सांसदों का अवकाश मंजूर करने के लिए समिति बनाई गई : लोकसभा सचिवालय ने उच्च न्यायालय को बताया
पारुल अविनाश
- 25 Feb 2025, 09:28 PM
- Updated: 09:28 PM
चंडीगढ़, 25 फरवरी (भाषा) पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय को मंगलवार को सूचित किया गया कि संसदीय कार्यवाही में अनुपस्थित रहने वाले सदस्यों के अवकाश आवेदनों पर विचार के लिए एक समिति गठित की गई है और यह समिति अमृतपाल सिंह सहित अन्य सांसदों के आवेदनों पर विचार करेगी।
त्रिपुरा पश्चिम सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद और पूर्वोत्तर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब लोकसभा अध्यक्ष द्वारा नामित 15 सदस्यीय समिति के अध्यक्ष हैं। यह समिति 24 फरवरी से प्रभावी हो गयी है।
उच्च न्यायालय को जेल में बंद सांसद अमृतपाल की याचिका पर पुनः सुनवाई के दौरान समिति के गठन के बारे में जानकारी दी गई। अमृतपाल ने हाल ही में उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर केंद्र, पंजाब सरकार और अन्य प्रतिवादियों को यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि उन्हें संसदीय कार्यवाही में हिस्सा लेने की अनुमति दी जाए।
अमृतपाल अभी राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम से जुड़े मामले में असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं। उन्होंने दलील दी कि अगर वह 60 दिनों तक सदन की कार्यवाही में अनुपस्थित रहे, तो उन्हें लोकसभा की सदस्यता से हाथ धोना पड़ सकता है।
संसद के बजट सत्र का दूसरा भाग 10 मार्च को शुरू होगा और चार अप्रैल को समाप्त होगा।
सदन की बैठकों में सदस्यों की अनुपस्थिति से जुड़ी समिति में बिप्लब देब के अलावा भाजपा के सौमित्र खान, ज्ञानेश्वर पाटिल, जय प्रकाश, गोपाल ठाकुर, मनसुखभाई वसावा, समाजवादी पार्टी (सपा) के आनंद भदौरिया, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के असित कुमार मल, कांग्रेस के गोवाल पदवी, वीके श्रीकंदन और प्रशांत पडोले, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के अमरा राम, तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के केसिनेनी शिवनाथ और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नलिन सोरेन शामिल हैं।
लोकसभा सचिवालय की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल सत्य पाल जैन और अधिवक्ता धीरज जैन ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति सुमित गोयल की पीठ को बताया कि देब की अध्यक्षता वाली समिति का गठन 24 फरवरी को किया गया।
सुनवाई के बाद धीरज जैन ने संवाददाताओं से कहा कि उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से जानकारी मांगी थी कि क्या सदन के सत्रों में हिस्सा न लेने वाले लोकसभा सदस्यों को अवकाश देने के लिए समिति गठित की गई है।
जैन ने कहा, “हमने उच्च न्यायालय को बताया कि समिति पंजाब के खडूर साहिब से लोकसभा सदस्य और याचिकाकर्ता अमृतपाल सिंह समेत विभिन्न सांसदों के “अवकाश” संबंधी आवेदनों पर विचार करेगी और सदन को उचित सिफारिश करेगी। इसके बाद लोकसभा इन आवेदनों पर फैसला लेगी।”
अमृतपाल के वकील आरएस बैंस अदालत में पेश नहीं हो सके और उन्होंने दलीलों के लिए अतिरिक्त समय मांगा। अदालत ने मामले की सुनवाई अगले सप्ताह के लिए स्थगित कर दी।
उच्च न्यायालय में दाखिल याचिका में अमृतपाल ने दलील दी है कि संविधान के अनुसार, एहतियातन हिरासत में रखे गए सांसद को भी सदन के सत्र में हिस्सा लेने का अधिकार है।
अमृतपाल ने आरोप लगाया है कि उनके लोकसभा क्षेत्र को प्रतिनिधित्व से वंचित करने और 60 दिनों की अनुपस्थिति के बाद उन्हें संसद की सदस्यता से अयोग्य करार देने के दुर्भावनापूर्ण उद्देश्य से उन्हें संसद की कार्यवाही में हिस्सा लेने से रोका जा रहा है।
अमृतपाल ने दलील दी है कि संविधान के अनुच्छेद 101 के अनुसार अगर कोई सांसद लगातार 60 दिनों तक संसद के सत्र से अनुपस्थित रहता है, तो उसकी सदस्यता समाप्त हो जाती है।
अमृतपाल ने कहा कि पिछले साल 30 नवंबर को उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से संसद के सत्रों में भाग लेने की अनुमति मांगी थी। उन्होंने कहा, “इसके जवाब में याचिकाकर्ता को बताया गया कि वह कुल 46 दिनों तक संसदीय बैठकों से अनुपस्थित रहे हैं।”
अमृतपाल ने कहा कि उन्होंने उपायुक्त को एक ज्ञापन देकर संसद सत्र में भाग लेने की अनुमति मांगी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
भाषा पारुल