कर्नाटक विधानसभा भाजपा की आपत्ति की वजह से कुछ समय के लिए बाधित
धीरज पवनेश
- 04 Mar 2025, 06:06 PM
- Updated: 06:06 PM
बेंगलुरु, चार मार्च (भाषा) कर्नाटक विधानसभा में मंगलवार को उस समय संक्षिप्त व्यवधान उत्पन्न हुआ जब विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भेदभाव का आरोप लगाया।
भाजपा ने दावा किया कि कार्यवाही को प्रसारित करने वाले कैमरें उसके सदस्यों को सदन में बोलते समय नहीं दिखा रहे हैं।
विपक्षी दल ने आरोप लगाया कि प्रसारण के दौरान जब भी विपक्षी विधायक बोलते हैं, कैमरा विधानसभा अध्यक्ष पर केंद्रित रहता है जबकि इसके उलट जब सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक या मंत्री बोलते हैं तो उनपर कैमरा केंद्रित होता है।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आर. अशोक ने जब कर्नाटक लोक सेवा आयोग (केपीएससी) में कथित अनियमितताओं पर चर्चा की मांग की तब उपनेता अरविंद बेलाड ने अध्यक्ष का ध्यान आकर्षित कराते हुए कहा कि अशोक को बोलते समय टेलीविजन स्क्रीन पर नहीं दिखाया जा रहा है।
उन्होंने सवाल किया कि क्या विपक्ष को कवर न करने के निर्देश हैं।
बेलाड ने कहा, ‘‘पूरा सदन दिखाया जाता है, सत्ता पक्ष और मंत्रियों को दिखाया जाता है, यहां तक कि आसन और अध्यक्ष को भी दिखाया जाता है। लेकिन जब विपक्ष के नेता बोल रहे होते हैं, तो उन्हें नहीं दिखाया जाता। वह एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर बोल रहे होते हैं और लोगों को पता होना चाहिए।’’
बेलाड ने यह भी बताया कि यह मुद्दा सोमवार को कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की बैठक के दौरान उठाया गया था।
सी.सी. पाटिल और सुनील कुमार सहित कई भाजपा विधायकों ने बेलाड का समर्थन किया।
विधानसभा अध्यक्ष यू टी खादर ने उन्हें आश्वस्त करने का प्रयास किया तथा कहा कि यह एक तकनीकी समस्या हो सकती है। उन्होंने अधिकारियों को इसे सुलझाने का निर्देश देने का वादा किया।
अशोक ने दोहराया कि यह मुद्दा बीएसी की बैठक में उठाया गया था और यहां तक कि मीडिया के सदस्यों ने भी बताया था कि सदन में विपक्ष के विरोध को नहीं दिखाया जा रहा है।
यतनाल, सुनील कुमार, सी.सी. पाटिल, बेलाड और अशोक सहित भाजपा विधायकों ने कार्यवाही शुरू होने से पहले इस मुद्दे को सुलझाने का दबाव बनाया। उन्होंने स्पीकर से कहा, ‘‘अगर यह तकनीकी समस्या है, तो इसे तुरंत ठीक करवाएं...।’’
इस पर मंत्री प्रियंक खरगे ने हस्तक्षेप करते हुए आरोप लगाया कि विपक्षी वक्ताओं को सदन में नहीं दिखाने की प्रथा पहली बार भाजपा शासन के दौरान संसद में शुरू की गई थी और बाद में भाजपा के कार्यकाल के दौरान पूर्व अध्यक्ष कागेरी ने इसे विधानसभा में लागू किया।
भाषा
धीरज