गोवा को नये आपराधिक कानून के कार्यान्वयन में मिसाल कायम करनी चाहिए : अमित शाह
पारुल दिलीप
- 03 Mar 2025, 10:18 PM
- Updated: 10:18 PM
(तस्वीरों के साथ)
नयी दिल्ली, तीन मार्च (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि गोवा को तीन नये आपराधिक कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करने के मामले में मिसाल कायम करनी चाहिए और एक आदर्श राज्य बनकर उभरना चाहिए।
तटीय राज्य में नये आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन पर यहां एक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए शाह ने त्वरित न्याय प्रदान करने के लक्ष्य का सख्ती से पालन करने के महत्व पर जोर दिया। बैठक में गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत भी शामिल हुए।
सावंत ने कहा कि गृह मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि ये कानून समय पर न्याय सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए हैं और उन्होंने गोवा से इनके प्रभावी कार्यान्वयन में राष्ट्रीय स्तर पर मिसाल कायम करने का आह्वान किया।
बैठक के बाद ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में मुख्यमंत्री सावंत ने कहा, “मैं अपनी इस प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि करता हूं कि गोवा हमारे लोगों को न्याय प्रदान करने और कानूनी ढांचे को मजबूत करने के लिए इन कानूनों को दृढ़ता के साथ लागू करके मिसाल पेश करेगा।”
बैठक में शाह के अलावा केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन, गोवा के मुख्य सचिव तथा पुलिस प्रमुख भी शामिल हुए।
इसमें शाह ने सात साल से अधिक की जेल की सजा के प्रावधान वाले आपराधिक मामलों में 90 फीसदी दोषसिद्धि दर हासिल करने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया।
पिछले साल भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) ने क्रमशः औपनिवेशिक युग की भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम (आईईए) की जगह ली।
तीनों नये कानून एक जुलाई 2024 से लागू हुए।
बैठक में गोवा में पुलिस, जेल, अदालतों, अभियोजन और फॉरेंसिक से संबंधित विभिन्न नये प्रावधानों के कार्यान्वयन और वर्तमान स्थिति का जायजा लिया गया।
शाह ने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पेश किए गए तीन नये आपराधिक कानूनों का प्राथमिक उद्देश्य त्वरित न्याय सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि गोवा को तीन नये आपराधिक कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करने के मामले में एक आदर्श राज्य बनकर उभरना चाहिए।
गृह मंत्री ने ई-साक्ष्य मंच पर सभी जांच अधिकारियों (आईओ) के अनिवार्य पंजीकरण पर भी जोर दिया और 31 मार्च 2025 तक गोवा में ई-समन के पूर्ण कार्यान्वयन का निर्देश दिया।
उन्होंने दोहराया कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को संगठित अपराध, आतंकवाद और भीड़ हत्या से जुड़े मामलों की नियमित निगरानी करनी चाहिए, ताकि प्रासंगिक प्रावधानों के दुरुपयोग को रोका जा सके।
शाह ने कहा कि इन धाराओं के तहत मामला दर्ज करने से पहले पुलिस अधीक्षक (एसपी) स्तर के अधिकारी की अनुमति ली जानी चाहिए।
उन्होंने पुलिस को यह सुनिश्चित करने का निर्देश भी दिया कि अपराधियों से बरामद संपत्ति नये आपराधिक कानूनों के प्रावधानों के अनुसार उनके असली मालिकों को लौटाई जानी चाहिए।
शाह ने 100 फीसदी फॉरेंसिक नमूना जांच लक्ष्य हासिल करने की आवश्यकता पर बल दिया और इसका सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया।
उन्होंने गोवा के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से तीनों नये कानूनों के कार्यान्वयन की प्रगति की लगातार समीक्षा करने का आग्रह किया।
भाषा पारुल