खान-पान से संबंधित विकार किशोरियों को ही प्रभावित नहीं करते, गर्भावस्था में भी जोखिम बढ़ाते हैं
(द कन्वरसेशन) सुरभि अविनाश
- 28 Feb 2025, 05:02 PM
- Updated: 05:02 PM
(जेम्मा शार्प, क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी; एमी बर्टन, यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी सिडनी और मेगन ली, बॉन्ड यूनिवर्सिटी)
सिडनी/ब्रिसबेन, 28 फरवरी (द कन्वरसेशन) ऑस्ट्रेलिया में 11 लाख से अधिक लोग खान-पान संबंधी विकारों से पीड़ित हैं, जो कुल आबादी का 4.5 प्रतिशत है।
इस बीच, 41 लाख से अधिक लोग (18.9 प्रतिशत) बेडौल शरीर की समस्या से पीड़ित हैं, जो खान-पान संबंधी कुछ विकारों में एक बड़ा जोखिम कारक है।
जब आप खान-पान संबंधी विकारों या शारीरिक संरचना से जुड़ी चिंता वाले किसी व्यक्ति के बारे में सोचते हैं, तो सबसे पहले आपके दिमाग में कौन सी छवि उभरती है? क्या यह छवि किसी किशोरी की उभरती है? अगर ऐसा है, तो आप निश्चित रूप से अकेली नहीं हैं। यह छवि अक्सर हम लोकप्रिय मीडिया में देखते हैं।
खान-पान से संबंधित विकार और शारीरिक संरचना से जुड़ी चिंताएं किशोरियों में सबसे आम हैं, लेकिन वयस्कों में विशेष रूप से 30, 40 और 50 की उम्र की महिलाओं में ये बहुत ज्यादा हैं।
तो इन विशेष आयु समूहों में लड़कियों और महिलाओं के साथ ऐसा क्या होता है जिससे यह जोखिम बढ़ जाता है?
क्या है 3 ‘पी’
हम महिलाओं में शारीरिक संरचना से जुड़ी समस्याओं और खाने पीने से संबंधित विकारों के जोखिम की अवधि को तीन ‘‘पी’’ के रूप में बांट सकते हैं: ‘प्यूबर्टी’ (यौवन या किशोरावस्था), ‘प्रेगनेंसी’ गर्भावस्था (30 वर्ष) और ‘प्रीमेनोपॉज एंड मेनोपॉज’ (रजोनिवृत्ति-पूर्व और रजोनिवृत्ति की उम्र) (40 वर्ष से अधिक)।
‘बटरफ्लाई फाउंडेशन’ की एक हालिया रिपोर्ट से पता चला है कि शारीरिक संरचना से जुड़ी चिंताओं के लिए तीन सबसे अधिक प्रचलित समूह 15-17 वर्ष की किशोर लड़कियां (39.9 प्रतिशत), 55-64 वर्ष की महिलाएं (35.7 प्रतिशत) और 35-44 वर्ष की महिलाएं (32.6 प्रतिशत) हैं।
विभिन्न अध्ययनों में खान-पान से संबंधित विकार के लक्षणों को मापने के तरीके में भिन्नताएं, प्रत्यक्ष तुलना करने में मुश्किल पैदा कर सकती हैं, लेकिन यहां कुछ साक्ष्य का जिक्र किया गया है :
यौवन
छह वर्ष की आयु के बच्चों से लेकर 18 वर्ष की आयु की लड़कियों तक के अध्ययनों की समीक्षा में पाया गया कि इस आयु वर्ग की 30 प्रतिशत लड़कियों ने अनियमित खान-पान की शिकायत की, जबकि लड़कों में यह संख्या 17 प्रतिशत थी। बच्चों के बड़े होने के साथ अनियमित खान-पान की दर अधिक होती गई।
गर्भावस्था
गर्भावस्था के दौरान, खान-पान से संबंधित विकार का प्रतिशत 7.5 रहने का अनुमान है। प्रसव के बाद की अवधि में लगभग 70 प्रतिशत महिलाएं अपने शरीर के वजन और शारीरिक संरचना से असंतुष्ट रहती हैं।
रजोनिवृत्ति से पूर्व
ऐसा अनुमान है कि 42-52 वर्ष की आयु की 73 प्रतिशत से अधिक महिलाएं अपने शरीर के वजन से असंतुष्ट हैं। 40 से अधिक उम्र की महिलाओं में खान-पान से संबंधित विकारों की प्रधानता लगभग 3.5 प्रतिशत है और उसी अवस्था में पुरुषों में 1-2 प्रतिशत है।
तो क्या हो रहा है?
हालांकि हम तीन ‘‘पी’’ के दौरान खान-पान से संबंधित विकार और शारीरिक असंतोष के जोखिम के पीछे के सटीक तंत्र के बारे में निश्चित नहीं हैं, लेकिन यह अनुमान है कि कई कारक इसमें शामिल हैं।
इन जीवन चरणों में महत्वपूर्ण प्रजनन हार्मोनल परिवर्तन (उदाहरण के लिए, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन में उतार-चढ़ाव) शामिल होते हैं, जिससे भूख बढ़ सकती है या खाने की इच्छा बढ़ सकती है और शरीर की संरचना में बदलाव हो सकता है।
इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप शरीर के वजन और आकार के बारे में चिंताएं हो सकती हैं। ये चरण पहचान और आत्म-धारणा में एक बड़े बदलाव का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं।
शोध से पता चला है कि पारस्परिक समस्याएं और तनाव खान- पान के विकारों के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
हमें बेहतर करने की जरूरत है
दुर्भाग्य से, वर्तमान में नीति और शोध का अधिकतर ध्यान वयस्कों के बजाय किशोरों में खान-पान के विकारों की रोकथाम और उपचार पर केंद्रित है। स्वास्थ्य पेशेवरों के बीच उम्रदराज महिलाओं में इन मुद्दों के बारे में समझ की कमी भी दिखाई देती है।
हमें स्वास्थ्य पेशेवरों और आम जनता के बीच इस तथ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है कि खान-पान के विकार और शारीरिक संरचना की चिंता किसी भी उम्र की महिलाओं को प्रभावित कर सकती हैं - न कि केवल किशोर लड़कियों को। उम्मीद है कि इससे ज्यादा महिलाएं बिना किसी सामाजिक लांछन के मदद लेने के लिए सशक्त होंगी और बेहतर सहायता और उपचार प्राप्त कर सकेंगी।
(द कन्वरसेशन) सुरभि