नीलम गोरहे के ‘अविभाजित शिवसेना में पद पाने के लिए मर्सिडीज कार देने’ वाले दावे को लेकर विवाद
संतोष रंजन
- 23 Feb 2025, 09:18 PM
- Updated: 09:18 PM
मुंबई, 23 फरवरी (भाषा) शिवसेना नेता नीलम गोरहे के उस बयान को लेकर विवाद पैदा हो गया है जिसमें उन्होंने दावा किया है कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती अविभाजित शिवसेना में पदों को पाने के लिए तोहफे में मर्सिडीज कारें उपहार में देनी पड़ती थीं।
गोरहे के इस बयान के बाद मराठी साहित्यिक सम्मेलन के मंच को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं कि इस्तेमाल राजनीतिक कीचड़ उछालने के लिए किया गया।
शिवसेना (उबाठा) के प्रमुख ठाकरे ने महाराष्ट्र विधान परिषद की उपसभापति गोरहे के दावे को लेकर उनका मजाक उड़ाया।
उन्होंने रविवार को संवाददाताओं से कहा, ‘‘मुझे दिखाइए कि वे कारें कहां हैं। ये लोग मेरे लिए राजनीतिक रूप से अप्रासंगिक हैं और मैं इस पर और टिप्पणी नहीं करना चाहता। वह एक महिला हैं और सम्मान के कारण मैं इस बारे में और कुछ नहीं कहना चाहता।’’
विवाद बढ़ने पर गोरहे ने कहा कि उनकी टिप्पणी एक विशिष्ट प्रश्न के उत्तर में थी। उन्होंने एक समाचार चैनल से कहा, ‘‘मैंने वे शब्द अपने आप नहीं कहे।’’
दिल्ली में 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन में की गई इन टिप्पणियों की शिवसेना (उबाठा) ने तीखी आलोचना की, जो मूल शिवसेना में विभाजन के बाद अस्तित्व में आई है।
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत ने दिल्ली में आयोजित 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के आयोजकों से शिवसेना की नीलम गोरहे द्वारा उनकी पार्टी के खिलाफ की गई अपमानजनक टिप्पणियों के संबंध में रविवार को स्पष्टीकरण मांगा।
अखिल भारतीय मराठी साहित्य महामंडल द्वारा आयोजित कार्यक्रम में महाराष्ट्र विधान परिषद की उपसभापति गोरहे ने दावा किया कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी में पद पैसों के जरिये हासिल किए जाते हैं, जिसमें उपहार में मर्सिडीज कार देना भी शामिल है।
अखिल भारतीय मराठी साहित्य महामंडल की अध्यक्ष उषा तांबे को लिखे पत्र में राउत ने कहा, ‘‘98वें साहित्य सम्मेलन में जिन विषयों पर चर्चा हुई, उनमें से कई साहित्य से संबंधित नहीं थे। ऐसा प्रतीत होता है कि यह कार्यक्रम किसी राजनीतिक दबाव में आयोजित किया गया था। साहित्य महामंडल के मंच का घोर दुरुपयोग किया गया।’’
राउत ने अपने पत्र की एक प्रति ‘एक्स’ पर साझा की है। उन्होंने पत्र में यह भी पूछा कि इस तरह के राजनीतिक झगड़ों की जिम्मेदारी कौन लेगा।
राउत ने कहा कि यदि ऐसे कार्यक्रम साहित्य मंडल की उचित मंजूरी से आयोजित नहीं किए गए हैं, तो ऐसे आयोजनों के लिए माफी मांगी जानी चाहिए।
पत्र में राउत ने दावा किया कि गोरहे ने संवाददाताओं से कहा था कि उन्होंने कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए 50 लाख रुपये का भुगतान किया था और उषा तांबे को एक मर्सिडीज कार उपहार में दी थी।
राउत ने कहा, ‘‘मैं इस दावे की सच्चाई का पता नहीं लगा सकता, लेकिन इस तरह की टिप्पणियों से महामंडल की प्रतिष्ठा धूमिल होती है।’’
शिवसेना (उबाठा) नेता अंबादास दानवे ने रविवार को शिवसेना विधान पार्षद नीलम गोरहे की आलोचना की। विधान परिषद में विपक्ष के नेता दानवे ने कहा, ‘‘मेरी पार्टी ने मुझसे कभी एक रुपया भी नहीं मांगा। मैंने ग्रामीण इलाके में एक साधारण कार्यकर्ता से लेकर विधान परिषद में विपक्ष के नेता तक का सफर तय किया है। अगर गोरहे ने जो कहा, वह सच होता, तो मातोश्री (उद्धव ठाकरे का बांद्रा स्थित आवास) पर मर्सिडीज गाड़ियों की लाइन लगी होती।’’
उन्होंने कहा कि पार्टी ने मराठवाड़ा के उनके जैसे एक साधारण कार्यकर्ता को आगे बढ़ाया लेकिन उनसे कभी एक रुपया भी नहीं मांगा।
दानवे की सहयोगी सुषमा अंधारे ने भी गोरहे पर हमला करते हुए कहा कि गोरहे ने (अविभाजित) शिवसेना में 30 साल बिताए हैं और उनका काफी प्रभाव था।
अंधारे ने कहा, "अगर वह दावा करती हैं कि भ्रष्टाचार है, तो उन्हें अपने कार्यकाल के दौरान अपनी कमाई का हिसाब देना चाहिए। गोरहे को यह बताना चाहिए कि पार्टी के साथ लंबे जुड़ाव से उन्हें कितना लाभ हुआ है।’’
जून 2022 में शिवसेना में विद्रोह के बाद शिवसेना के विभाजन के कुछ समय बाद गोरहे एकनाथ शिंदे गुट में शामिल हो गए।
इस बीच, दानवे ने यह भी पूछा कि क्या साहित्यिक सम्मेलनों का इस्तेमाल राजनीतिक आरोप लगाने के लिए इस तरह से करना उचित है।
विवाद के बीच शिवसेना (उबाठा) कार्यकर्ताओं ने रविवार को पुणे में गोरहे के आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने नारे लगाए और मांग की कि गोरहे उद्धव ठाकरे से माफी मांगें।
भाषा संतोष