न्यायालय ने मानसिक रूप से कमजोर युवक को मां के साथ अमेरिका जाने की अनुमति दी
वैभव नरेश
- 03 Mar 2025, 10:06 PM
- Updated: 10:06 PM
नयी दिल्ली, तीन मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को मानसिक रूप से कमजोर एक युवक को उसकी अमेरिकी नागरिक मां के संरक्षण में रहने की अनुमति दे दी। न्यायालय ने कहा कि यह उसके हित में है, क्योंकि वह स्वतंत्र निर्णय लेने में असमर्थ है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने इस तथ्य पर विचार किया कि 22 वर्षीय व्यक्ति की मानसिक आयु आठ से 10 वर्ष के बच्चे की तरह है। न्यायालय ने युवक के पिता को निर्देश दिया कि वह मां-बेटे को अमेरिका लौटने से न रोकें।
युवक सेरेब्रल पाल्सी (सीपी) से ग्रस्त है जो ऐसे विकारों का समूह है जो किसी व्यक्ति की गति और मांसपेशियों के समन्वय को प्रभावित करता है और यह विकास के दौरान मस्तिष्क को होने वाली क्षति के कारण होता है।
न्यायालय ने मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ मां शर्मिला वेलामुर की याचिका पर सुनवाई की। उच्च न्यायालय ने कहा था कि पिता ने चेन्नई में बेटे को अवैध रूप से बंधक बनाकर नहीं रखा।
वेलामुर ने दावा किया कि उनके तलाक के बाद, जब अमेरिका के इदाहो में बेटे के संरक्षण और मध्यस्थता की कार्यवाही लंबित थी, पिता बेटे के साथ अमेरिका से चेन्नई चले गए और उनका पता नहीं चल पाया।
मद्रास उच्च न्यायालय ने बेटे से बातचीत की, उससे कई सवाल पूछे और जवाबों के आधार पर यह निर्धारित किया कि उसे अवैध रूप से बंधक बनाकर नहीं रखा गया था।
शीर्ष न्यायालय ने कहा कि बेटे को निमहान्स, बेंगलुरु में चिकित्सा मूल्यांकन से गुजरने का निर्देश दिया गया था, और विशेषज्ञों की रिपोर्ट से पता चला कि वह आठ से 10 साल के बच्चे के स्तर पर काम कर रहा था और खुद से निर्णय लेने में असमर्थ था।
अदालत ने रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा, ‘‘हल्के बौद्धिक विकास संबंधी विकार और सेरेब्रल पाल्सी के कारण उसकी समग्र दिव्यांगता की सीमा 80 प्रतिशत के साथ गंभीर दिव्यांगता की श्रेणी में आती है।’’
न्यायालय ने वेलामुर को 15 दिन के भीतर बेटे के साथ अमेरिका लौटने का निर्देश दिया। साथ ही पिता को भी आदेश दिया कि वह उन लोगों की वापसी में ‘कोई बाधा’ उत्पन्न न करें।
भाषा
वैभव