उत्तराखंड हिमस्खलन: बचाए गए 50 मजदूरों में से चार की मौत; चार मजदूरों की तलाश जारी
शोभना नेत्रपाल
- 02 Mar 2025, 12:34 AM
- Updated: 12:34 AM
(तस्वीरों के साथ)
देहरादून, एक मार्च (भाषा) उत्तराखंड में चमोली जिले के माणा गांव में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के शिविर के हिमस्खलन की चपेट में आने के कारण बर्फ में फंसे 50 श्रमिकों को बाहर निकाल लिया गया, लेकिन उनमें से चार श्रमिकों की शनिवार को मौत हो गई। बचाव दल बर्फ में फंसे अब शेष चार श्रमिकों को बचाने के लिए कड़ी मशक्कत कर रहा है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) द्वारा उपलब्ध कराई गई नवीनतम बचाव जानकारी के अनुसार पांच मजदूर लापता थे लेकिन उनमें से एक- हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा का सुनील कुमार स्वयं ही सुरक्षित घर पहुंच गया है जिसके बाद शेष चार मजदूरों की तलाश की जा रही है।
सेना के अनुसार, शुक्रवार सुबह 5:30 से छह बजे के बीच माणा और बद्रीनाथ के बीच बीआरओ शिविर के पास हिमस्खलन हुआ, जिससे आठ कंटेनर और एक शेड के अंदर 55 श्रमिक फंस गए। शुक्रवार रात तक 33 और शनिवार को 17 लोगों को बचा लिया गया।
शुक्रवार को बारिश और बर्फबारी के कारण बचाव कार्य में बाधा उत्पन्न हुई और रात होने के कारण अभियान रोक दिया गया था।
जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी एन के जोशी ने बताया कि मौसम साफ होने पर माणा में तैनात सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवानों ने सुबह बचाव अभियान फिर से शुरू किया।
सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष श्रीवास्तव ने बताया कि बचाव अभियान में छह हेलीकॉप्टर लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि इनमें तीन थलसेना के, दो वायुसेना के और सेना द्वारा किराए पर लिया गया एक असैन्य हेलीकॉप्टर शामिल है।
बद्रीनाथ से तीन किलोमीटर दूर 3,200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित माणा भारत-तिब्बत सीमा पर अंतिम गांव है।
सेना के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘50 मजदूरों को बचा लिया गया है, जिनमें से दुर्भाग्यवश चार घायलों की मौत की पुष्टि हो गई है, जबकि शेष की तलाश जारी है।’’ उन्होंने कहा कि घायलों को प्राथमिकता के आधार पर निकाला जा रहा है।
यूएसडीएमए ने बर्फ से निकाले गए चार मजदूरों की मौत की भी पुष्टि की है जिनमें ज्यातिर्मठ में इलाज के दौरान एक श्रमिक की जबकि बद्रीनाथ-माणा में तीन श्रमिकों की मौत हो गई।
यूएसडीएमए ने बताया कि मृतकों की पहचान हिमाचल प्रदेश के मोहिंद्र पाल और जितेंद्र सिंह, उत्तर प्रदेश के मंजीत यादव और उत्तराखंड के आलोक यादव के रूप में हुई है।
इसने कहा कि चार मजदूर अब भी लापता हैं, जिनमें हिमाचल प्रदेश के हरमेश चंद, उत्तर प्रदेश के अशोक और उत्तराखंड के अनिल कुमार तथा अरविंद सिंह शामिल हैं।
सेना के अधिकारियों ने बताया कि बचाव अभियान मुख्य रूप से सेना और वायुसेना के हेलीकॉप्टर द्वारा संचालित किया जा रहा है, क्योंकि कई स्थानों पर बर्फ के कारण संपर्क मार्ग अवरुद्ध हो गया है, जिससे वाहनों की आवाजाही लगभग असंभव हो गई है।
उन्होंने बताया कि प्राथमिकता बचाए गए श्रमिकों को ज्योर्तिमठ स्थित सैन्य अस्पताल में लाने तथा लापता चार श्रमिकों की तलाश करने की है।
अधिकारियों ने बताया कि 24 लोगों को घायल अवस्था में सेना अस्पताल लाया गया और उनमें से दो को एम्स ऋषिकेश भेजा गया है।
प्रवक्ता के अनुसार, लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी-इन-सी) मध्य कमान और लेफ्टिनेंट जनरल डी जी मिश्रा जीओसी उत्तर भारत क्षेत्र बचाव कार्यों की निगरानी के लिए हिमस्खलन स्थल पर पहुंच गए हैं।
लेफ्टिनेंट जनरल सेनगुप्ता ने कहा कि सड़क मार्ग से आवाजाही मुमकिन नहीं है, क्योंकि वह बर्फ से भरा हुआ है। उन्होंने कहा कि बद्रीनाथ-जोशीमठ राजमार्ग 15-20 स्थानों पर अवरुद्ध है।
सेनगुप्ता के अनुसार, बीआरओ कैंप में आठ कंटेनर थे, जिनमें से पांच का पता लगा लिया गया है, जबकि तीन का पता नहीं चल पाया है। इनमें वे पांच मजदूर फंसे हो सकते हैं, जिनकी तलाश की जा रही है। अब तक बचाए गए मजदूरों में से बड़ी संख्या में मजदूर पांच कंटेनरों में पाए गए।
हालांकि, बाद में यूएसडीएमए ने कहा कि शेष तीन कंटेनर भी ढूंढ़ लिए गए हैं, लेकिन उनमें कोई श्रमिक नहीं मिला।
लेफ्टिनेंट जनरल सेनगुप्ता ने कहा कि अगर मौसम अनुकूल रहा तो लापता श्रमिकों का पता लगाने के लिए विशेष रडार, यूएवी, क्वाडकॉप्टर और हिमस्खलन बचाव कुत्तों को लगाया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘सबकुछ मौसम पर निर्भर करता है।’’
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रभावित क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण किया और अधिकारियों को बचाव अभियान में तेजी लाने का निर्देश दिया।
देहरादून लौटकर उन्होंने कहा कि राहत और बचाव दल ने अब तक 50 लोगों को बचाकर सराहनीय काम किया है। धामी ने कहा कि अधिकारियों को युद्ध स्तर पर लापता श्रमिकों की तलाश जारी रखने के निर्देश दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लापता कंटेनर की खोज के लिए सेना के खोजी कुत्तों को तैनात किया गया है और सेना की तीन टीम इलाके में तैनात हैं।
उन्होंने बताया कि आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, आईटीबीपी, बीआरओ, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल, राज्य आपदा मोचन बल, भारतीय वायुसेना, जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और अग्निशमन विभाग के 200 से अधिक कर्मी बचाव अभियान में लगे हुए हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने धामी से बात की और उन्हें पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया।
बचाए गए लोगों के चिकित्सा उपचार के बारे में धामी ने कहा कि घायल श्रमिकों का इलाज माणा और ज्योतिर्मठ स्थित सेना के अस्पतालों में किया जा रहा है, जबकि एम्स-ऋषिकेश और श्रीनगर मेडिकल कॉलेज को अलर्ट पर रखा गया है।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि बद्रीनाथ और आसपास के इलाकों में छह से सात फुट बर्फ जमा हो गई है तथा आने वाले दिनों में और हिमस्खलन का खतरा है। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हवाई सर्वेक्षण के दौरान मैंने देखा कि बर्फबारी के कारण अलकनंदा नदी में पानी का बहाव रुक गया है।’’
धामी ने कहा कि क्षेत्र में निर्माण कार्य अस्थायी रूप से रोक दिया गया है और श्रमिकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है। उन्होंने पर्यटकों से अगले तीन दिन तक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में न जाने की अपील की है।
सेना के ज्योतिर्मठ अस्पताल के बिस्तर पर लेटे चमोली जिले के नारायणबगड़ निवासी गोपाल जोशी ने उन्हें बचाने के लिए भगवान बद्रीनाथ को धन्यवाद दिया।
जोशी ने कहा, ‘‘कई फुट बर्फ होने की वजह से हम तेजी से भाग नहीं पाए। दो घंटे बाद भारत-तिब्बत सीमा पुलिस ने हमें बचाया।’’
बचाए गए एक अन्य कर्मचारी एवं हिमाचल प्रदेश निवासी विपिन कुमार की पीठ पर चोट है। हिमस्खलन की आवाज सुनते ही वह भी कंटेनर छोड़कर भागने लगे।
कुमार ने कहा, ‘‘मैं लगभग पंद्रह मिनट तक बर्फ में फंसा रहा। जब हिमस्खलन रुका, तो मैं बर्फ के ढेर से बाहर आ सका।’’
भाषा शोभना