गरीबों, पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों की जरूरतों की अनदेखी कर रही उप्र सरकार: मायावती
किशोर जफर जितेंद्र
- 06 Mar 2025, 08:10 PM
- Updated: 08:10 PM
लखनऊ, छह मार्च (भाषा) बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने बृहस्पतिवार को उत्तर प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए गरीबों, पिछड़े वर्गों, दलितों और आदिवासियों की जरूरतों की अनदेखी कर उद्योगपतियों के हितों को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया।
मायावती ने यहां लखनऊ में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा, “सरकार की आर्थिक नीतियों और बजटीय दावों से बड़े पैमाने पर मुट्ठी भर धनी पूंजीपतियों को फायदा होता है। अमीरों को और अमीर बनाने के बजाय सरकार को इस देश के लगभग 125 करोड़ आम नागरिकों के बीच गरीबी, बेरोजगारी और पिछड़ेपन को खत्म करने पर ध्यान देना चाहिए।”
उन्होंने योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, सड़क, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने में विफल रही है जबकि राज्य को देश का ‘विकास इंजन’ कहा जाता है।
मायावती ने कहा, “इन आवश्यक सेवाओं की खराब स्थिति कोई रहस्य नहीं है। केंद्र की तरह उत्तर प्रदेश सरकार के पास भी धन की कोई कमी नहीं है लेकिन वंचितों के कल्याण के लिए इसका उपयोग करने में उसकी विफलता बेहद चिंताजनक है।”
बसपा सुप्रिमो ने भाजपा पर कांग्रेस के समान शासन मॉडल अपनाने का भी आरोप लगाया और कहा कि अन्य राज्यों में शासन करने वाली क्षेत्रीय पार्टियां भी इसी तरह का दृष्टिकोण अपना रही हैं।
उन्होंने दावा किया, “कांग्रेस की तरह भाजपा ने भी महत्वपूर्ण कल्याणकारी योजनाओं को अप्रभावी बना दिया है। ग्रामीण परिवारों के उत्थान के लिए हमारी सरकार द्वारा शुरू की गई बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर ग्रामीण समग्र विकास योजना (समग्र ग्राम विकास योजना) को कांग्रेस, सपा और अब भाजपा सरकारों ने निष्क्रिय कर दिया है।”
मायावती ने बसपा के कामकाज पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बसपा ने उत्तर प्रदेश में सत्ता में अपने चार कार्यकालों के दौरान वास्तविक सामाजिक और आर्थिक सुधार लागू किए थे।
उन्होंने कहा, “हमारी सरकार ने सामाजिक परिवर्तन और आर्थिक सशक्तिकरण लाने के लिए जमीनी स्तर पर काम किया। मौजूदा सरकार के विपरीत हमने ग्रामीण क्षेत्रों में 17 आवश्यक सुविधाएं प्रदान करने के लिए पर्याप्त धन सुनिश्चित किया, जिससे लोगों के जीवन में उल्लेखनीय सुधार हुआ।”
मायावती ने आंबेडकरवादी सिद्धांतों के प्रति बसपा की प्रतिबद्धता की पुष्टि की और हाशिए पर खड़े लोगों के अधिकारों के लिए लड़ाई जारी रखने का संकल्प लिया।
मायावती ने प्रदेश और देश में बिगड़ती सामाजिक-आर्थिक स्थितियों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “हमारी पार्टी, बसपा, लाखों शोषितों और उत्पीड़ितों को सशक्त बनाने के लक्ष्य के साथ स्थापित की गई थी। बाबा साहब डॉ. बी.आर. आंबेडकर के आदर्शों का पालन करते हुए हमने उनके उत्थान के लिए लगातार लड़ाई लड़ी है।”
उन्होंने कहा, “मेरे नेतृत्व में, उत्तर प्रदेश में बसपा सरकार ने जमीनी स्तर पर सामाजिक परिवर्तन और आर्थिक मुक्ति में ऐतिहासिक सुधार किए हैं।”
मायावती ने भाजपा सरकार पर पिछली कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) सरकारों की तरह वंचितों के लिए कल्याणकारी योजनाओं को कमजोर करने का आरोप लगाया।
उन्होंने मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार में मंत्री प्रहलाद पटेल द्वारा कल्याणकारी योजना के लाभार्थियों को ‘भिखारियों की टोली’ कहने के लिए निंदा की।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “ऐसे बयानों से लाखों गरीब और उपेक्षित नागरिकों के प्रति भाजपा की संकीर्ण मानसिकता, जातिवादी रवैये का पता चलता है। पहले तो सरकार अपनी गलत नीतियों के जरिए उन्हें गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा और पिछड़ेपन की जिंदगी जीने पर मजबूर करती है और फिर कल्याणकारी योजनाओं के तहत उन्हें न्यूनतम राहत देते हुए अपमानित करती है। यह शर्मनाक है।”
मायावती ने भाजपा पर दलितों और वंचितों को महज ‘वोट बैंक’ के तौर पर इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, “यह शर्मनाक है कि गरीबों को थोड़ा-बहुत खाना देकर वोट हासिल करने के बाद सरकार बाद में उन्हें भिखारी कहकर अपमानित करती है। यह गरीब विरोधी और जातिवादी राजनीति का खुला प्रदर्शन है, जिसकी कड़ी निंदा की जानी चाहिए।”
मायावती ने इसके अलावा देश के अलग-अलग राज्यों में भाजपा सरकारों पर ‘एक खास धर्म और उनके पूजा स्थलों’ के लोगों को निशाना बनाने के लिए ‘कानून प्रवर्तन और सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग’ करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, “यह धर्मनिरपेक्षता के संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है और वास्तव में यह देश की प्रगति में बाधा डालने वाला कदम है।”
मायावती ने केंद्र और राज्य सरकार से अपने विभाजनकारी, जातिवादी और सांप्रदायिक कार्यों को छोड़ने का आग्रह किया।
उन्होंने जोर देकर कहा, “ऐसी नीतियां लाखों गरीबों, मजदूरों, दलितों, आदिवासियों, पिछड़े वर्गों और अन्य मेहनतकश नागरिकों के हितों और कल्याण को नुकसान पहुंचा रही हैं, जिससे अंततः देश का विकास प्रभावित हो रहा है। शासन में ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ के प्रति सच्ची प्रतिबद्धता होनी चाहिए।”
बसपा सुप्रीमो ने केंद्र और राज्य के बजट पर चिंता जताते हुए कहा, “ हर वर्ष बजट में विकास और जन कल्याण को लेकर बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं लेकिन उनमें से पचास प्रतिशत से भी कम को ठीक से लागू किया जाता है।”
उन्होंने कहा, “इसके अलावा, दलितों, आदिवासियों, पिछड़े वर्गों और धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए आवंटित धन को अक्सर अन्य क्षेत्रों में भेज दिया जाता है। हमारी पार्टी ने इस मुद्दे को संसद और बाहर बार-बार उठाया है और सरकार को इस पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।”
भाषा किशोर जफर