कुपोषण के खिलाफ लड़ाई की न्यूट्री-पाठशाला पहल से जुड़े शेफ संजीव कपूर
पारुल माधव
- 25 Feb 2025, 06:38 PM
- Updated: 06:38 PM
नयी दिल्ली, 25 फरवरी (भाषा) मशहूर शेफ संजीव कपूर कुपोषण के खिलाफ लड़ाई के लिए हार्वेस्टप्लस सॉल्यूशंस की ‘न्यूट्री-पाठशाला’ पहल से जुड़ गए हैं। कंपनी ने मंगलवार को यह घोषणा की।
‘न्यूट्री-पाठशाला’ पहल का मकसद स्कूली बच्चों के भोजन में लौह युक्त मोती बाजरा और जिंक युक्त गेहूं जैसे जैव-प्रबलित (बायोफोर्टिफाइड) खाद्य पदार्थों को शामिल करके उनके पोषण में सुधार करना है। इस पहल के तहत पिछले दो वर्षों में 25 लाख से अधिक स्कूली बच्चों को भोजन परोसा गया, ताकि जमीनी स्तर पर कुपोषण की समस्या से निपटा जा सके।
हार्वेस्टप्लस सॉल्यूशंस के एक बयान के मुताबिक, “भारतीय व्यंजनों को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने वाले संजीव कपूर स्वस्थ खानपान अपनाने के पैरोकार हैं। उन्होंने दिसंबर में महाराष्ट्र के पुणे जिले के एक गांव में आयोजित कार्यक्रम में न्यूट्री-पाठशाला के “छात्र चैंपियन” से मुलाकात की थी। इस दौरान, वह (खाद्य वस्तुओं का) पोषण लेबल पढ़ने और सोच-समझकर चुनाव करने की इन छात्रों की क्षमता से खासे ‘प्रभावित’ हुए थे।”
कपूर ने कहा, “जब सीखने की आदत छोटी उम्र में ही शुरू हो जाती है, तो स्वास्थ्य भी स्वाद का विषय बन जाता है! ये बच्चे पोषण शिक्षा के साथ न केवल अपनी, बल्कि देश की भी सेहत सुधार सकते हैं।”
कपूर के समर्थन और दूरदर्शी सोच से ‘मेक इन इंडिया’ पहल न्यूट्री-पाठशाला को गति मिलने की उम्मीद है।
हार्वेस्टप्लस सॉल्यूशंस के वैश्विक प्रबंधक रवींद्र ग्रोवर ने बयान में कहा, “एक ऐसी दुनिया की कल्पना करें, जहां स्कूल में परोसा जाने वाला प्रत्येक भोजन ग्रामीण बच्चों को मजबूत शरीर और प्रखर दिमाग दे। न्यूट्री-पाठशाला पहल के पीछे यही सोच है! हमें इस क्रांतिकारी कार्यक्रम के लिए शेफ संजीव कपूर के साथ साझेदारी करके गर्व महसूस हो रहा है। आखिरकार, सभी सुपर हीरो चोगा नहीं पहनते, कुछ शेफ कोट भी पहनते हैं।”
बयान के अनुसार, न्यूट्री-पाठशाला पहल के तहत स्थानीय स्तर पर लोकप्रिय व्यंजनों, जैसे कि भाकरी, चिवड़ा और लड्डू के जैव-प्रबलित संस्करण पेश किए गए हैं, ताकि बच्चों को स्वस्थ खानपान अपनाने के लिए प्रेरित किया जा सके।
इसमें कहा गया है कि बच्चों को पौष्टिक आहार के प्रति आकर्षित करने के लिए न्यूट्री-बार और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद कुकीज जैसे आधुनिक स्नैक्स भी पेश किए गए हैं।
चयनात्मक प्रजनन, आनुवंशिक संशोधन या समृद्ध उर्वरकों के इस्तेमाल के जरिये फसलों में सूक्ष्म पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ाने की प्रक्रिया को ‘जैव प्रबलीकरण’ (बायोफोर्टिफिकेशन) कहते हैं। 1990 के दशक में डॉ. हावर्थ बौइस ने ‘जैव प्रबलीकरण’ की अवधारणा पेश की थी।
वैश्विक स्तर पर जैव-प्रबलीकरण के अभ्यास से भारत और अफ्रीका में 30 करोड़ से अधिक लोगों को फायदा मिला है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा विकसित 109 जैव-प्रबलित किस्मों को जारी किया है। वहीं, अफ्रीकी संघ ने कुपोषण से निपटने की एक प्रमुख रणनीति के रूप में जैव-प्रबलीकरण का समर्थन किया है, जबकि विश्व बैंक ने इसे पोषण-स्मार्ट समाधान के रूप में मान्यता दी है, जिससे किसानों और उपभोक्ताओं दोनों को लाभ होगा।
बयान में कहा गया है कि न्यूट्री-पाठशाला कार्यक्रम के तहत एक ऐसे भविष्य की कल्पना की गई है, “जहां हर बच्चे को ताउम्र उसके स्वास्थ्य को पोषित करने वाला पौष्टिक भोजन उपलब्ध हो।”
हार्वेस्टप्लस सॉल्यूशंस ने घरों के रसोईघर से लेकर कक्षाओं तक, खाद्य शृंखला को “पोषित” करने के लिए लघु एवं मध्यम उद्यमों, स्टार्टअप और स्वयं सहायता समूहों के साथ साझेदारी की है।
राज्य सरकारों और निगमों के सहयोग से न्यूट्री-पाठशाला पहल मध्याह्न भोजन कार्यक्रम को पूरक बना रही है। इस पहल के तहत 2030 तक एक करोड़ बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने का लक्ष्य है।
भाषा पारुल