‘बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ’ ने लैंगिक पूर्वाग्रहों पर काबू पाने में अहम भूमिका निभाई: प्रधानमंत्री
ब्रजेन्द्र खारी शोभना
- 22 Jan 2025, 10:30 AM
- Updated: 10:30 AM
नयी दिल्ली, 22 जनवरी (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान के 10 वर्ष पूरे होने पर बुधवार को कहा कि इस पहल ने लैंगिक पूर्वाग्रहों पर काबू पाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, साथ ही यह भी सुनिश्चित किया है कि बालिकाओं को शिक्षा और अपने सपनों को पूरा करने के अवसर प्राप्त हों।
प्रधानमंत्री मोदी ने 2015 में आज ही के दिन हरियाणा के पानीपत में इस अभियान की शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य घटते शिशु लिंग अनुपात को रोकना और महिलाओं के सशक्तीकरण से जुड़े मुद्दों का समाधान है। यह योजना तीन मंत्रालयों- महिला और बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय तथा मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित की जा रही है।
मोदी ने 'एक्स' पर सिलसिलेवार पोस्ट में कहा, "आज हम ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ आंदोलन के 10 साल पूरे कर रहे हैं। पिछले एक दशक में यह एक परिवर्तनकारी, लोगों द्वारा संचालित पहल बन गई है और जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों ने इसमें भागीदारी की है।"
उन्होंने कहा, "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ ने लैंगिक पूर्वाग्रहों पर काबू पाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और साथ ही इसने यह सुनिश्चित करने के लिए सही वातावरण तैयार किया है कि बालिकाओं को शिक्षा और अपने सपनों को प्राप्त करने के अवसर प्राप्त हों।"
प्रधानमंत्री ने इस अभियान में लोगों और विभिन्न सामुदायिक सेवा संगठनों को उनके समर्पित प्रयासों के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ ने उल्लेखनीय मील के पत्थर हासिल किए हैं।
उन्होंने कहा, "ऐतिहासिक रूप से कम बाल लिंग अनुपात वाले जिलों में महत्वपूर्ण सुधार आए हैं और जागरुकता अभियानों ने लैंगिक समानता के महत्व की गहरी समझ पैदा की है।"
उन्होंने उन सभी हितधारकों को भी बधाई दी जिन्होंने इस 'आंदोलन' को जमीनी स्तर पर जीवंत बनाया।
उन्होंने आह्वान किया, ‘‘ आइए हम अपनी बेटियों के अधिकारों की रक्षा करना जारी रखें, उनकी शिक्षा सुनिश्चित करें और एक ऐसे समाज का निर्माण करें जहां वे बिना किसी भेदभाव के आगे बढ़ सकें।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि साथ मिलकर यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि आने वाले वर्ष भारत की बेटियों के लिए और भी अधिक प्रगति एवं अवसर लेकर आएं
भाषा ब्रजेन्द्र खारी