भोपाल गैस त्रासदी : यूनियन कार्बाइड का 10 टन कचरा 75 घंटे में भस्म, मानक सीमा में उत्सर्जन का दावा
हर्ष खारी
- 03 Mar 2025, 09:59 PM
- Updated: 09:59 PM
इंदौर, तीन मार्च (भाषा) मध्यप्रदेश के पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के एक अपशिष्ट निपटान संयंत्र में भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाने के 337 टन कचरे में से 10 टन अपशिष्ट को परीक्षण के तौर पर भस्म किए जाने की करीब 75 घंटे चली प्रक्रिया सोमवार को खत्म हो गई और इस दौरान पार्टिकुलेट मैटर (पीएम), कार्बन और अलग-अलग गैसों का उत्सर्जन मानक सीमा के भीतर रहा। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के लिए जिम्मेदार कारखाने के कचरे के निपटान के पहले दौर के परीक्षण को मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश पर एक निजी कंपनी के संचालित अपशिष्ट निपटान संयंत्र में अंजाम दिया गया।
इस कचरे के निपटान की प्रक्रिया शुरू होने के बीच पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए।
इंदौर संभाग के आयुक्त दीपक सिंह ने संवाददाताओं को बताया, ‘‘हमने पीथमपुर के अपशिष्ट निपटान संयंत्र के भस्मक में यूनियन कार्बाइड कारखाने के 10 टन कचरे को परीक्षण के तौर पर जलाने की प्रक्रिया शुक्रवार (28 फरवरी) को शुरू की थी जो सोमवार को खत्म हो गई।’’
उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दल ने परीक्षण की पूरी निगरानी की और इस दौरान पीथमपुर और इससे करीब 30 किलोमीटर दूर इंदौर की वायु गुणवत्ता ‘‘सामान्य’’ बनी रही।
सिंह ने बताया कि पीथमपुर के अपशिष्ट निपटान संयंत्र में दूसरे दौर के परीक्षण की तैयारी की जा रही है और इस चरण में भी यूनियन कार्बाइड कारखाने के 10 टन कचरे को भस्म किया जाएगा।
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक कचरे के निपटान के दौरान पिछले 24 घंटे में इस संयंत्र से पार्टिकुलेट मैटर (पीएम), सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, हाइड्रोजन क्लोराइड, हाइड्रोजन फ्लोराइड और टोटल ऑर्गेनिक कार्बन का उत्सर्जन मानक सीमा के भीतर पाया गया।
विज्ञप्ति के मुताबिक पहले दौर के परीक्षण के दौरान हुए इन उत्सर्जनों का विश्लेषण किया जा रहा है और दूसरे दौर का परीक्षण चार मार्च (मंगलवार) से शुरू किया जाना प्रस्तावित है।
विज्ञप्ति में बताया गया कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यूनियन कार्बाइड का कचरा जलाए जाने के दौरान पीथमपुर के अपशिष्ट निपटान संयंत्र के आस-पास पांच स्थानों पर परिवेशीय वायु गुणवत्ता माप रहा है जिनमें तीन गांव शामिल हैं।
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी श्रीनिवास द्विवेदी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि यूनियन कार्बाइड के कचरे को जलाने का पहला परीक्षण करीब 75 घंटे चला और इस दौरान संयंत्र के भस्मक में हर घंटे 135 किलोग्राम कचरा डाला गया।
उन्होंने बताया कि दूसरे दौर के परीक्षण के दौरान भस्मक में हर घंटे 180 किलोग्राम कचरा डाला जाएगा।
द्विवेदी ने बताया कि पहले दौर के परीक्षण को करीब 60 अधिकारी-कर्मचारियों ने अंजाम दिया जिनमें शामिल केंद्र और राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के करीब 20 लोगों ने इस प्रक्रिया की निगरानी की।
उन्होंने बताया, ‘‘परीक्षण में शामिल कर्मचारियों को हर आठ घंटे में बदल दिया गया।’’
प्रदेश सरकार के मुताबिक यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे में इस बंद पड़ी इकाई के परिसर की मिट्टी, रिएक्टर अवशेष, सेविन (कीटनाशक) अवशेष, नेफ्थाल अवशेष और ‘‘अर्द्ध प्रसंस्कृत’’ अवशेष शामिल हैं।
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है कि वैज्ञानिक प्रमाणों के मुताबिक इस कचरे में सेविन और नेफ्थाल रसायनों का प्रभाव अब ‘‘लगभग नगण्य’’ हो चुका है।
बोर्ड के मुताबिक फिलहाल इस कचरे में मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस का कोई अस्तित्व नहीं है और इसमें किसी तरह के रेडियोधर्मी कण भी नहीं हैं।
भोपाल में दो और तीन दिसंबर 1984 की दरमियानी रात यूनियन कार्बाइड कारखाने से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस का रिसाव हुआ था।इससे कम से कम 5,479 लोग मारे गए थे और हजारों लोग अपंग हो गए थे। इसे दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है।
भोपाल में बंद पड़े यूनियन कार्बाइड कारखाने के 337 टन कचरे के निपटान की योजना के तहत इसे सूबे की राजधानी से करीब 250 किलोमीटर दूर पीथमपुर में एक औद्योगिक अपशिष्ट निपटान संयंत्र में दो जनवरी को पहुंचाया गया था।
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन ने 18 फरवरी को दिए आदेश में कहा था कि सुरक्षा मानदंडों का पालन करते हुए 27 फरवरी को 10 टन कचरे का पहला परीक्षण किया जाए और इसका कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं होता है, तो चार मार्च को दूसरा परीक्षण और 10 मार्च को तीसरा परीक्षण किया जाए।
उच्च न्यायालय ने कहा था कि उसके सामने तीनों परीक्षणों की रिपोर्ट 27 मार्च को पेश की जाए।
उच्चतम न्यायालय ने 1984 की भोपाल गैस त्रासदी से जुड़े अपशिष्ट को धार जिले के पीथमपुर में एक निजी कंपनी के संचालित संयंत्र में स्थानांतरित करने और उसका निपटान करने के मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप से 27 फरवरी को इनकार कर दिया था।
शीर्ष अदालत ने यूनियन कार्बाइड कारखाने से निकले अपशिष्ट के निपटान के परीक्षण पर रोक लगाने से भी इनकार कर दिया था।
भोपाल गैस त्रासदी के लिए जिम्मेदार कारखाने का कचरा पीथमपुर लाए जाने के बाद इस औद्योगिक क्षेत्र में कई विरोध प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों ने इस कचरे के निपटान से इंसानी आबादी और आबो-हवा को नुकसान की आशंका जताई है जिसे प्रदेश सरकार ने सिरे से खारिज किया है।
प्रदेश सरकार का कहना है कि पीथमपुर की अपशिष्ट निपटान इकाई में यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे के सुरक्षित निपटान के पक्के इंतजाम हैं।
भाषा हर्ष