भोपाल गैस त्रासदी : भस्मक में हर घंटे डाला जा रहा यूनियन कार्बाइड का 180 किलोग्राम कचरा
हर्ष नरेश मनीषा
- 06 Mar 2025, 02:12 PM
- Updated: 02:12 PM
इंदौर (मध्यप्रदेश), छह मार्च (भाषा) पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के एक निपटान संयंत्र में भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे को जलाने के दूसरे दौर के परीक्षण के तहत 10 टन अपशिष्ट को भस्मक में डालने का सिलसिला बृहस्पतिवार से शुरू हो गया जिसे खत्म होने में करीब 55 घंटे लगने का अनुमान है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
अधिकारियों के मुताबिक, दूसरे दौर के परीक्षण के दौरान अब तक सभी उत्सर्जन मानक सीमा के भीतर बने हुए हैं।
भोपाल में बंद पड़े यूनियन कार्बाइड कारखाने के 337 टन कचरे के निपटान की योजना के तहत इसे सूबे की राजधानी से करीब 250 किलोमीटर दूर पीथमपुर में एक निजी कम्पनी के संचालित अपशिष्ट निपटान संयंत्र में दो जनवरी को पहुंचाया गया था।
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक, इस कचरे के निपटान का परीक्षण सुरक्षा मानदंडों का पालन करते हुए तीन दौर में किया जाना है और अदालत के सामने तीनों परीक्षणों की रिपोर्ट 27 मार्च को पेश की जानी है।
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी श्रीनिवास द्विवेदी ने ‘‘पीटीआई-भाषा’’ को बताया, ‘‘पीथमपुर के अपशिष्ट निपटान संयंत्र में यूनियन कार्बाइड कारखाने के 10 टन कचरे को परीक्षण के तौर पर भस्म करने का दूसरा दौर जारी है। इसके तहत भस्मक में हर घंटे 180 किलोग्राम कचरा डाला जा रहा है। इस दौरान संयंत्र से होने वाले अलग-अलग उत्सर्जनों के साथ ही आस-पास के इलाकों की परिवेशीय वायु गुणवत्ता की ऑनलाइन निगरानी की जा रही है।’’
उन्होंने बताया कि दूसरे दौर के परीक्षण के तहत भस्मक में कचरा डालने का सिलसिला बृहस्पतिवार की सुबह 11 बजकर छह मिनट पर शुरू हुआ और इससे पहले भस्मक को करीब 12 घंटे तक खाली चलाकर तय तापमान तक पहुंचाया गया।
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वैज्ञानिक संजय कुमार जैन ने बताया, ‘‘दूसरे दौर के परीक्षण के दौरान अब तक सभी उत्सर्जन मानक सीमा के भीतर पाए गए हैं।’’
उन्होंने बताया कि इस परीक्षण के तहत 10 टन कचरे को भस्म होने में करीब 55 घंटे लगने का अनुमान है।
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि पीथमपुर के अपशिष्ट निपटान संयंत्र में यूनियन कार्बाइड कारखाने के 10 टन कचरे को परीक्षण के तौर पर भस्म करने का पहला दौर 28 फरवरी से शुरू होकर तीन मार्च को खत्म हुआ था।
उन्होंने बताया कि पहले दौर का परीक्षण करीब 75 घंटे चला था और इस दौरान संयंत्र के भस्मक में हर घंटे 135 किलोग्राम कचरा डाला गया था।
अधिकारियों ने कहा कि यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे के निपटान के पहले दौर में पीथमपुर के संयंत्र से पार्टिकुलेट मैटर (पीएम), सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, हाइड्रोजन क्लोराइड, हाइड्रोजन फ्लोराइड और टोटल ऑर्गेनिक कार्बन का उत्सर्जन मानक सीमा के भीतर पाया गया था।
प्रदेश सरकार के मुताबिक, यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे में इस बंद पड़ी इकाई के परिसर की मिट्टी, रिएक्टर अवशेष, सेविन (कीटनाशक) अवशेष, नेफ्थाल अवशेष और "अर्द्ध प्रसंस्कृत" अवशेष शामिल हैं।
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है कि वैज्ञानिक प्रमाणों के मुताबिक इस कचरे में सेविन और नेफ्थाल रसायनों का प्रभाव अब ‘‘लगभग नगण्य’’ हो चुका है।
बोर्ड के मुताबिक, फिलहाल इस कचरे में मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस का कोई अस्तित्व नहीं है और इसमें किसी तरह के रेडियोधर्मी कण भी नहीं हैं।
भोपाल में दो और तीन दिसंबर 1984 की दरमियानी रात यूनियन कार्बाइड कारखाने से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस का रिसाव हुआ था। इससे कम से कम 5,479 लोग मारे गए थे और हजारों लोग अपंग हो गए थे। इसे दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में गिना जाता है।
भोपाल गैस त्रासदी के लिए जिम्मेदार कारखाने का कचरा पीथमपुर लाए जाने के बाद इस औद्योगिक क्षेत्र में कई विरोध प्रदर्शन हुए हैं। प्रदर्शनकारियों ने इस कचरे के निपटान से इंसानी आबादी और आबो-हवा को नुकसान की आशंका जताई है जिसे प्रदेश सरकार ने सिरे से खारिज किया है।
प्रदेश सरकार का कहना है कि पीथमपुर की अपशिष्ट निपटान इकाई में यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे के सुरक्षित निपटान के पक्के इंतजाम हैं।
भाषा हर्ष नरेश