आजमी के औरंगजेब वाले बयान पर महाराष्ट्र विधानमंडल में हंगामा, सदस्यों ने निलंबन की मांग की
आशीष मनीषा
- 04 Mar 2025, 05:48 PM
- Updated: 05:48 PM
(फोटो सहित)
मुंबई, चार मार्च (भाषा) समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक अबु आसिम आजमी के मुगल बादशाह औरंगजेब की तारीफ वाले बयान का मुद्दा मंगलवार को महाराष्ट्र विधानमंडल के दोनों सदनों में छाया रहा। सत्तारूढ़ गठबंधन ‘महायुति’ के सदस्यों ने आजमी को महाराष्ट्र विधानसभा से निलंबित करने और उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज करने की मांग की।
इस मुद्दे पर हंगामे के बाद दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित कर दी गई।
यह घटनाक्रम ऐसे दिन हुआ है, जब विपक्षी महा विकास आघाडी (एमवीए) ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के मंत्री धनंजय मुंडे के इस्तीफे को लेकर सरकार को घेरने की योजना बनाई थी।
जैसे ही दोनों सदनों की कार्यवाही शुरू हुई, ‘महायुति’ के सदस्यों ने सपा के प्रदेश अध्यक्ष आजमी के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए नारे लगाने शुरू कर दिए। उन्होंने दावा किया कि आजमी औरंगजेब के वंशज हैं, जिसने मराठा शासक छत्रपति संभाजी महाराज को प्रताड़ित किया और उनकी बेरहमी से हत्या कर दी थी।
उपमुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने विधान परिषद और विधानसभा दोनों में आजमी पर निशाना साधा।
परिषद में, पूर्व मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि आजमी ने अतीत में भी मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज के खिलाफ आपत्तिजनक बयान दिए थे।
शिंदे ने परिषद में कहा, ‘‘अबु आजमी जानबूझकर छत्रपति शिवाजी महाराज और (उनके बेटे) छत्रपति संभाजी का अपमान कर रहे हैं। संभाजी महाराज की बहादुरी और औरंगजेब की क्रूरता लोगों के रोंगटे खड़े कर देगी।’’
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि औरंगजेब ने संभाजी महाराज को अमानवीय तरीके से प्रताड़ित किया। शिंदे ने कहा कि आजमी ने औरंगजेब को एक कुशल प्रशासक बताया जिसने मंदिर बनवाए लेकिन उसने काशी विश्वेश्वर मंदिर को ढहा दिया। उन्होंने कहा कि मुगल बादशाह ने न केवल हिंदुओं को बल्कि अन्य धर्मों के लोगों को भी मारा।
शिंदे ने कहा, ‘‘औरंगजेब जीत कर भी हार गया, लेकिन संभाजी ने अपनी बहादुरी से बलिदान के बाद भी जीत हासिल की। वह (औरंगजेब) राक्षस था। एक सच्चा मुसलमान भी गद्दारों की संतान को माफ नहीं करेगा। औरंगजेब की प्रशंसा करना गलत है।’’
उन्होंने यह भी मांग की कि आजमी की विधानसभा की सदस्यता रद्द की जाए। शिवसेना नेता ने कहा कि औरंगजेब की प्रशंसा करने की हरकत को कोई बर्दाश्त नहीं करेगा।
विधानसभा में, शिंदे ने कहा कि आजमी ‘‘गद्दार’’ हैं और उन्हें विधानसभा में बैठने का कोई अधिकार नहीं है।
शिंदे ने सपा के विधायक रईस शेख से हाल में आई हिंदी फिल्म ‘छावा’ देखने को कहा, जिसमें संभाजी महाराज की बहादुरी और बलिदान को दर्शाया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘देखिए, संभाजी महाराज ने 40 दिनों तक कितनी यातनाएं झेलीं। औरंगजेब ने उनसे अपना धर्म बदलने को कहा था।’’
शिवसेना प्रमुख ने कहा कि औरंगजेब की प्रशंसा करना देश के राष्ट्रीय नायकों का अपमान है। उन्होंने यह भी कहा कि संभाजी महाराज ने नौ साल में 70 युद्ध जीते। शिवसेना नेता ने कहा कि औरंगजेब ने मंदिरों को ध्वस्त किया और अपने ही परिवार के सदस्यों को मार डाला।
उद्योग मंत्री उदय सामंत (शिवसेना) ने मांग दोहराई कि आजमी को सदन से निलंबित किया जाए और उन पर राजद्रोह का मामला दर्ज किया जाए। उन्होंने कहा, ‘‘हम ऐसे व्यक्ति की तारीफ बर्दाश्त नहीं कर सकते जिसने छत्रपति शिवाजी महाराज का परेशान किया और उनके बेटे छत्रपति संभाजी महाराज को प्रताड़ित किया।’’
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अतुल भातखलकर ने मांग की कि आजमी पर राजद्रोह का मामला दर्ज किया जाए और बजट सत्र के लिए उन्हें विधानसभा से निलंबित किया जाए। शिवसेना के मंत्री गुलाबराव पाटिल ने भी आजमी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
सुधीर मुनगंटीवार (भाजपा) ने मांग की कि औरंगजेब की कब्र को ध्वस्त किया जाए। हंगामे के बीच शिवसेना (उबाठा) के सदस्य भास्कर जाधव ने अपने स्थगन प्रस्ताव के नोटिस पर बोलने का प्रयास किया। जाधव ने सदन की कार्यवाही के दौरान जारी हंगामे को ‘‘नाटक’’ बताया।
इस मुद्दे पर हंगामा होने के कारण सदन की कार्यवाही कई बार बाधित रहने के बाद इसे दिन भर के लिए स्थगित कर दिया गया।
आजमी ने कहा था कि औरंगजेब के शासनकाल के दौरान भारत की सरहद अफगानिस्तान और बर्मा (म्यांमा) तक पहुंच गई थी। मुंबई के मानखुर्द शिवाजी नगर निर्वाचन क्षेत्र से विधायक ने दावा किया, ‘‘हमारा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 24 प्रतिशत (विश्व जीडीपी का) था और भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था।’’
औरंगजेब और मराठा शासक छत्रपति संभाजी महाराज के बीच लड़ाई के बारे में पूछे जाने पर आजमी ने इसे राजनीतिक लड़ाई करार दिया था।
विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने कहा कि न केवल आजमी बल्कि छत्रपति शिवाजी सहित महापुरुषों का अपमान करने वालों को दंडित किया जाना चाहिए, और उन्होंने अभिनेता राहुल सोलापुरकर और पूर्व पत्रकार प्रशांत कोरटकर के बयानों का हवाला दिया।
परिषद के सभापति राम शिंदे ने कहा कि सरकार को महापुरुषों और छत्रपति शिवाजी के खिलाफ बोलने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
आजमी की टिप्पणियों पर हंगामे के बाद उच्च सदन की कार्यवाही दो बार कुछ समय के लिए, और फिर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।
संबंधित घटनाक्रम में, मुंबई पुलिस ने आजमी के खिलाफ उनकी टिप्पणी को लेकर दर्ज मामले की जांच शुरू कर दी है।
पड़ोसी ठाणे में पुलिस ने सोमवार को लोकसभा सदस्य नरेश म्हस्के की शिकायत पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के प्रयास के आरोप में आजमी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी।
ठाणे पुलिस ने बाद में प्राथमिकी को मुंबई स्थानांतरित कर दिया, जहां मंगलवार को मरीन ड्राइव थाने में आजमी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की संबंधित धाराओं के तहत एक नया मामला दर्ज किया गया।
मुंबई पुलिस ने आजमी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 299 (धर्म या धार्मिक आस्था का अपमान करके धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण तरीके से किया गया कृत्य), धारा 302 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर बयान देना) और धारा 356 (1) एवं 356 (2) (मानहानि) के तहत मामला दर्ज किया है।
भाषा आशीष