बढ़ती जाती है, जिससे गलतियां होने की संभावना भी बढ़ जाती है। साथ ही, उम्र बढ़ने पर शरीर इन खराब कोशिकाओं को पहचान कर हटाने में भी कमजोर हो जाता है। यही कारण है कि वृद्ध लोगों में कैंसर अधिक होता है।
युवाओं में कैंसर क्यों हो रहा है?
युवाओं में कैंसर की बढ़ती दर चिंता का विषय है और इसके बढ़ने में कुछ पर्यावरणीय कारक भूमिका निभा रहे हैं जिनके बारे में हमें अभी जानकारी नहीं है। पर्यावरणीय कारक वे होते हैं जो शरीर के बाहर होते हैं – जैसे रसायन, वायरस, बैक्टीरिया, शारीरिक गतिविधि और हमारा आहार।
इनमें से कई पर्यावरणीय कारक डीएनए प्रतिलिपिकरण त्रुटियों की संभावना को बढ़ा सकते हैं, या यहां तक कि हमारे डीएनए को सीधे नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
इसका एक जाना-माना उदाहरण सूर्य से आने वाली पराबैंगनी (यूवी) किरणें है, जिससे त्वचा कैंसर हो सकता है। दूसरा उदाहरण धूम्रपान है, जिससे फेफड़ों का कैंसर हो सकता है।
सौभाग्य से, सूर्य के संपर्क में आने के खतरों के बारे में जागरुकता अभियानों और सिगरेट पीने वालों की घटती संख्या के कारण पिछले 30 वर्षों में 50 वर्ष से कम आयु के ऑस्ट्रेलियाई लोगों में त्वचा और फेफड़ों के कैंसर के मामलों में कमी आई है।
लेकिन ऑस्ट्रेलिया में युवाओं में अन्य प्रकार के कैंसर जैसे यकृत, अग्न्याशय, प्रोस्टेट, स्तन और गुर्दे आदि के कैंसर बढ़ रहे हैं। यह प्रवृत्ति वैश्विक है, खासकर अमीर पश्चिमी देशों में।
रसायनों की क्या भूमिका है?
शोधकर्ता इस वृद्धि के कारणों को समझने के लिए काम कर रहे हैं। वर्तमान में, रसायन एक विशेष रूप से महत्वपूर्ण पर्यावरणीय कारक के रूप में चर्चा में हैं।
आधुनिक समय में हम अपने पूर्वजों की तुलना में अधिक रसायनों के संपर्क में हैं - जैसे वायु प्रदूषण, खाद्य योजक, प्लास्टिक और कई अन्य चीजें।
शराब और सिगरेट के धुएं को छोड़ दें तो ज़्यादातर रसायन जो कैंसर से निश्चित रूप से जुड़े हैं वे ऐसे नहीं हैं जिनका लोगों को नियमित रूप से सामना करना पड़ता है। वे सिर्फ़ उद्योग जैसे स्थानों तक ही सीमित हैं। चिंता का एक मुख्य रसायन प्लास्टिक है, जो सर्वव्यापी है और लगभग हर कोई हर दिन इनसे सामना करता है।
विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि प्लास्टिक मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए समग्र रूप से बहुत बड़ा खतरा है।
लेकिन प्लास्टिक की इतनी अधिक किस्में हैं कि कैंसर सहित विशिष्ट समस्याओं का कारण बनने वाले किसी एक विशेष प्लास्टिक की बात कर पाना करना कठिन है।
युवाओं को पेट का कैंसर क्यों हो रहा है?
वृद्ध लोगों में पेट के कैंसर की दर वास्तव में कम हो रही है। ऐसा माना जाता है कि इसका एक कारण बेहतर परीक्षण और स्क्रीनिंग है जो खतरनाक कोशिकाओं को कैंसर बनने से पहले ही पकड़ने और नष्ट करने में मदद करती है।
लेकिन प्रारंभिक तौर पर पेट के कैंसर के मामले बढ़े हैं।
कुछ लोगों का अनुमान है कि यह प्लास्टिक के बढ़ते संपर्क के कारण हो सकता है, क्योंकि हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन के माध्यम से हमारा पाचन तंत्र प्लास्टिक के संपर्क में आता है। इसमें नैनो- या माइक्रो-प्लास्टिक, या प्लास्टिक से रिसकर खाद्य पदार्थों में मिलने वाले रसायन, जैसे पीएफएएस शामिल हैं।
आप कैंसर के खतरे को कैसे कम कर सकते हैं?
हालांकि युवाओं में कैंसर के बढ़ते खतरे से रसायनों के संबंध का कोई ठोस प्रमाण नहीं है, फिर भी इस क्षेत्र में गहन शोध जारी है। जहां तक हो सके प्लास्टिक और रसायनों के उपयोग और संपर्क को कम करना शायद एक अच्छा उपाय है।
इसके अलावा, नियमित व्यायाम और स्वस्थ, संतुलित आहार के ज़रिए कैंसर के जोखिम को कम किया जा सकता है।
अगर आपको कोई चिंता है, खासकर अगर आपके परिवार में लोगों को कैंसर रहा है तो अपने चिकित्सक से सलाह लें।
(द कन्वरसेशन) शोभना